Move to Jagran APP

एक मंदिर जहां कोई नहीं बोलता झूठ, यहां देवता से पहले होती है गुरु की पूजा

बिहार में एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान से पहले गुरु की पूजा होती है। यहां कोई झूठ नहीं बोलता है। सादगी के साथ परंपराओं का पालन होता है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 02:09 PM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 08:17 PM (IST)
एक मंदिर जहां कोई नहीं बोलता झूठ, यहां देवता से पहले होती है गुरु की पूजा
एक मंदिर जहां कोई नहीं बोलता झूठ, यहां देवता से पहले होती है गुरु की पूजा

पूर्वी चंपारण [जेएनएन]। बिहार के पूर्वी चंपारण के केसरिया प्रखंड के ढेकहां गांव स्थित धवलपीठ में पूजा पाठ की अनोखी परंपरा है। यहां पहले गुरु की पूजा होती है। फिर देवी-देवताओं की आराधना।  पूजा का यह विधान दो सौ साल पुराना है। मान्यता है कि सबकी मुरादें पूरी होती हैं। इसलिए दूर -दूर से लोग आते हैं। सबसे खास बात यह है कि यहां कोई झूठ नहीं बोलता है।

loksabha election banner

समाधि दर्शन की परंपरा

धवलपीठ में पीठाधीश की मृत्यु के बाद उनके पार्थिव शरीर की समाधि बनाकर पूजन व दर्शन की परंपरा है। सबसे पहले धवल बाबा एवं कर्ता बाबा (सगे भाई) की समाधि बनाई गई। इसके बाद उनके उत्तराधिकारियों के पार्थिव शरीर की समाधि बनाई जाने लगी। इसी कड़ी में धवल एवं कर्ता बाबा के बाद जीवन दास बाबा, गिरधारी दास, अवध बिहारी बाबा, लक्ष्मी दास बाबा एवं कृष्णमोहन दास बाबा की समाधि बनाई गई। अभी प्रमोद दास बाबा उत्तराधिकारी हैं। वर्ष 2002-03 में तत्कालीन पीठाधीश बाबा कृष्णमोहन दास की पहल पर मूर्ति पूजा शुरू हुई। यहां शिवलिंग सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं।

कोई भेदभाव नहीं दिखता 

यहां आने के बाद कोई भेदभाव नहीं दिखता। इस स्थान को साक्षी मानकर कोई गलतबयानी नहीं कर सकता। किसी को गवाही देनी होती है तो धवलपीठ का नाम लेकर अपनी बात रखने को कहा जाता है।

यहां पर बड़ी समस्याएं भी हल हो जाती हैं। धवलपीठ के समक्ष कोई झूठ बोलने का साहस नहीं करता।

गुरु पूर्णिमा पर बड़ा आयोजन

गुरु पूर्णिमा पर बड़ा आयोजन होता है। मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं। धवल एवं कर्ता बाबा द्वारा प्रयुक्त वस्तुओं का दर्शन कराया जाता है। इनमें खड़ाऊं, बर्तन सहित अन्य सामान हैं। इनके दर्शनमात्र से श्रद्धालु खुद को धन्य मानते हैं। इन वस्तुओं को संभाल कर रखा जाता है। ढेकहां के पैक्स अध्यक्ष प्रफुल्ल कुंवर ने कहा कि यह आस्था का केंद्र हैं। वहीं, सेवानिवृत्त कर्मी ताजपुर पटखौलिया निवासी शिवनाथ पाठक का कहना है कि गुरु-शिष्य परंपरा का यह अनूठा केंद्र है।

धवलपीठ में सादगी एवं सद्भाव का वातावरण है। भक्तिभाव से गुरु पूजा की जाती है। भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। धवल एवं कर्ता बाबा सिद्ध पुरुष थे। उनके दिव्य प्रभावों की कहानी सर्वविदित है।

- प्रमोद दास, पीठाधीश, धवलपीठ 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.