डीएम समेत कई अधिकारी बने वोटर, करेंगे मतदान
मोतिहारी। वोटर बनने के लिए स्थायी आवास का होना जरूरी नहीं है। अगर कोई अधिकारी या कर्मी देश के किसी
मोतिहारी। वोटर बनने के लिए स्थायी आवास का होना जरूरी नहीं है। अगर कोई अधिकारी या कर्मी देश के किसी भी हिस्से का रहने वाला है और जिले में पदस्थापित है तो वह यहां का वोटर बन सकता है। साथ ही लोकतंत्र के महापर्व में मतदान कर सकता है। इसी नियम के तहत जिले के दर्जनों अधिकारी यहां के वोटर बने हैं। जिलाधिकारी रमण कुमार, डीडीसी अखिलेश कुमार ¨सह, उप निर्वाचन पदाधिकारी द्वारिका रविदास समेत एक दर्जन अधिकारियों ने जिले की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराया है। आने वाले लोकसभा चुनाव में वे यहां अपने निर्धारित मतदान केंद्र पर मतदान भी करेंगे। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि कई अधिकारी इसमें ऐसे हैं जो वर्षो बाद मतदान केंद्र पर जाकर मतदान कर सकेंगे। कार्य की अधिकता में वे मतदान नहीं कर पाते थे। डीएम के प्रोत्साहन पर अधिकारियों में दर्ज कराई है नाम डीएम रमण कुमार जिले में पदस्थापित अधिकारियों को बार-बार प्रेरित करते रहे हैं कि देश के हर लोगों को मतदान करना जरूरी है। इस बीच कार्य के दबाव में अधिकारी मतदान से वंचित रह जाते थे। बताया गया कि एक फीसद सर्विस वोटर हैं। अगर सभी मतदान करेंगे तो मतदान का एक फीसद बढ़ जाएगा। उन्होंने सबसे पहले अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज कराते हुए अन्य अधिकारियों को ऐसा करने को कहा। कहा कि अधिकारी जहां भी रहें है वहां अपना नाम दर्ज कराते हुए पुरानी जगह के नाम को विलोपित करा सकते हैं। यह उनका अधिकार है। केवल अधिकारी ही नहीं आम लोग भी ऐसा कर सकते हैं। ऐसा करने की स्थिति में मतदान का प्रतिशत भी बढ़ेगा। डीएम ने कहा कि लोगों की आम धारणा होती है कि जहां उनका घर है वे वहीं के वोटर हो सकते हैं। जबकि नियम यह है कि वे जहां रह रहे हैं वे वहां की मतदाता सूची में पुराने नाम को विलोपित कर नाम दर्ज कराकर मतदान कर सकते हैं। डीएम ने कहा
डीएम रमण कुमार ने कहा कि मैने अपना नाम पूर्वी चंपारण के निर्वाचक सूची में दर्ज कराया है। इससे पहले बक्सर में थे तो वहां के मतदाता सूची में नाम दर्ज था। वहां नाम विलोपित कराकर यहां के मतदाता बन गए हैं। अन्य अधिकारी व कर्मी जो बाहर के हैं उन्होंने भी अपना नाम दर्ज कराया है। आगामी चुनाव में वे मतदान कर सकेंगे। इससे स्वस्थ्य लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी।