सीमा क्षेत्र में एचआइवी संक्रमितों की संख्या में तेजी
मोतिहारी । जरुरत जब अति आवश्यकता के तरफ कदम बढ़ाने लगे तो वह व्यक्ति के जीवन में लाभ कम अधिक हानि के लिए प्रेरित करता है।
मोतिहारी । जरुरत जब अति आवश्यकता के तरफ कदम बढ़ाने लगे तो वह व्यक्ति के जीवन में लाभ कम अधिक हानि के लिए प्रेरित करता है। जिसकी कोई सीमा नहीं है। यह स्वविवेक पर निर्भर करता है कि हम कितना अपने आप को संभाल पाते है। प्राप्त आंकड़ों के अुनसार अशिक्षा के कारण लोग एचआईवी से संक्रमित हो जाते है। लेकिन इस साल दो उच्च शिक्षा प्राप्त इंजीनियर भी एचआइवी संक्रमित मिले है। कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के समय एचआईवी जांच प्रभावित हुआ था। लेकिन इनदिनों जब जांच में तेजी आई है। तब भयानक आंकड़ा सामने आ रहा है। जिसपर ब्रेक नहीं लगा तो आनेवाले समय में प्रखंड क्षेत्र में एचआईवी से पीड़ित लोगों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो सकती है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 नवंबर तक एचआईवी संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर चालीस हो गई है। जो पिछले तीन साल के आंकड़ों से काफी अधिक है। सबसे खतरनाक बात यह है कि संक्रमित लोगों में पुरुष-महिला के साथ-साथ पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे भी शामिल है। जागरुकता का नहीं दिख रहा है प्रभाव सरकार अपने स्तर से अभियान चलाकर लोगों तक जानकारी पहुंचाने का प्रयास करती है। लेकिन स्थानीय स्तर पर इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। जिसे आंकड़े बढ़ रहे है। इसके लिए सामाजसेवी संस्थाएं भी सरकार के कार्य में हाथ बंटाती है। लेकिन, इसके बाद भी लोग जानकर अनजान बने हुए हैं।
आज है विश्व एड्स दिवस
प्रत्येक साल 01 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसकी शुरूआत 1 दिसंबर 1988 को हुई थी। इसका उदेश्य एचआईवी एड्स से ग्रसित लोगों की मदद करने के लिए धन जुटाना, लोगों में एड्स को रोकने के लिए जागरूकता फैलाना और लोगों को शिक्षित करना है। चिताजनक है प्रखंड की स्थिति
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आईसीटीसी केंद्र में प्रतिदिन एचआईवी की जांच होती है। इसके लिए आईसीटीसी प्रभारी डॉ. प्रकाश मिश्रा ने बताया कि गर्भवती महिला, टीबी के मरीज, यौन रोगी के साथ-साथ इलाज के लिए पहुंचे अन्य मरीजों की भी जांच की जाती है। वैसे लोग जो संक्रमित पाये जाते है उनके संबंध में जानकारी गोपनीय रख उनका उचित उपचार किया जाता है। वर्ष 2019 में 4874 लोगों की जांच हुई। जिसमें 34 लोग संक्रमित पाए गए थे। इनमें 22 पुरुष 10 महिला एवं दो ट्रांस जेंडर थे। इसके बाद वर्ष 2020 में हुई 4062 लोगों की जांच के दौरान 08 संक्रमित मिले थे। इनमें एक गर्भवती सहित तीन महिला एवं पांच पुरुष थे। लेकिन वर्ष 2021 में नवंबर तक 5058 लोगों की जांच हुई। जिसमें 40 संक्रमित मिले है। जिनमें तीन बच्चा सहित पुरुष 19 महिला 21 एवं दो टीबी के मरीज शामिल है। पीएचसी में धुल फांक रहे है सुरक्षित संबंध बनाने के संसाधन
सरकार जनसंख्या नियंत्रण, सुरक्षित संबंध बनाने आदि के लिए नि:शुल्क कंडोम का वितरण करती है। इसके लिए पीएचसी में एक बॉक्स बनाकर कंडोम रखना है। जिसे की लोग आसानी से नि:संकोच होकर आवश्यकतानुसार ले जा सकें। लेकिन यह बॉक्स पीएचसी के एक कमरे में धुल फांक रही है। वहीं दीवार के समीप कंडोम बॉक्स भी रखा हुआ है। जिसका वितरण नहीं हो रहा है।
एड्स एक भयावह लाइलाज बीमारी है। जिसके कारण व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण साधारण बीमारी भी छूटने का नाम नहीं लेती है, और आदमी धीरे-धीरे उस रोग की गिरफ्त में पूर्णत: आ जाता है। सबसे पहले यह बीमारी एचआइवी के रूप में बॉडी फ्लूड यानि कि शरीर द्रव के रूप में एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होती है। जिसका तुरंत उपचार नहीं होने के कारण यह आगे चलकर एड्स का रूप धारण कर लेती है। असुरक्षित संबंध बनाने, एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़वाने, संक्रमित सुई, सीरिज के इस्तेमाल करने और एचआईवी संक्रमित माता-पिता से यह रोग एक-दूसरे में संक्रमित होता है। क्या है इसका उपचार सरकार द्वारा पीएचसी में आईसीटीसी केन्द्र खोला गया है। जहां चिकित्सक द्वारा काउंसिलिग एवं जांच की जाती है। भारत सरकार के निर्देशानुसार मरीजों के बात को गोपनीय रखकर उनका इलाज किया जाता है। एचआईवी पॉजिटिव मिलने पर मरीजों को सदर अस्पताल के एआरटी केन्द्र भेज दिया जाता है। वहां दो फोटो, पहचान पत्र लेकर डाटा बेस बनाकर नि:शुल्क दवा दी जाती है, जिसके सेवन से मरीज में संक्रमण कम होता है। कहते हैं चिकित्सक प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एसके सिंह ने बताया कि बढ़ते दर को देखते हुए जगह-जगह कैंप लगाकर लोगों में जन जागरूकता फैला एचआईवी के विषय में बताया जा रहा है। साथ ही आशा व एएनएम को भी निर्देश दिया गया है कि वे घर-घर जाकर महिलाओं को इस बीमारी के विषय में जानकारी दें। वहीं अस्पताल में आए मरीजों का काउंसिलिग किया जा रहा है। साथ ही संक्रमण को रोकने लिए गर्भवती महिलाएं, टीबी के मरीजों एवं पीएचसी पहुंचने वाले ऑपरेटिव मरीजों की जांच को आवश्यक कर दिया गया है।