जिला मुख्यालय पहुंची इफको की 2643.60 एमटी डीएपी, दूर होगी किल्लत
मोतिहारी । गेहूं की बोआई के लिए जिले में डीएपी उपलब्घ नहीं होने से किसान परेशान हैं।
मोतिहारी । गेहूं की बोआई के लिए जिले में डीएपी उपलब्घ नहीं होने से किसान परेशान हैं। डीएपी व यूरिया की किल्लत के कारण कई किसानों ने अबतक गेहूं की बोआई नहीं की है। विभाग के अनुसार जिले में एक लाख 24 हजार 90.27 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बोआई का लक्ष्य विभाग द्वारा निर्धारित किया गया है, जिसमें उर्वरक की कमी के कारण 36 हजार 959.94 हेक्टेयर भूमि पर ही गेहूं की बोआई हो सकी है। वही रबी की खेती के लिए 18 हजार मीट्रिक टन की डीएपी के विरूद्ध अब तक 3318 एमटी व इफको का 2643.60 एमटी सहित कुल 5961.60 एमटी डीएपी उपलब्ध हो सका है। रविवार को जिला को इफको द्वारा 2643.60 एमटी डीएपी उपलब्ध हुआ है, जिसे प्रखंडों को पंचायत के क्षेत्रफल के आधार पर समानुपातिक रूप से आवंटित कर निर्धारित मूल्य पर किसानों से उर्वरक बिक्री का निर्देश दिया गया है।
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इस प्रकार इफको, थोक विक्रेताओं
व प्रखंडों को हुआ आवंटन इफाको बाजार हरसिद्धि, कोटवा, ढेकहां, अरेराज व तुरकौलिया को 120 एमटी, तेतरिया को 130, मधुबन को 110, घोड़ासहन को 100, संग्रामपुर को 70, चकिया व महुआवां चकिया को 60, बिस्कोमान मोतिहारी को 50 व पैक्स-सोसाइटी को 1213.60 एमटी का आवंटन किया गया है। वही इफको थोक विक्रेताओं में सिद्धिविनायक चकिया, नवयुवक मोतिहारी, बालाजी पकड़ीदयाल, अहिरौलिया चिरैया व ग्रीन एग्री को 50-50 एमटी डीएपी उपलब्ध कराया गया है। वही प्रखंडों में मोतिहारी को 59.625, तुरकौलिया को 48.375, बंजरिया को 39.375, पीपराकोठी को 18, सुगौली को 48.375, रामगढ़वा को 48.375, रक्सौल 39.375, अरेराज को 41.625, हरसिद्धि को 56.250, पहाड़पुर को 48.375, संग्रामपुर को 41.625, कल्याणपुर को 71.725, कोटवा को 48.375, केसरिया को 50.625, छौड़ादानो को 45.000, आदापुर को 50.625, चिरैया को 68.625, ढाका को 68.625, पताही को 45.000, घोड़ासहन को 41.625, बनकटवा को 29.250, पकड़ीदयाल को 27.000, मधुबन को 39.375, तेतरिया को 27.000, फेनहारा को 18.000, चकिया को 54.000 व मेहसी को 39.375 एमटी डीएपी का आवंटन किसानों के बीच निर्धारित मूल्य पर वितरण करने के लिए उपलब्ध करा दिया गया है।
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इनसेट के लिए
डीएपी के बदले एसएसपी के साथ यूरिया का उपयोग करें किसान : डीएओ किसान डीएपी के बदले तीन बोरा एसएसपी (सिग्ल सुपर फास्फेट) व एक बोरा यूरिया का प्रयोग किसान अपने खेत में कर सकते है जो एक बोरा डीएपी के बराबर है। इसके उपयोग से किसानों की लागत कम आएगी और खेतों की मिट्टी बंजर होने से बच जाएगी। जिला कृषि पदाधिकारी चंद्रदेव प्रसाद ने बताया कि किसान डीएपी की जगह दूसरे विकल्प के रूप में एनपीके (नाइट्रोजन, फासफोरस, पोटास) का उपयोग कर सकते है।