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महज मोहरा था मानव बल संतोष, लूट में हिस्सेदार रहे कई हाकिम व सहयोगी कर्मी

रक्सौल विद्युत विपत्र घोटाला मामले में नित्य नए खुलासे हो रहे हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो जिस संजय पर पूरा ठीकरा फोड़ा जा रहा है वह बस मोहरा भर था। पटकथा के लेखक खुद कुछ विभागीय पदाधिकारी व कर्मी भी थे। बताते हैं कि संतोष ने जनवरी महीने में ही इस बाबत कुछ ऐसे विभागीय कर्मियों का नाम भी लिखित रूप में दिया था जिन्होंने उसको घोटाले के इस खेल को शुरू करने को उकसाया था।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 12:00 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 12:00 AM (IST)
महज मोहरा था मानव बल संतोष, लूट में हिस्सेदार रहे कई हाकिम व सहयोगी कर्मी
महज मोहरा था मानव बल संतोष, लूट में हिस्सेदार रहे कई हाकिम व सहयोगी कर्मी

मोतिहारी । रक्सौल विद्युत विपत्र घोटाला मामले में नित्य नए खुलासे हो रहे हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो जिस संजय पर पूरा ठीकरा फोड़ा जा रहा है वह बस मोहरा भर था। पटकथा के लेखक खुद कुछ विभागीय पदाधिकारी व कर्मी भी थे। बताते हैं कि संतोष ने जनवरी महीने में ही इस बाबत कुछ ऐसे विभागीय कर्मियों का नाम भी लिखित रूप में दिया था, जिन्होंने उसको घोटाले के इस खेल को शुरू करने को उकसाया था। उसने कहा है कि संबंधित लोग मिल बांटकर पैसे का बंदरबांट करते रहे और अब पूरा दोष उसपर मढ़ा जा रहा है। लोगों में यह चर्चा आम है कि जब जून माह में ही मामला सामने आ गया था तो संबंधित मानवबल के विरुद्ध प्राथमिकी क्यों नही कराई गई। जांच में तब कुछ लाख रुपये के हेराफेरी की बात क्यों कही गई। जिला में बैठे बड़े पदाधिकारी किन कारणों से सब कुछ जानकर भी चुप रहे। इधर विद्युत अधीक्षण अभियंता प्रणव कुमार से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने रक्सौल से पता करने की बात कहकर कॉल काट दिया।

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इनसेट जून में ही उजागर हुआ था मामला, कनीय अभियंता राजस्व को भी नहीं लगी भनक

बीते जून महीने में ही विभाग के लेखा पदाधिकारी की औचक जांच में यह मामला उजागर हुआ था। तत्कालीन विद्युत सहायक अभियंता द्वारा मामले की जांच को एक कमेटी का गठन किया गया। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से तब मामले की लीपापोती कर कुछ लाख के हेराफेरी की ही बात बताई गई। हद तो यह है कि सरकारी राशि के गबन का मामला उजागर होने के बाद भी तब न तो प्राथमिकी ही दर्ज कराई जा सकी न ही जवाबदेह पदाधिकारी के विरुद्ध किसी तरह की कार्रवाई की गई। सिर्फ संतोष पर पैसे जमा करने का दबाव बनाया जाता रहा। विभाग में राजस्व संबंधी मामलों को देखने के लिए कनीय अभियंता राजस्व की प्रतिनियुक्ति होती है। डीसीआर व मनी रिसिप्ट का दैनिक अवलोकन व प्राप्त नकद को बैंक में जमा कराने की जवाबदेही कनीय अभियंता राजस्व की ही होती है। इसके अलावा कैशियर व एकाउंटेंट की भी प्रतिनियुक्ति रहती है। ऐसे में मानव बल संतोष अकेले इतने बड़े घोटाले को अंजाम देता रहा लोगों को भी इस बात पर भरोसा नही हो रहा है।


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