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कौतूहल का विषय बना खोखराही मठ परिसर में पीपल के पेड़ में खिला फूल

मेहसी थाना क्षेत्र के खोखराही मठ स्थित शिवमंदिर परिसर में लगे पीपल पर कमल के समान खिले पुष्प अब भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय बने हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 02:04 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 07:44 AM (IST)
कौतूहल का विषय बना खोखराही मठ परिसर में पीपल के पेड़ में खिला फूल
कौतूहल का विषय बना खोखराही मठ परिसर में पीपल के पेड़ में खिला फूल

मोतिहारी । मेहसी थाना क्षेत्र के खोखराही मठ स्थित शिवमंदिर परिसर में लगे पीपल पर कमल के समान खिले पुष्प अब भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय बने हुए हैं। जबकि, वैज्ञानिकों ने परजीवी पुष्प माना है। इस फूल के रात्रि आठ बजे से चमक के साथ खिलना प्रारम्भ होना और सुबह रौशनी की धमक के साथ मुरझा जाना इसकी खासियत है। इस अजूबे आभा बिखेरते पुष्प को देखने व समझने के लिए बुधवार की रात्रि रविन्द्र नाथ आयुर्वेद महाविद्यालय मोतिहारी के प्राचार्य डॉ. हरिशंकर सिंह ब्रह्मचारी अपनी टीम के साथ मेहसी पहुंचे। उन्होंने पीपल के पेड़ पर खिले इस अछ्वुत फूल को देखा व परखा। हल्के पीले रंग के साथ बिल्कुल ही दूधिया उजले रंग का यह फूल अछ्वुत छंटा बिखेर रहा था। बताया कि यह दुर्लभ प्रजाति का फूल है। यह खास कर हिमालय में पाया जाता है। इस फूल का शास्त्रीय नाम वृंदाक है और हिदी में इसे बांदा कहा जाता है। यह परोपजीवी पौधा है। जिस वृक्ष पर यह पैदा होता है उसी के अनुरूप रस, गुण, ब्रिज, विषाक प्रभाव एवं गुण-धर्म को ग्रहण कर लेता है। इस फूल को स्थलकुमुद के नाम से भी जाना जाता है। इसका औषधीय गुण बताते हुए उन्होंने इसे संरक्षित करने पर भी बल दिया। कहा कि यह फूल 80 प्रकार के वात रोगों को दूर करता है। पीलिया, कमला, पांडू बेरी-बेरी, रिकेटी, जोड़ दर्द में भी इसके काढ़ा रामबाण का काम करता है। इतना ही नही सांप के काटने पर इसके कोमल पंखुड़ी कान में लगाने से विष दूर होता है। लॉक डाउन की अवधि मे रात में खिलना और सुबह मुरझाने की प्रक्रिया पर प्राचार्य ने कहा ़िक यह चन्द्रमा की शीतलता से जुड़ा हुआ फुल है, इसलिए यह फूल हर हालत मे शुभ है। यह औषधीय गुणों से संपन्न है। श्री ब्रह्मचारी ने यह भी बताया कि प्रकृति द्वारा मानव को धरती पर भेजने के पहले जड़ी बूटियों को पहले भेजा गया। क्योंकि मनुष्य भी प्रकृति का एक अंग है और मनुष्य के स्वास्थ्य की रक्षा प्रकृति ही करती है। हमारे यहां पेड़ पौधे के रूप में बहुत सी चीजें मिली हैं, जो अभी आम लोग तथा डॉक्टरों के जानकारी से ओझल है। आयुर्वेद के नये पुराने डॉक्टर, शोधार्थी इस विषय पर काम करें तो काफी चौंकाने वाले तथ्य उन्हें मिलेंगे वे।प्लांट की जानकारी मुझसे ले सकते है। मानव जाति का कल्याण एवं स्वास्थ्य लाभ के लिए ही हमें औषधीय पौधे सहज रूप से मिले हुए है। चंपारण में चारों तरफ जड़ी-बूटी के पौधे बिखरे पड़े है. कोरोना वायरस से भले ही पूरा विश्व परेशान है,लेकिन अपेक्षाकृत चंपारण जिला अभी भी बहुत सुरक्षित है इसका मूल कारण जड़ी बूटी के अनमोल पौधे इसे मिले हैं। उन्होंने जड़ी- बूटी वाले पौधों को संरक्षित करने की मांग सरकार से की। आज से 25 वर्ष पूर्व महाविद्यालय परिसर में कई जड़ी बूटियों के पौधे लगाने की बात बताते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया आयुर्वेद की ओर नजर टिकाए बैठी है। ऐसे में सरकार को फल करनी चाहिए। मौके पर मोतिहारी से अशोक वर्मा, समाजिक शोध विकास केंद्र के अध्यक्ष अमर, हामिद रजा, सावन कुमार, नरेश कुमार श्रीवास्तव,आदर्श कुमार, बास्किद गगन देव प्रसाद, हसन इमाम समेत अन्य काफी लोग थे।

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