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स्वच्छता पर उत्कृष्ट कार्य करने को लेकर डीएम सम्मानित

मोतिहारी। जिले में स्वच्छता को लेकर किए गए उत्कृष्ट प्रयास को लेकर जिलाधिकारी रमण कुमार को विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर पटना के ज्ञान भवन में बिहार स्वच्छता संकल्प 2018 कार्यक्रम में सम्मानित किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 11:26 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 11:26 PM (IST)
स्वच्छता पर उत्कृष्ट कार्य करने को लेकर डीएम सम्मानित
स्वच्छता पर उत्कृष्ट कार्य करने को लेकर डीएम सम्मानित

मोतिहारी। जिले में स्वच्छता को लेकर किए गए उत्कृष्ट प्रयास को लेकर जिलाधिकारी रमण कुमार को विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर पटना के ज्ञान भवन में बिहार स्वच्छता संकल्प 2018 कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। यह सम्मान उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी व ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने दिया। जिले को स्वच्छता के अलावा बेहतर डाक्यूमेंटेंशन को लेकर अलग-अलग सम्मान दिया गया। चंपारण का रण पुस्तक जो जिला पदाधिकारी के संरक्षण एवं उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में जिला परिवहन पदाधिकारी, जिला समन्वयक गौतम कुमार, जिला स्वच्छ भारत प्रेरक नरोत्तम कुमार आईटी सलाहकार सतीश द्वारा तैयार किया गया था, जिसे राज्य स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। सम्मान प्राप्त करने के बाद जिलाधिकारी ने बताया कि आज का दिन जिले के लिए सम्मान की बात है। इसके लिए जिले के लोगों ने जिस प्रकार प्रयास किया वह सराहनीय है। बापू की इस भूमि से स्वच्छता को लेकर जिस प्रकार यात्रा शुरू की गई थी व लक्ष्य को तय कर लोग आगे बढ़े थे वह आसान नहीं था। इसके बावजूद जिले की पूरी टीम व जिलेवासियों ने जिस प्रकार इसे लक्ष्य के करीब पहुंचाया इसी की बदौलत जिले को यह सम्मान हासिल हुआ है। इसके लिए जिलेवासियों खासकर महिलाएं जो आगे बढ़कर इस अभियान में अपनी भागीदारी की है वे इस सम्मान के असली हकदार हैं। डीएम ने कहा कि बापू की 150वीं जयंती वर्ष मनाया जा रहा है। बापू ने भी स्वच्छता का सपना देखा था। इस भूमि की यह पहचान रही है कि जो भी ठान लिया जाता है उसे यहां के लोग पूरा करके दिखाते हैं। सौ साल पहले सत्याग्रह की बात हो या फिर वर्तमान में चल रहे सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह। जिलाधिकारी ने कहा कि स्वच्छता एक सोंच है। इसे हर लोगों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। आगे अभी और बेहतर करने का हमें संकल्प लेना होगा, ताकि जो सम्मान जिले को मिला है उसकी सार्थकता बनी रहे। जिले की पूरी टीम को मिला प्रशस्ति पत्र स्वच्छता पर उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पूरे जिले की टीम को प्रशस्ति पत्र दिया गया। जिले से कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राज्य से प्रखंड विकास पदाधिकारी पकड़ीदयाल, मेहसी, प्रखंड समन्वयक मधुबन अभिमन्यु एवं मोतिहारी सदर सुभाष कार्यक्रम में भाग लेने गए थे। तेतरिया के बीपीएम, जीविका, चिरैया से स्वच्छाग्रही संजय कुमार, राजमिस्त्री प्रशिक्षण प्रदुमन ¨सह को भी प्रशस्ति पत्र दिया गया। इसके अलावा जिले की पूरी टीम जिन्होंने इस अभियान में अपनी भूमिका निभाई उन्हें प्रशस्ति पत्र दिया गया। और चंपारण ने जीत लिया रण गंदगी के खिलाफ चंपारण का रण नाम से चला अभियान आखिरकार जीत गया। चंपारण ने सूबे में दूसरा स्थान प्राप्त कर बापू की कर्मभूमि का मान पूरे देश में बढ़ाया है। इस अभियान को मुकाम तक पहुंचाने में डीएम रमण कुमार की भूमिका सबसे अहम रही है। जब वे जिले के चंद्रहिया से पदयात्रा प्रारंभ की तो लोगों को सहज विश्वास नहीं हुआ। सौ किलोमीटर पैदल यात्रा कर गांव-गांव जाकर लोगों को जगाया। पांव डगमगाए, पैर में छाले पड़े, पर लक्ष्य से पीछे नहीं हटे। लोगों को गंदगी के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया। शौचालय का निर्माण क्यों जरूरी है विस्तार से बताया। इस अभियान में उनके कदम से कदम मिलाकर उनकी पत्नी भी साथ दिखीं। गांव-गांव चौपाल लगाकर लोगों को शौचालय के निर्माण करने व उसका उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया। कभी अधिकारी के रूप में तो कभी आम आदमी के रूप में गांव के लोगों से मिलने का क्रम डीएम का जारी रहा। खेत-खलिहान तक जाकर उन्हें जागरूक किया गया। स्कूलों में बच्चों को अभिभावकों से मुझे शौचालय चाहिए की जिद करने को लेकर प्रेरित किया गया। बता दें कि जब यह अभियान प्रारंभ हुआ तब जिले के 30 से 35 फीसद घरों में शौचालय उपलब्ध थे। चंद महीनों के प्रयास के बाद स्थितियां सुधरी व आंकड़े भी बदलने लगे। सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के समापन के मौके पर देश के कोने-कोने से आए स्वच्छाग्रहियों को पीए मोदी ने संबोधित किया था। उन्होंने भी चंपारण में चल रहे स्वच्छता अभियान को सराहा था। जिला अब पूरी तरह ओडीएफ होने के कगार पर है। डीएम ने अभियान के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि शौचालय का निर्माण व उपयोग तभी हो सकता है जब हमारी सोच बदलेगी। इस अभियान को जिले की पूरी टीम लगी रही। मार्निंग फॉलोअप व संध्या चौपाल के माध्यम से गांव-गांव लोगों को शौचालय निर्माण के लिए प्रेरित किया गया। इसका नतीजा हुआ कि लोगों की सोच बदली व जिले का यह सम्मान हासिल हुआ।

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