कोरोना में भी नहीं टूटी नेपाल से व्यापारिक रिश्ते की डोर
मोतिहारी। वैश्विक महामारी कोरोना ने दुनिया में तबाही मचा दी है। सभी देशों की सरकार ने लॅाकडाउन की घोषणा की।
मोतिहारी। वैश्विक महामारी कोरोना ने दुनिया में तबाही मचा दी है। सभी देशों की सरकार ने लॅाकडाउन की घोषणा की। भारत सरकार ने गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले राशन कार्ड धारी सहित अन्य लोगों को भी राशन मुहैया कराया जा रहा है। भविष्य को देखते हुए भारत ने अनाज का भंडारण शुरू कर दिया है। ताकि भविष्य में अनाज की कमी नहीं हो सके। बावजूद भारत ने पड़ोसी देश नेपाल को खाद्यान्न सामग्री सहित अन्य सामानों का रेल मार्ग से निर्यात किया है। इस विकट परिस्थिति में भी भारत ने नेपाल के साथ दोस्ती बरकरार रखा। व्यापारिक रिश्तों की डोर टूटे नहीं। इसका पूरा ख्याल रखा। लॅाकडाउन में भी भारत ने 8 मई तक कुल 109 मालगाड़ी को नेपाल भेज चुका है। निर्यात की प्रक्रिया 22 मार्च से जारी है। जानकारी के अनुसार 22 से 31 मार्च तक 25 मालगाड़ी, एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक 64 मालगाड़ी व एक से 8 मई तक मालगाड़ी को नेपाल भेजा गया है। रेलवे अधिकारियों की माने तो किसी भी परिस्थिति में नेपाल जाने वाली मालगाड़ी के पहिए लॅाक नहीं होंगे। भारत-नेपाल सीमा 1750 किलोमीटर है। नेपाल के लिए रक्सौल ही मुख्य रेल मार्ग है। उतर प्रदेश के सोनौली से भी रेल मार्ग से नेपाल सामान निर्यात होता है। लेकिन रक्सौल रेल मार्ग का अलग महत्व है। रक्सौल में ही देश का दूसरा बड़ा इंट्रीग्रेटेड चेक पोस्ट है। यहां से हजारों बड़े-बड़े मालवाहक नेपाल जाते है। कोलकाता, मद्रास सहित अन्य जगहों से मालगाड़ी रक्सौल पहुंचकर नेपाल को जाती है।
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आठ मई तक 109 मालगाड़ी नेपाल गई है। भारत-नेपाल व्यापारिक संबंधों को ध्यान मे रखकर केन्द्र सरकार यह कार्य कर रही है।भारत-नेपाल के बीच बेटी- रोटी का संबंध पुराना है। अनिल कुमार सिंह, स्टेशन प्रबंधक, रक्सौल