गर्व है बिहार को अपनी इस बेटी पर, सूर्य के रहस्यों को सुलझा रहा अंशु का आविष्कार
बिहार को पूर्वी चंपारण की बेटी अंशु पर गर्व महसूस हो रहा है। अंशु ने सूर्य रहस्यों को सुलझाने के लिए एक नया आविष्कार किया है जिससे आज पूरी दुनिया ने अंशु के दिमाग का लोहा माना है।
पूर्वी चंपारण [विजय कुमार गिरि]। बिहार की बेटी अंशु ने रेडियो स्पेक्ट्रो पोलरीमीटर नामक जो यंत्र विकसित किया, वह सूर्य के रहस्यों को समझने में सहायक विवरण जुटा रहा है। सूर्य पर होने वाले विस्फोटों की जानकारी भी इसके माध्यम से दर्ज की जा रही है, समझी जा रही है। सूर्य से आने वाली चुंबकीय तरंगों के अध्ययन पर आधारित यह शोध एस्ट्रोफिजिकल जर्नल अमेरिका और सोलर फिजिक्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
सूर्य से आने वाली चुंबकीय तरंगों को रिकॉर्ड करता है रेडियो स्पेक्ट्रो पोलरीमीटर
अंशु ने दैनिक जागरण को बताया, सूर्य के रहस्य को समझना कठिन है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इसके बारे में जानने का यत्न कर रहे हैैं। सूर्य की गतिविधियों और धरती पर पडऩे वाले प्रभाव को जानने के लिए यह यंत्र- रेडियो स्पेक्ट्रो पोलरीमीटर मैैंने विकसित किया, जो अब बेहतर परिणाम दे रहा है। शोधार्थी वैज्ञानिकों और छात्रों को इससे मदद मिल रही। यंत्र से ही पता चला कि चार साल में सूर्य पर 50 से अधिक विस्फोट हुए हैं।
उन्होंने बताया कि इस यंत्र को जून 2015 में रेडियो एस्ट्रोनॉमी फील्ड स्टेशन गौरीबिदानूर, कर्नाटक में स्थापित किया गया। इससे मिलने वाले परिणामों पर आधारित शोध 2019 में अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ है। यह यंत्र सूर्य से आने वाली विद्युत चुंबकीय तरंगों को रिकॉर्ड कर इनका आकलन करने में सहायता प्रदान करता है। इससे धरती के तापमान, मौसम, जनजीवन और ऐसे महत्वपूर्ण विषयों में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
चार साल में सूर्य पर 50 से अधिक विस्फोट हुए दर्ज
अंशु ने सूर्य के रेडियो वेवलेंथ, कोरोनल मास इजेक्शन और उससे जुड़े पांच बड़े विस्फोटों का अध्ययन किया। इन विस्फोटों के कारण हुए रेडियो एक्टिव उत्सर्जन और चुंबकीय तरंगों पर इसके प्रभाव के अलावा सूर्य के कोरोना (सतह) पर मैग्नेटिक फील्ड में आए परिवर्तन को समझने पर उनका शोध केंद्रित रहा। अब अंशु सूर्य पर होने वाले इन स्थलीय परिवर्तनों का अध्ययन कर रही हैं।
उन्होंने पता लगाया है कि जब सूर्य की मैग्नेटिक फील्डलाइन टूटती या जुड़ती है तो उसकी सतह पर विस्फोट होते हैं। कोरोनल मॉडलिंग से डाटा संग्रहण के जरिये वह उन संभावनाओं को जानने की कोशिश में हैं, जिनसे सूर्य की सतह पर होने वाली इन घटनाओं के कारण और समय की सही जानकारी मिल सके।
जंतु विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर चंद्रमा सिंह की बेटी अंशु बताती हैैं कि उन्हें बचपन से ही सूर्य में रुचि थी। मां सविता शिक्षा पदाधिकारी थीं, जिन्होंने अपनी लाडली को हमेशा प्रोत्साहन दिया।
सोलर रेडियो विकिरण और उसके प्रभाव पर शोध किया
पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल अनुमंडल निवासी अंशु ने 2012 में जयपुर से इंजीनियरिंग के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु से प्रो.आर. रमेश और डॉ. सी. कार्थीरावन के निर्देशन में सोलर रेडियो विकिरण और उसके प्रभाव पर शोध किया। पीएचडी 2019 में पूरी हुई। नीदरलैंड्स इंस्टीट्यूट फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी में वह सूर्य अध्ययन से प्रोजेक्ट पर काम चुकी हैैं।
सूर्य पर सबसे बड़े विस्फोट की मॉडलिंग पर कार्य कर रहीं हैं
वर्ष 2019 में इंटरनेशनल सेंटर फॉर थ्योरेटिकल फिजिक्स, इटली और इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस अर्थ इन्वायरमेंटल रिसर्च, नागोया यूनिवर्सिटी, जापान में आयोजित वर्कशॉप में इस अध्ययन को उन्होंने आगे बढ़ाया। फिलहाल, अंशु यूरोपियन शोध परिषद से मिले अनुदान से फरवरी 2020 से हेलसिंकी विश्वविद्यालय, फिनलैंड में शोधरत हैं। वहां वह कोरोनल मास एजेक्शन के नाम से ज्ञात सूर्य पर सबसे बड़े विस्फोट की मॉडलिंग पर कार्य कर रही हैं।
रेडियो स्पेक्ट्रो पोलरीमीटर से सूर्य की आंतरिक गतिविधियों और तापमान को आसानी से मापा जा सकता है। यह उपकरण सूर्य की सतह पर होने वाली रेडियो एक्टिविटी हलचल और चुंबकीय तरंगों को रिकॉर्ड करता है।
-अंशु कुमारी, रिसर्चर, हेलसिंकी विश्वविद्यालय, फिनलैैंड