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पवित्र सीताकुंड धाम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की उठी आवाज

मोतिहारी । श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होने के साथ चंपारण में अवस्थित पैराणिक

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 11:15 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 07:14 AM (IST)
पवित्र सीताकुंड धाम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की उठी आवाज
पवित्र सीताकुंड धाम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की उठी आवाज

मोतिहारी । श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होने के साथ चंपारण में अवस्थित पैराणिक सीताकुंड धाम को सवांरने की मांग उठने लगी है। जनमानस में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम व जगतजननी माता सीता से जुड़ी धरोहरों को सजाने व सवांरने की आकांक्षा एक बार फिर से जीवनंत होने लगी है। अद्वितीय रामजन्म भूमि निर्माण के भूमि पूजन कार्य से यहां के लोगों में काफी हर्ष व उल्लास का माहौल कायम है। बुधवार की सुबह ग्रामीणों ने अपने स्तर से सीताकुंड धाम परिसर की साफ-सफाई की। वही मथुरा नगरी से पहुंचे ¨हदू राष्ट्र वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीर रंजन मुकु के नेतृत्व में बजरंग दल ने उक्त पवित्र स्थल व कुंड का निरीक्षण कर पूजा अर्चना की। मौके पर उपस्थित स्थानीय प्रबुद्ध एवं युवा वर्ग को संबोधित करते हुए श्री मुकु ने कहा कि श्रीराम व सीता से जुड़े स्थलों के विकास व रामायण सर्किट से जोड़ने को ले बजंरग दल कृत संकल्पित है। कर्यक्रम में पौराणिक सीताकुंड धाम को पर्यटन के मानचित्र पर लाने व रामायण सर्किट से जोड़ने विषय परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुमार प्रमोद नारायण ने की। मौके पर सीताकुंड मठाधीश नागा बाबा, पूर्व मुखिया अरुण कुमार गुप्ता, जयनाथ पांडेय, मुखिया संजय सहनी, मुकेश दास, नवीन गिरी, सुमन ¨सह, श्याम जायसवाल, विजय जायसवाल, उदय नरायण ¨सह, पवन उपाध्याय आदि उपस्थित थे। एक नजर में पौरणिक सीताकुंड धाम

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पूर्वी चंपारण जिले के चकिया प्रखंड अंतर्गत पीपरा रेलवे स्टेशन से दो किमी उत्तर दिशा में लगभग 25 एकड़ के विशाल भू-खंड में स्थित पैराणिक सीताकुंड धाम अपनी मनोरम स्वरूप के लिए सुप्रसिद्ध है। त्रेता युग से है जुड़ाव

जिले के प्रसिद्ध सीताकुंड धाम का जुड़ाव त्रेतायुग से है। यहां श्रीराम व माता सीता से जुड़ी हुई यादे बिखरी पड़ी है। प्राचीन धर्म ग्रंथों व जानकारों के अनुसार त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम व माता सीता की बारात जनकपुर से वापस अयोध्या लौट रही थी, तब नव विवाहिता की जोड़ी ने यहां विश्राम किया था। माता जानकी व भगवान राम के चौठारी की रस्म यही पूरी की गई। उस समय यह स्थल राजा जनक के भाई कुशध्वज का क्षेत्र हुआ करता था। पवित्र कुंड की है खास विशेषता

उक्त स्थल की एक खास व महत्वपूर्ण विशेषता पवित्र कुंड है। यह कुंड कभी सुखता नहीं है। ऐसी मान्यता है कि उक्त कुंड में माता ने स्वयं स्नान किया था। उसी समय से यह स्थल जनमानस के लिए श्रद्धा व भक्ति का केंद्र ¨बदु बना हुआ है।


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