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14 दिनों के अंदर दो डकैती, पुलिस के हाथ अब भी खाली

दरभंगा। जिले के दो थाना क्षेत्र में 14 दिनों के अंदर दो डकैती की घटनाएं घटी हैं। लेकिन, घटना के 22

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 11:26 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 11:26 PM (IST)
14 दिनों के अंदर दो डकैती, पुलिस के हाथ अब भी खाली
14 दिनों के अंदर दो डकैती, पुलिस के हाथ अब भी खाली

दरभंगा। जिले के दो थाना क्षेत्र में 14 दिनों के अंदर दो डकैती की घटनाएं घटी हैं। लेकिन, घटना के 22 दिनों बाद सफलता अब तक शून्य है। ऐसी स्थिति में घटना का उद्भेदन करना पुलिस के लिए चुनौती है। एक मामले का उद्भेदन हुआ नहीं कि दूसरे जगह पर डाका डाल दिया गया। घटना को अंजाम देकर बदमाशों ने एक तरह से पुलिस को खुली चुनौती दी है। 25 दिसंबर 2017 की रात एपीएम थाने क्षेत्र के पिपरौलिया गांव में बैद्यनाथ चौधरी और उनके छोटे भाई के यहां डकैतों ने लाखों की लूट की थी। इसके बाद सभी बदमाश पैदल ही फरार हो गए। इस मामले में पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली। अनुसंधान भी यथावत है। अर्थात ऐसी कोई कामयाबी नहीं मिली जिससे पुलिस को उम्मीद हो कि भविष्य में बदमाशों को पकड़ लिया जाएगा। इस घटना को लोग और पुलिस ठीक से भूल भी नहीं पाई कि मात्र 14 दिनों बाद 8 जनवरी 2019 की रात मनीगाछी थाने क्षेत्र के कन्हौली गांव में प्रभाष झा के घर डकैतों ने घटना को अंजाम दे दिया। दोनों ही घटना में मात्र एक अंतर था कि एपीएम थाने क्षेत्र में पीड़ित परिवार को बदमाशों ने सिर्फ हथियार दिखाया। जबकि, दूसरी घटना में गृहस्वामी प्रभाष झा को गोली मारकर घायल कर दिया और पत्नी पर लोहे के रॉड से प्रहार कर अधमरा कर दिया। जानकारों का मानना है कि पहली घटना में पुलिस की सुस्ती से ही दूसरी घटना को बदमाशों ने अंजाम दिया। अगर समय रहते पुलिस कार्रवाई करती अथवा पूर्व की घटना को देखते हुए पुलिस सतर्क रहती तो दूसरी घटना नहीं घटती। लेकिन, पहली घटना से दूसरे थानेदारों ने सबक लेना मुनासिब नहीं समझा।

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डॉग स्क्वायड की टीम भी रही फेल :

मनीगाछी थाने क्षेत्र के कन्हौली गांव में प्रभाष झा के घर हुई डकैती मामले में डॉग स्क्वायड की टीम ने पड़ताल की। लेकिन, कुछ सफलता नहीं मिली। ऐसी स्थिति में पुलिस अंधेरे में तीर मार रही है। हालांकि, पुलिस का कहना है कि बहुत जल्द घटना का उद्भदेन कर दिया जाएगा। लेकिन, आधार क्या है यह पुलिस बताने को तैयार नहीं है। जबकि, पुलिस ने हिरासत में लिए गए चार संदिग्धों को पूछताछ के बाद छोड़ चुकी है। माना जा रहा है कि इस तरह की घटना में किसी न किसी स्थानीय लोगों ने लाइनर का काम किया है। जिसे यह पता था कि बैंक बंद रहने के कारण गृहस्वामी रुपये जमा नहीं कर पाए हैं। यही कारण था कि डकैत बार-बार रुपये से भरा बैग खोज रहा था। इसकी जानकारी किसी नजदीक लोगों को ही हो सकती है कि रुपये बैग में है। पूर्वी चंपारण जिले के फेरी करने वाले 16 लोगों को पुलिस ने छोड़ा :

पुलिस ने मनीगाछी थाने के मामले में पूर्वी चंपारण जिले के संग्रामपुर गांव के फेरी कर सामान बेचने वाले 16 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। पांच दिनों के बाद भी जब कोई सफलता नहीं मिली तो सभी को पुलिस ने छोड़ दिया। बताया जाता है कि उपेंद्र गिरी के नेतृत्व में उसके गांव के 16 लोग घटना की रात सकरी के पास एक लाइन होटल पर ठहरे हुए थे। उन लोगों के पास से पुलिस ने एक पिकअप वैन, दो बाइक और आठ साइकिल भी बरामद किया था। सभी ने फेरी लगाकर चप्पल और कॉपी बेचने की बात कही। स्थिति संदिग्ध लगने पर सभी को हिरासत में लिया गया। पूछताछ में जब सफलता नहीं मिली तो यहां की पुलिस पूर्वी चंपारण पुलिस से सभी के चरित्र का सत्यापन कराया। बताया गया कि ये लोग वर्ष के आधे दिन देवघर में रहते हैं और आधे दिन फेरी कर सामान बेचते हैं। इसके बाद सभी को छोड़ दिया गया।


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