नदियों के जलस्तर में वृद्धि से बढ़ी मुश्किलें
कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड क्षेत्र में मंगलवार की रात से कमला बलान और करेह नदी उफान पर है। नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है।
दरभंगा। कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड क्षेत्र में मंगलवार की रात से कमला बलान और करेह नदी उफान पर है। नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। जिससे यहां के लगभग साठ हजार आबादी की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। पहले सिर्फ इटहर पंचायत ही बाढ़ से प्रभावित था। लेकिन जलस्तर में वृद्धि होने से इटहर, उसड़ी, उजुआ सिमरटोका, तिलकेश्वर और सुघराइन पंचायत के दर्जनों गांव बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित हो गया है। घर में पानी घुस जाने से लोग सुरक्षित जगहों की तलाश में है। तटबंध के गर्भ में होने के कारण इटहर पंचायत के चौकिया, विशुनिया पोखर और लक्ष्मीनियां मुसहरी गांव के लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। पति गए परदेश, चंद्रिका को सता रही सिर ढंकने की ¨चता :
बुधवार को जागरण टीम ने बाढ़ प्रभावित गांवों का मुआयना किया। कमला बलान पश्चिमी तटबंध पर चौकिया की चन्द्रिका देवी ग्रामीणों के सहयोग से अपना आशियाना बना रही थी। चन्द्रिका देवी ने नम आंखों से बताया कि पति पिताम्बर पासवान परदेश में रोजी रोटी कमाने गया है। अपने दो बच्चे और तीन मवेशी के साथ यहां रहती है। पानी के तेज बहाव में उसका घर नदी में विलीन हो गया है। तटबंध पर सिर ढकने के लिए घर बना रही है तो तटबंध ठेकेदार घर नहीं बनाने दे रहा है। इसकी शिकायत संबंधित अधिकारी को भी की। कोई कुछ नहीं कर रहा है। इस स्थिति में हम गरीब लोग अपने छोटे छोटे बच्चे और मवेशी को लेकर आखिर कहां जाएं। चौकिया के राजकुमार पासवान, विपिन राय, किशमोहन पासवान, सुरेन्द्र राय, विनोद राय सहित दर्जनों लोग बताते हैं कि जब से तटबंध का निर्माण यहां हुआ है तब से हमलोगों की जिन्दगी नरक से भी बढ़कर हो गई है। हमलोगों को अब नाव ही एक मात्र साधन है। अभी तक एक भी सरकारी नाव नहीं मिली है। प्राइवेट नावों से दस रुपये देकर तटबंध से अपने घर आते हैं। मवेशी के लिए चारा नहीं मिल रहा है। गांव के दोनों तरफ से नदी की धारा बन गई है। नदी में तेज वेग के कारण कई घरों में कटाव हो रहा है और कई घर तो नदी की गोद में समा गए है। अब तक ना तो कोई जनप्रतिनिधि और ना ही कोई अधिकारी हमलोगों की सुध तक नहीं लेने पहुंचा है। कमाल की बात यह है कि विगत वर्ष आयी बाढ़ में हुए फसल क्षति का मुआवजा सभी पंचायतों को लगभग मिल गया है। इटहर में बाढ़ दोबारा भी आ गया लेकिन अभी तक हमलोगों को फसल क्षति का मुआवजा नहीं मिल पाया है।