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संरक्षण व पोषण के अभाव में नहीं रूकी पौधों की बर्बादी

दरभंगा। जिले में हरियाली क्षेत्र का दायरा दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है। हालांकि अभी आदर्श स्थिति नहीं बनी है। इसका दायरा राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है। फिलहाल जिले के कुल भूभाग का करीब 17-18 फीसद हरियाली क्षेत्र है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 01:00 AM (IST)
संरक्षण व पोषण के अभाव में नहीं रूकी पौधों की बर्बादी
संरक्षण व पोषण के अभाव में नहीं रूकी पौधों की बर्बादी

दरभंगा। जिले में हरियाली क्षेत्र का दायरा दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है। हालांकि, अभी आदर्श स्थिति नहीं बनी है। इसका दायरा राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है। फिलहाल जिले के कुल भूभाग का करीब 17-18 फीसद हरियाली क्षेत्र है। इसके पीछे वजह पिछले कई वर्षों से लगातार पौधारोपण को लेकर लोगों के बीच आई जागरूकता है। लगातार अभियान चलाकर हरियाली को बढ़ावा देने के लिए शहरी से लेकर ग्रामीण इलाकों में पौधरोपण किया गया। जिला प्रशासन भी इस दिशा में काफी सजग रहा। इसके साथ ही ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय एवं कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय की ओर से भी पौधारोपण को काफी हद तक बढ़ावा दिया गया। इन सब के अलावा विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों व राजनीतिक दलों ने भी इस अभियान में अपना योगदान दिया। हालांकि, जिस स्तर पर पौधारोपण किया गया, वह उतना प्रभावी नहीं हो सका जितनी उम्मीद थी।

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जितने पौधे लगाए गए, संरक्षण व पोषण के अभाव में उनमें से अधिकांश पौधे पेड़ नहीं बन सके। विभागीय आंकड़ों के अनुसार करीब 15 फीसद पौधे बर्बाद हुए। लेकिन, वास्तविकता में यह आंकड़ा 30 से 35 फीसद तक पहुंच चुका है। जिले का कुल क्षेत्रफल करीब 2279 वर्ग किमी है। इनमें से हरियाली क्षेत्र के रूप में करीब 380 वर्ग किमी का क्षेत्र माना जा रहा है। राष्ट्रीय औसत के अनुसार जिले के कुल क्षेत्रफल का करीब 33 फीसद यानी की 752 वर्ग किमी क्षेत्र हरियाली क्षेत्र होना चाहिए। सो, इस खाई को पाटने में जिला प्रशासन व वन विभाग के अलावा सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाएं लगी हैं।

पौधारोपण को लेकर सजग रहा लनामिविवि : स्थानीय ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय पौधारोपण को लेकर हाल के वर्षों में काफी सजग रहा है। विश्वविद्यालय परिसर पूर्व से ही शहर का प्रमुख हरियाली क्षेत्र माना जाता रहा है। यहां के नरगौना परिसर में दरभंगा राज की ओर से लगाए गए विभिन्न प्रजातियों के हजारों पौधे उपलब्ध हैं। हालांकि, इन पौधों की संख्या में कमी आई है। परिसर में लगे चंदन के पेड़ धीरे-धीरे विलुप्त हो गए। चंदन पेड़ों की चोरी को लेकर थाने में कई प्राथमिकियां भी दर्ज हुई। लेकिन, आज तक उनमें पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली। हाल के वर्षों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर विश्वविद्यालय की एनसएस इकाई की ओर से वृहत पैमाने पर पौधारोपण किया गया। ना केवल विश्वविद्यालय परिसर में, बल्कि परिसर के बाहर विभिन्न कॉलेजों के स्तर पर भी पौधारोपण किए गए। विवि के एनएसएस समन्वयक डॉ. आनंद प्रकाश गुप्ता ने बताया कि पिछले साल विश्वविद्यालय कैंपस में करीब 16 सौ पौधे लगाए गए। पौधे लगाने के साथ ही उनकी सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा गया। आवारा पशुओं से पौधों को बचाने के लिए उनके चारों तरफ घेरा भी बनाया गया। बावजूद, करीब 150 पौधे बर्बाद हो गए। शेष पौधे सही सलामत हैं और उनकी पूरी सुरक्षा की जा रही है।


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