पीजी डॉक्टरों की हड़ताल से बैरंग लौटे ढाई हजार मरीज
नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल के विरोध में हड़ताल के 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि डीएमसीएच के पीजी डॉक्टर शुक्रवार की सुबह आठ बजे से हड़ताल पर चले गए।
दरभंगा। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल के विरोध में हड़ताल के 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि डीएमसीएच के पीजी डॉक्टर शुक्रवार की सुबह आठ बजे से हड़ताल पर चले गए। इसमें करीब 350 पीजी डॉक्टर शामिल हैं। हड़ताल में एमबीबीएस के छात्र भी शामिल हैं। इससे ओपीडी, लेबर रूम और इमरजेंसी वार्ड में उपचार व्यवस्था चरमरा गई है। ओपीडी से करीब ढाई हजार मरीज और इमरजेंसी वार्ड से करीब एक सौ मरीज बैरंग लौट गए। मरीज आक्रोशित थे। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जेडीए) के नेतृत्व में पीजी डॉक्टरों ने नारे लगाते हुए ओपीडी और इमरजेंसी वार्ड में ताले जड़ दिए। ड्यूटी पर आए वरीय डॉक्टर वापस लौट गए। ऑपरेशन थिएटर, पैथोलॉजिकल एवं रेडियोलॉजिकल जांच घर, गायनिक वार्ड के ओपीडी और लेबर रूम को बंद करा दिया गया। पीजी डॉक्टर इमरजेंसी वार्ड के समक्ष धरने पर बैठ गए। आम सभा की। मरीजों का हुजूम परिसर में जमा हो गया। उपचार नही होते देख मरीज निजी नर्सिंग होम की ओर पलायन कर गए।
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फोटो: 2 डीआरजी 29 से 32
गरीब को देखने वाला कोई नहीं
सोनकी गांव से ओपीडी में आए मदन सदाय ने बताया कि उनका छह साल का बच्चा सर्दी और खासी से दस दिनों से परेशान है। डॉक्टरों की हड़ताल से उसके ऊपर पहाड़ टूट गया है। उनके पास आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, वह जाए तो जाए कहा। गरीब को देखने वाला कोई नहीं है। बेनीपटटी नवटोल गांव के रूदल झा ने बताया कि बार बार हड़ताल से जनता परेशान है। वह 15 दिनों से बीमार है। गांव में कई डॉक्टरों से जांच पड़ताल कराए थे। वह बड़ी आशा से डीएमसीएच में आए थे। घनश्यामपुर के गलमा की नीलम देवी गायनिक वार्ड में जांच कराने आई थी। अत्यधिक रक्तश्राव से परेशान है। निजी नर्सिंग होम में जाने की औकात नहीं है। अलीनगर के कसरौल निवासी पुष्पक कुमार झा गंभीर रूप से बीमार हैं। कई डॉक्टरों से जांच पड़ताल कराए लेकिन सुधार नहीं हुआ तो आज डीएमसीएच आए थे। डॉक्टरों की स्थिति देख अवाक हैं।