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शौचालय निर्माण का काम था कागज पर, पंचायतें हो गईं ओडीएफ घोषित

दरभंगा। प्रखंड की 16 पंचायतों को खुले शौच से मुक्ति दिलाने की कोशिश अव्यवस्था के चक्कर में अब भी अधूरी है। हालांकि तत्कालीन मुखिया की रिपोर्ट के आधार पर पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 11:48 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 11:48 PM (IST)
शौचालय निर्माण का काम था कागज पर, पंचायतें हो गईं ओडीएफ घोषित
शौचालय निर्माण का काम था कागज पर, पंचायतें हो गईं ओडीएफ घोषित

दरभंगा। प्रखंड की 16 पंचायतों को खुले शौच से मुक्ति दिलाने की कोशिश अव्यवस्था के चक्कर में अब भी अधूरी है। हालांकि, तत्कालीन मुखिया की रिपोर्ट के आधार पर पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। बावजूद इसके अब भी प्रखंड की कुछ पंचायतों के लोगों को शौचालय निर्माण के लिए राशि नहीं मिल पाई है। नतीजा काम अधूरा है। याद रहे कि वर्ष 2018-19 में कुल 26000 शौचालय निर्माण कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लक्ष्य 2020 तक पूरा कराया गया, लेकिन लोचा यह हो गया कि अधिकांश पंचायतों को तत्कालीन मुखिया के रिपोर्ट पर प्रशासनिक पदाधिकारियों ने वर्ष 2019 में ही ओडीएफ घोषित कर दिया। इस बीच लक्ष्य पूरा होने की घोषणा के बाद भी 5000 लोग शौचालय से वंचित से वंचित रह गए। विभिन्न पंचायतों के संबंधित लोगों ने वरीय पदाधिकारियों के निर्देश पर शौचालय का निर्माण कराकर 12000 रुपये की सहायता राशि पाने के लिए अपना अपना आवेदन प्रखंड समन्वयक के कार्यालय में जमा किया। पिछले आठ महीनों से जमा आवेदन पर अबतक कोई फैसला नहीं हो सका है। राशि पाने के लिए प्रखंड समन्वयक व कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं।

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फर्जी तरीके से भी हुआ राशि का उठाव प्रखंड की जरिसो, गणेश बनौल बलनी, सजनपुरा, देवराम अमैठी, शिवराम सहित आधा दर्जन से अधिक पंचायतों के कई गावों के तीन दर्जन से अधिक गरीब परिवार सरकार की इस योजना से वंचित हैं। इनका कहना है- अभी भी वो लोग शौचालय की सुविधा से वंचित हैं। इसके कारण महिलाएं शाम ढलते ही अपने-अपने गांव व टोला की सड़क के किनारे खुले में शौच करने के लिए विवश हैं। बताते हैं कि वर्ष 2018 में एक सौ से अधिक लोगों ने अपने अपने घरों में निजी स्तर पर पूर्व में बनवाए गए शौचालयों का फोटो स्वच्छताग्रहियों की मिलीभगत से खींचकर फर्जी तरीके से 12000 रुपयों का उठाव कर लिया। हालांकि इस मामले की जांच बेनीपुर के तत्कालीन प्रखंड समन्वयक द्वारा किया गया था, लेकिन जांच के बाद भी कुछ नहीं हुआ। आरोप है कि प्रति शौचालय 2000 रुपये की वसूली कर मामले को दबा दिया गया। जिन्हें नहीं मिली राशि उनकी कराई जा रही जियो टैगिग प्रखंड समन्वयक अरविद कुमार का कहना हैं कि शौचालय निर्माण का कार्य कराने के बाद जिनलोगों के खाते में 12 हजार रुपये नहीं गए हैं, उनकी जियो टैगिग कराकर उनके खाते में जल्द ही उक्त राशि भिजवाई जाएगी। जिन गरीबों के पास शौचालय निर्माण कार्य कराने के लिए जमीन नहीं हैं, वैसे गरीबों के टोला को चिन्हित कर सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया गया हैं। फर्जी तरीके से शौचालय निर्माण का रुपया उठाने बालों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी। -


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