मिथिलांचल के जायके में नीरा के गुड़ की मिठास से बना रसगुल्ला होगा शामिल
दरभंगा। मिथिलांचल के जायके में रसगुल्ला का अपना एक अलग ही महत्व है।
दरभंगा। मिथिलांचल के जायके में रसगुल्ला का अपना एक अलग ही महत्व है। बिना रसगुल्ला कोई भी भोज का आयोजन सफल नहीं माना जाता। अब तक मिथिलांचल के लोगों ने केवल चीनी की चासनी में बनाए गए रसगुल्ले का स्वाद चखा है। जल्द ही 'नीरा' से बने गुड़ के रसगुल्ले का स्वाद मिथिलांचल में अपनी मिठास घोलने जा रहा है। इसको लेकर जिला प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। इससे जहां एक ओर जिले में ताड़ी व्यवसाय से जुड़े लोगों की जिदगी संवरेगी, वहीं इस व्यवसाय से जुड़े लोग सैकड़ों लोगों अब सीधे 'नीरा' उत्पादन से जुड़ जाएंगे। इसे बेचकर वे अच्छी-खासी कमाई कर सकेंगे। साथ ही बचे नीरा से गुड़ बनाया जाएगा। इसका उपयोग रसगुल्ला बनाने में किया जाएगा।
गांव स्तर पर इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को पहले प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके बाद इसकी मार्केटिग करने के तरीके बताए जाएंगे। साथ ही ईंख की तरह नीरा से गुड़ बनाने की विधि बताई जाएगी यानी एक उत्पाद से कई उत्पादों का निर्माण कर कई परिवारों को आर्थिक रूप से सबल बनाया जाएगा। नीरा बिक्री को लेकर बनाए जाएंगे 33 सेल प्वाइंट
जिले में ताड़ी व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों परिवार अब तक ताड़ के पेड़ से केवल ताड़ी उतारकर उसे बाजार में बेचा करते थे, लेकिन राज्य सरकार ने ताड़ी से नीरा बनाकर इसे बाजार में उतारने का निर्णय लिया है। इसके तहत पुराने पारंपरिक तरीके से हटकर इस व्यवसाय को किया जाएगा। इसके लिए सबसे पहले तार के पेड़ पर लगाए जाने वाले लवनी पर प्रतिदिन चूने के घोल का लेप लगाया जाएगा। फिर सूर्य की रौशनी पड़ने से पूर्व ताड़ के पेड़ से नीरा को उतारा जाएगा। इसे सीधे बाजार में उतारा जाएगा। इसके लिए करीब तीन दर्जन सेल प्वाइंट बनाए जाएंगे। इनमें कुछ स्थाई तो कुछ चलंत होंगे। इन सेल प्वाइंट पर एक पीएस मशीन लगाई जाएगी। पीएस मीटर को जब उत्पाद में डाला जाएगा तो यह पता चलेगा कि क्या यह नीरा है या फिर ताड़ी। एक निर्धारित आंकड़े से इसका पता चलेगा। शेष बचे नीरा से गुड़ बनाया जाएगा। शरीर पर नीरा का प्रभाव
मनुष्य के शरीर पर नीरा का सकारात्मक प्रभाव है। जानकार बताते हैं कि सूर्य की रौशनी से पूर्व ताड़ के पेड़ से उतारा जाने वाला यह उत्पाद मनुष्य के शरीर के काफी लाभकारी है। इसका सेवन करने से शरीर से स्फूर्ति आती है। खासकर पीत और अन्य तरह के कुछ रोगों में इसका सेवन काफी कारगर है। साथ ही यह पेट के काफी लाभकरी है। वहीं, यह पूरी तरह से आर्गेनिक है।
नीरा से ऐसे बनाया जाएगा गुड़
जीविका के डीपीएम मुकेश कुमार सुधांशु ने बताया कि जैसे ईख के रस से गुड़ बनाया जाता है, ठीक उसी प्रकार नीरा से गुड़ बनाया जाएगा। इसको लेकर गांव स्तर पर इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा।