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मेयर ने की सरकारी वाहन से यात्रा, बढ़ सकती मुश्किल

सरकारी खजाने से डीजल राशि का उठाव नगर निगम के मेयर को भारी पड़ सकता है। सरकार ने साफ कर दिया है कि जब निगम के मेयर को यात्रा भत्ता दिया जा रहा तो फिर ये किसी भी स्थिति में विभाग से डीजल नहीं ले सकते। नहीं विभागीय गाड़ी का उपयोग कर सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 01:24 AM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 06:12 AM (IST)
मेयर ने की सरकारी वाहन से यात्रा, बढ़ सकती मुश्किल
मेयर ने की सरकारी वाहन से यात्रा, बढ़ सकती मुश्किल

दरभंगा। सरकारी खजाने से डीजल राशि का उठाव नगर निगम के मेयर को भारी पड़ सकता है। सरकार ने साफ कर दिया है कि जब निगम के मेयर को यात्रा भत्ता दिया जा रहा तो फिर ये किसी भी स्थिति में विभाग से डीजल नहीं ले सकते। नहीं विभागीय गाड़ी का उपयोग कर सकते हैं। इस सिलसिले में नगर विकास व आवास विभाग की ओर से 19 नवंबर 2019 को जारी पत्र (पत्रांक 5) के आलोक में डीजल व वाहन देने की प्रक्रिया पर रोक लग गई है।

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वहीं पूर्व में नियमों को ताक पर रख दोहरा लाभ लेने वाले मेयर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बताया गया है कि स्थानीय नगर निगम में वर्षों से मेयर और डिप्टी मेयर दोनों ही लाभ लेते रहे हैं। लिहाजा ये दोनों ही नए आदेश के बाद जांच की जद में हैं। दूरी से ज्यादा डीजल का उठाव

डीजल मद में वर्षों से खर्च राशि घोटाले की ओर इशारा कर रहा है। बताते हैं कि मेयर जिस वाहन का उपयोग कर रहे हैं। वाहन में प्रतिमाह जितने डीजल का उठाव होता है, वह अचंभित करने वाला है। कार्यालय से मेयर आवास की दूरी मात्र दो किमी है। यदि, प्रतिदिन दो बार भी कार्यालय से आवास तक उनकी यात्रा होती हैं तो मुश्किल से एक माह में 10 से 15 लीटर डीजल खर्च होगा। लेकिन, पूर्व के महीनों में तो प्रतिमाह 50 लीटर से भी ज्यादा डीजल का उठाव हुआ है। पूर्व में मचा था हंगामा, जांच में खुली थी कलई याद रहे कि दैनिक जागरण ने इस गड़बड़ी का पर्दाफाश किया था। मामला सामने आने पर पार्षदों ने काफी हंगामा किया था। इसकी जांच तीन सदस्यीय कमेटी ने की थी। ड्राइवर और कैशियर दोषी माने गए। दोनों के वेतन से राशि वसूली गई। डीएम ने भी कराई थी जांच

इस जांच के बाद पार्षदों का एक शिष्टमंडल तत्कालीन डीएम से मिला। डीएम ने एक खास टीम से मामले की जांच कराई। टीम ने जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी। हालांकि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई। मेयर ने कहा - चालक ने की गड़बड़ी

तब मेयर ने बार-बार यह कहा कि उनके तत्कालीन ड्राइवर ने इसमें गड़बड़ी की। लॉग बुक भी जांच कमेटी को नहीं मिली। धीरे-धीरे यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। बंदोबस्ती में गड़बड़ी भी उजागर

उधर, 29 जनवरी को नगर विकास एवं आवास विभाग के अपर सचिव सह उप निदेशक विनोदानंद झा ने जिलाधिकारी को निगम के शौचालय की बंदोस्बती में अनियमित रूप से बंदोबस्ती राशि में 27 लाख 19 हजार की छूट देने के मामले में कार्रवाई की बात कहीं है। डीएम को दो दिनों के अंदर तत्कालीन मेयर सहित सशक्त स्थायी समिति के सभी सदस्य और नगर आयुक्त के विरुद्ध कार्रवाई को ले उनका नाम और पत्राचार पता उपलब्ध कराने को कहा है।

इसके बाद जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने नगर आयुक्त से सभी मामलों की जानकारी मांगी है।


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