डॉक्टरों की कमी से हांफ रहा अनुमंडलीय अस्पताल, नहीं मिल रही पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं
दरभंगा । चिकित्सकों व संसाधनों की घोर कमी के कारण 75 बेड वाले बेनीपुर अनुमंडलीय अस्पताल में मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही है।
दरभंगा । चिकित्सकों व संसाधनों की घोर कमी के कारण 75 बेड वाले बेनीपुर अनुमंडलीय अस्पताल में मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही है। अस्पताल मरीजों का प्राथमिक उपचार कर डीएमसीएच रेफर करने वाला अस्पताल बनकर रह गया है। बताया जाता है कि 30 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन अस्पताल महज आधा दर्जन डॉक्टरों के सहारे चल रहा है। इसी तरह पचास ए ग्रेड के नर्सों की पद स्वीकृत रहने के बावजूद मात्र 17 कार्यरत हैं। अस्पताल में महिला चिकित्सकों की घोर कमी के कारण यहां अधिकांश प्रसूता का इलाज नर्स ही करती हैं। चिकित्सकों की कमी के कारण अस्पताल के शिशु विभाग, हड्डी विभाग, औषधि विभाग सहित विभिन्न विभागों में ताला लटका हुआ है। शौचालय गंदगी से भरे पड़े हैं। यहां भर्ती होने वाले मरीजों को घटिया किस्म का भोजन दिया जाता है। अस्पताल में जेनरेटर सेवा, मरीजों का भोजन व साफ-सफाई का जिम्मा एनजीओ के हवाले है। फर्जी वाउचर बनाकर बड़े पैमाने पर सरकारी राशि का बंदरबांट करने की जुगत में लगने की बात कही जा रही है। अस्पताल से मरीजों को अधिकांश दवा नहीं मिलती है। डॉक्टरों व दवा दुकानदारों की मिलीभगत के कारण अधिकांश दवा मरीजों को दवा दुकानों से ही खरीदनी पड़ रही है। बता दें कि अस्पताल का उदघाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2009 में अर्धनिर्मित अवस्था में ही दरभंगा से रिमोट से कर दिया था। अस्पताल को चकाचक करवाने का आश्वासन राज्य के कई दिग्गज नेता देते रहे हैं, लेकिन स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती ही जा रही है। दैनिक जागरण टीम ने शुक्रवार को ऑन द स्पॉट अस्पताल का जायजा लिया तो कई खामियां उजागर हुई।
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दवाओं के लिए दुकान का चक्कर काटते मरीज व परिजन :
दिन के 10 बजे संजीवनी डाटा ऑपरेटर दीपक कुमार व सोनी कुमारी मरीजों का पुर्जा काउंटर पर काट रहे थे। कर्मी रमण कुमार बैठा भी मौजूद थे। नेत्र सहायक राजकमल, एक्सरे तकनीशियन संजय कुमार, लाइव तकनीशियन कृष्ण माधव व्यास, धीरेंद्र कुमार अपने कक्ष में मौजूद थे। 10.30 बजे अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. आरसी झा अपने कक्ष में मौजूद थे। डॉ. एके चौधरी ओपीडी में मरीजों को देख रहे थे। स्वास्थ्य प्रबंधक मुज्जफर निषाद प्रभारी उपाधीक्षक के कमरे में कार्य कर रहे थे। 11 बजे इमरजेंसी कक्ष के बाहर खडी देवना गांव की एक महिला शकुंतला देवी का कहना था कि कुछ दवा तो अस्पताल से मिल रहा है, लेकिन अधिकांश दवाएं मरीजों को बाहर से ही खरीदनी पड़ रही है। इमरजेंसी वार्ड में भर्ती भोलिया देवी का कहना था कि बगल के शौचालय में गंदगी का अंबार है। महिला चिकित्सक नहीं रहने के कारण महिला मरीजों का इलाज नर्स ही कर रही है। नर्स कक्ष में घनदाय देवी व रंजना कुमारी सहित अधिकांश ए ग्रेड नर्स मौजूद थी। 12 बजे अस्पताल के एक्स-रे कक्ष में मरीजों का एक्सरे हो रहा था। अस्पताल के मुख्य द्वार पर एंबुलेंस लगी थी। कई मरीजों को दवा दुकानदार अपने ही दुकान में दवा लेने के लिए कह रहे थे।