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मिट रहा 150 साल पुराने तालाब का अस्तित्व

दरभंगा। जल ही जीवन है। जल है तो कल है। जल नहीं रहने से धरती पर सूखे का प्रकोप होगा और

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 12:15 AM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 12:15 AM (IST)
मिट रहा 150 साल पुराने तालाब का अस्तित्व
मिट रहा 150 साल पुराने तालाब का अस्तित्व

दरभंगा। जल ही जीवन है। जल है तो कल है। जल नहीं रहने से धरती पर सूखे का प्रकोप होगा और सबकुछ नष्ट हो जाएगा। ये सारी बातें हम जानते हैं। लेकिन जल संरक्षण की दिशा में काम नहीं कर पाते। नतीजा गांव से लेकर शहर तक पुराने और ऐतिहासिक जलस्त्रोत समाप्त हो रहे हैं। न तो हम अपने वर्तमान पर सूखे की छाया देख पा रहे नहीं अपने पूर्वजों की ओर से किए गए प्रयासों को ही संभाल पा रहे हैं।

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पूर्वजों ने कराई तालाब की खुदाई, वर्तमान पीढ़ी कर रही अतिक्रमण, पानी हो रहा दूषित

इतिहास बताता है कि कैसे पहले के जमाने में जल संरक्षण के लिए बड़े-बडे जमींदार अपनी जमीन पर तालाब खुदाई कराकर उसे सार्वजनिक उपयोग में लाने की इजाजत देते थे और जल संरक्षण की दिशा में एक को देख दूसरे व्यक्ति काम करते थे। स्थानीय लोग बताते हैं पहले के जमाने चापाकल व बोरिग नहीं थे। सभी कार्य तालाब से ही होते थे। जब से चापाकल या बोरिग का प्रचलन बढ़ा क्षेत्र के अधिकांश तालाब प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो गए। जिनके घर तालाब के किनारे हैं वहीं तालाबों को अतिक्रमित कर रहे हैं। इसका एक ज्वलंत उदाहरण है हाबीभौआर स्थित नबकी पोखरा। इसके किनारे बसे लोगों ने धीरे-धीरे पोखरा की जमीन को भरकर केले का बगीचा आदि लगाना शुरू कर दिया है। पोखरा में शौचालय एवं नाले का गंदा पानी बहाया जा रहा है। इस कारण इसका पानी दूषित हो रहा है। 1967 के अकाल में तालाब के मालिक ने कराई थी सफाई:

बेनीपुर के हाबीभौआर स्थित नवकी पोखरा अतीत स्वर्णिम है। इसकी खुदाई करीब 150 साल पहले बाथो गांव के कुलदीप राय एवं जुगल राय ने जल संरक्षण के लिए छह एकड़ में कराई। जबतक यह तालाब निजी हाथों में था तबतक सफाई होती रही। लेकिन, इसके सरकारीकरण के साथ इसकी हालत खराब होने लगी। ग्रामीण सत्यनारायण ठाकुर, राम कुमार झा, मनोज कुमार झा, देवचंद्र ठाकुर आदि ने बताया कि पूर्व जमाने में पानी के अभाव में लोग तालाब की खुदाई कराते थे। लेकिन, आज सरकारी सैरातों के पोखर का अतिक्रमण कर लोग उसका अस्तित्व समाप्त कर रहे हैं। बताते हैं कि 1967 में जरबदस्त अकाल पड़ा था। उस समय इस पोखर के मालिक ने उड़ाही कराई थी। यदि पोखरा को अतिक्रमण से मुक्त नहीं कराया गया तो आनेवाले समय में पोखरा का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। बोले सीओ : बेनीपुर के अंचल अधिकारी भुवनेश्वर झा बताते हैं- अमीन की कमी के कारण सैरातों की नापी नहीं हो रही है। सभी सरकारी तालाबों की सूची बनाकर अतिक्रमणकारियों के खिलाफ नोटिस करेंगे। नहीं मानने पर संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी। अतिक्रमण हर हाल में हटाएंगे।


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