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कोरोना संक्रमण के खतरों से लड़ने की जिद संग ग्रामीण मजदूर कर रहे खुद का रोजगार

इस बार साल के आरंभ में ही कोरोना संक्रमण के फैलते खतरों ने लोगों को बेरोजगार की ओर धकेलने की कोशिश की है। इन सबके बीच सबसे ज्यादा संकट झेल रहे दिहाड़ी मजदूरों ने विकल्प तलाशना शुरू किया है। विभिन्न स्तरों पर काम की किल्लत के बीच मजदूरों ने रोज की कमाई के अनुरूप स्वयं के स्तर पर रोजगार शुरू किया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 11:29 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 11:29 PM (IST)
कोरोना संक्रमण के खतरों से लड़ने की जिद संग ग्रामीण मजदूर कर रहे खुद का रोजगार
कोरोना संक्रमण के खतरों से लड़ने की जिद संग ग्रामीण मजदूर कर रहे खुद का रोजगार

दरभंगा । इस बार साल के आरंभ में ही कोरोना संक्रमण के फैलते खतरों ने लोगों को बेरोजगार की ओर धकेलने की कोशिश की है। इन सबके बीच सबसे ज्यादा संकट झेल रहे दिहाड़ी मजदूरों ने विकल्प तलाशना शुरू किया है। विभिन्न स्तरों पर काम की किल्लत के बीच मजदूरों ने रोज की कमाई के अनुरूप स्वयं के स्तर पर रोजगार शुरू किया है। स्थानीय लोग बताते हैं कि प्रखंड क्षेत्र में कोरोना संक्रमण बढ़ने का सीधा असर रोज कमाने खानेवाले मजदूरों पर पड़ रहा है। वजह यह कि महामारी के डर से गांव में कोई काम नहीं करा पा रहा है। नतीजा किसी के भी घर बाहरी कामगार को काम के लिए नहीं बुलाया जा रहा है।

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ऊपर से दूसरे प्रदेशों में काम करनेवाले मजदूर कोरोना संक्रमण के अपने घरों को लौट रहे हैं। मजदूरों ने इस योजना के तहत काम किया है कि पिछले कोरोना में लाकडाउन के कारण जो परेशानी हुई थी वह परेशानी फिर से नहीं हो। सो, समय से सभी घर लौट रहे है। पुनाछ गांव लौटे मजदूर संतोष सहनी दिल्ली में 12 हजार रुपये प्रति महीने वेतन पर निजी कंपनी में काम कर रहे थे। दिल्ली में संक्रमण फैला तो घर लौटे हैं। कहते हैं- अब गांव में ही साहूकार से 10 हजार रुपए कर्ज लेकर बर्तन बेचने का काम शुरू किया है। गांव -गांव में घूम घूम कर बर्तन बेच रहे हैं।

परसरमा गांव दर्जनों प्रवासी मजदूर कहते हैं- संक्रमण ने रोजगार पर संकट खड़ा कर दिया है। काम ढूंढ रहे हैं, ताकि परिवार के सदस्यों के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो सके। रोजगार नहीं मिल रहा है। सरकार गांव में रोजगार के लिए मनरेगा पर जोर दे रही है, लेकिन धरातल पर इसका असर दिखाई देने में समय लगेगा। लाकडाउन-1 के दौरान लौटे प्रवासी मजदूरों को अबतक रोजगार से नहीं जोड़ा जा सका है। लक्ष्मण सदा ने कहा एक माह पूर्व ही हरियाणा काम करने गए थे। कोरोना महामारी के कारण घर लौटे तो यहां कोई रोजगार नहीं मिला। दिलचन मुखिया पंजाब में किसान के यहां काम कर रहे थे। सुरेश सदा वकील सदा, जीवक्ष सदा, महाराष्ट्र में जिस कंपनी में काम कर रहे थे। कोरोना के कारण कंपनी बंद होने से एक बार फिर घर वापस लौटना पड़ा। अब कोशिश कर रहे हैं कि कुछ भी करके परिवार वालों के साथ जीवन-यापन करें। -


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