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रेडियोथेरेपी तकनीक प्रारंभिक चरण के कैंसर के लिए सर्जरी के बराबर

सीएम साइंस कालेज के जंतु विज्ञान विभाग के तत्वावधान में रिसेंट ट्रेंड्स इन कैंसर रिसर्च एंड इट्स मैनेजमेंट विषय पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के दूसरे दिन वर्चुअल मोड में देश-विदेश से जुड़ने वाले विशेषज्ञों ने कैंसर अनुसंधान एवं इसके प्रबंधन के क्षेत्र में हो रहे कार्यों की जानकारी साझा की।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 May 2022 01:20 AM (IST)Updated: Fri, 13 May 2022 01:20 AM (IST)
रेडियोथेरेपी तकनीक प्रारंभिक चरण के कैंसर के लिए सर्जरी के बराबर
रेडियोथेरेपी तकनीक प्रारंभिक चरण के कैंसर के लिए सर्जरी के बराबर

दरभंगा । सीएम साइंस कालेज के जंतु विज्ञान विभाग के तत्वावधान में रिसेंट ट्रेंड्स इन कैंसर रिसर्च एंड इट्स मैनेजमेंट विषय पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के दूसरे दिन वर्चुअल मोड में देश-विदेश से जुड़ने वाले विशेषज्ञों ने कैंसर अनुसंधान एवं इसके प्रबंधन के क्षेत्र में हो रहे कार्यों की जानकारी साझा की। पिछले 10 वर्षों के दौरान कैंसर के परीक्षण और उपचार के क्षेत्र में हुई प्रगति का हवाला देते कहा कि इस अवधि में हालांकि कई तकनीकी, औषधीय और सेवा विकास किए गए हैं, लेकिन सवाल अभी भी बने हुए हैं कि इसके उपचार पर होने वाले खर्च और उनकी प्रभावशीलता को कैसे सर्वोत्तम तरीके से लागू किया जाए। विशेषज्ञों ने माना कि यह पता लगाने के लिए अभी और शोध की आवश्यकता है। विशेषज्ञों ने बताया कि रेडियोथेरेपी तकनीक प्रारंभिक चरण के कैंसर के लिए सर्जरी के बराबर है। हालांकि कई और नए उपचार उपलब्ध हैं, लेकिन उन तक पहुंच में असमानताएं हैं और हब और स्पोक प्रभाव से निपटने के लिए संसाधनों को चालू करने पर और विचार करने की आवश्यकता है।

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कैंसर मरीजों में अधिकांश फेफड़ा, गुर्दा एवं मुंह की बीमारी से पीड़ित

विशेषज्ञों ने बताया कि कैंसर मरीजों में अधिक मरीजों की संख्या फेफड़ा, गुर्दा एवं मुंह की बीमारी से पीड़ित लोगों की है। ऐसे कैंसर के परिणामों में सुधार के लिए किया गया सबसे प्रभावी विकास संभवत: सीटी स्क्रीनिग है। हालांकि, प्रभावशीलता के अच्छे परिणाम होने के बावजूद इसे अभी भी यूके में पेश किया जाना बाकी है। फेफड़ों के कैंसर से निदान के मामले में व्यक्तियों के लिए पूर्वानुमान निराशाजनक रहा है। हालांकि, पिछले 10 वर्षों में उपचार और निदान में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। जिसने फेफड़ों के कैंसर के अस्तित्व में अपेक्षित सुधार किया है। यह समीक्षा उपचारात्मक इरादे, प्रणालीगत लक्षित उपचारों, उपशामक देखभाल और फेफड़ों के कैंसर में शीघ्र निदान के साथ उपचार में प्रमुख प्रगति पर प्रकाश डालती है।

कैंसर अनुसंधान के क्षेत्र में हुई प्रगति की समीक्षा

कैंसर अनुसंधान के क्षेत्र में हुई प्रगति की समीक्षा करते हुए केजी मेडिकल विश्वविद्यालय के डा. एके त्रिपाठी ने कहा कि बीते दशक में इसमें काफी वृद्धि हुई है, जैसा कि मेडलाइन डेटाबेस में अनुक्रमित किए गए रिकार्ड की संख्या से संकेत मिलता है। इस वृद्धि को उन्होंने जीनोमिक्स, कंप्यूटिग और गणित जैसे वैज्ञानिक प्रगति के प्रभाव का नतीजा बताया। वाशिगटन विश्वविद्यालय के डा. गवेश कुमार राउत ने अपने भाषण में विशेष रूप से स्तन कैंसर के बारे में जानकारी देते हुए इसकी रोकथाम और समाज में महिलाओं द्वारा जागरूकता कार्यक्रमों के उपयोग के महत्व पर जोर दिया।

पोस्टर प्रेजेंटेशन सत्र का हुआ आयोजन

संगोष्ठी के दौरान पोस्टर प्रेजेंटेशन सत्र का भी आयोजन किया गया। इस सत्र के निर्णायक मंडल में सीएम साइंस कालेज के पूर्व जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष डा. आरपी सिन्हा, वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डा. दिलीप कुमार झा एवं भौतिकी विभाग के अतिथि शिक्षक डा अजय कुमार ठाकुर शामिल थे। निर्णायक मंडल द्वारा पोस्टर के विभिन्न पहलुओं पर गहन मूल्यांकन करते हुए तैयार रिपोर्ट के आधार पर प्रथम पुरस्कार कौशिकी कुमारी को, द्वितीय पुरस्कार संजीत कुमार को एवं तृतीय पुरस्कार अमितेष को प्रदान किया गया। दो दिवसीय संगोष्ठी का समापन करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि जानलेवा बीमारी कैंसर के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने में यह संगोष्ठी बेहद कारगर होगी।

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