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नहीं भटकेंगे मरीज, अब दरभंगा में हो सकेगा कैंसर का इलाज

अब वह घड़ी दूर नहीं जब दरभंगा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में कैंसर मरीजों का इलाज संभव हो सकेगा। इस सिलसिले में विभागीय स्तर पर पिछले बीस साल से चल रही कोशिश कामयाब हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 01:44 AM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 01:44 AM (IST)
नहीं भटकेंगे मरीज, अब दरभंगा में हो सकेगा कैंसर का इलाज
नहीं भटकेंगे मरीज, अब दरभंगा में हो सकेगा कैंसर का इलाज

दरभंगा । अब वह घड़ी दूर नहीं जब दरभंगा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में कैंसर मरीजों का इलाज संभव हो सकेगा। इस सिलसिले में विभागीय स्तर पर पिछले बीस साल से चल रही कोशिश कामयाब हो गई है। यहां कैंसर मरीजों के लिए सौ बेड लगाए जाएंगे। उनके इलाज की पूरी व्यवस्था होगी। इस योजना पर ऑटोमेटिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड मुंबई (रेडियोलॉजिकल सेफ्टी डिवीजन) की हरी झंडी के बाद काम शुरू करने की कवायद तेज हो गई है। बोर्ड ने 26 अगस्त 2020 को डीएमसीएच के कैंसर वार्ड के नए भवन में अत्याधुनिक मशीनों को लगाने की स्वीकृति दे दी है।

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मशीनों के इंस्टालेशन को लेकर गाइडलाइन जारी

बोर्ड की ओर से जारी पत्र में लीनियर एक्सीलिरेटर मशीन समेत अन्य उपकरणों के इंस्टॉलेशन के लिए अलग-अलग गाइड लाइन जारी की गई है। मशीन से निकलने वाले विकिरण से सुरक्षा के प्रावधान बताए गए हैं। ताकि, चिकित्सक और मरीजों की सुरक्षा विकिरण के प्रभाव से की जा सके।

पांचवी बार स्वीकृत हुआ डिजाइन

बताते हैं कि विभागीय स्तर पर पटना से कैंसर वार्ड में मशीन उपकरण लगाने के लिए पांचवीं वार डिजाइन भेजी गई थी। इसके पहले भेजी गई चार डिजाइन अस्वीकृत हो गई थी। ताजा स्वीकृति के बाद कैंसर वार्ड के नए भवन में 45 करोड़ की राशि से नए मशीनों के इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कैंसर वार्ड के भवन निर्माण पर बीस साल से था ग्रहण

तकनीकी प्रक्रिया के कारण कैंसर वार्ड भवन के निर्माण पर करीब 20 साल से ग्रहण लगा था। तब स्वीकृति कोवाल्ट मशीन लगाने के चक्कर में लटक गई थी। केंद्र सरकार के आदेश पर कैंसर केयर सेंटर (योजना) मुंबई ने 2015 में अत्याधुनिक मशीन की खरीद के लिए 45 करोड़ राशि आवंटित की थी। जबकि नए भवन के निर्माण की स्वीकृति 2001 में मिली थी। इन मशीनों का होगा इंस्टॉलेशन बताते हैं कि इस बार यहां कोबाल्ट मशीन, थेरेपी सिटी, सिमुलेटर, लीनियर एक्सीलेटर लगाने के साथ माउंट रूम का निर्माण होगा। साथ ही कई अन्य मशीनें भी लगेंगी।

उत्तर बिहार के मरीजों को नहीं जाना होगा बाहर

उत्तर बिहार से बड़ी संख्या में मरीजों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता था। लेकिन, यहां की व्यवस्था ठीक होने के बाद जीभ, फेफड़ा, स्ट्रोमा, लीवर, हड्डी, ब्लड कैंसर, स्तन कैंसर, गर्भाशय, डिब ग्रंथि, गोल ब्लाडर समेत अन्य अंगों के कैंसर का इलाज यहीं हो सकेगा।


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