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30-35 किलोमीटर की दूरी तय कर इलाज के लिए पहुंचते हैं मरीज

हायाघाट में छह बेड वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 184 362 की आबादी निर्भर है। तीन डॉक्टर एक डेंटिस्ट 44 स्वास्थ्य कर्मियों एवं 10 एएनएम की बदौलत चल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 01:55 AM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 01:55 AM (IST)
30-35 किलोमीटर की दूरी तय कर इलाज के लिए पहुंचते हैं मरीज
30-35 किलोमीटर की दूरी तय कर इलाज के लिए पहुंचते हैं मरीज

दरभंगा । हायाघाट में छह बेड वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 1,84, 362 की आबादी निर्भर है। तीन डॉक्टर, एक डेंटिस्ट, 44 स्वास्थ्य कर्मियों एवं 10 एएनएम की बदौलत चल रहा है। ओपीडी में 33 और इंडोर में 112 की जगह 106 प्रकार की दवा उपलब्ध है। बी कॉम्प्लेक्स आदि दवाएं नदारद हैं।

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यहां प्रसव कक्ष रात में महिला डॉक्टर के अभाव में एएनएम के भरोसे रहता है। मरीजों को पर्याप्त मात्रा में दवा की सुविधा नहीं मिल पाती है। नवजात के इलाज की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। मामला थोड़ा भी गंभीर होता है तो लोग डीएमसीएच भागते हैं। महिला चिकित्सक नहीं रहने से महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ड्रेसर का अभाव है। औसतन 150-200 मरीज प्रतिदिन आते हैं। जिसमें महिला मरीजों की संख्या अधिक होती है। कल्याणपुर, वारिसनगर, हनुमाननगर, बहेड़ी एवं हायाघाट प्रखंड के कई पंचायतों के लोग 30-35 किलोमीटर दूरी तय कर अपने इलाज के लिए आते हैं। कई कर्मी भी समस्तीपुर व दरभंगा जिले से लंबी दूरी तय कर आते हैं।

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सात महीने से नहीं मिला पैसा :

यहां का दो चापाकल कई वर्षों से खराब है। चार में दो शौचालय बंद पड़ा है। स्वच्छता का घोर अभाव दिखता है। शौचालय में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। सफाईकर्मी का दो पद सृजित है लेकिन दोनों रिक्त है। एनजीओ की ओर से तैनात तीन सफाईकर्मियों से काम लिया जा रहा है। सफाईकर्मी ललिता देवी ने बताया कि सात महीने से पैसा नहीं मिला है फिर भी काम कर रहे हैं।

चिकित्सकों एवं एएनएम के लिए परामर्श कक्ष का अभाव है। जर्जर व बेकार पड़े उपकरण एवं उपस्कर तीन कमरे भरे हुए हैं। स्थापना लिपिक कार्यालय जर्जर अवस्था में है। वर्षा के दिनों में जगह-जगह से टपकते वर्षा के पानी से जूझना पड़ता है। टूटे-फूटे फर्नीचर पीएचसी की शोभा बढ़ा रहे हैं। पीएचसी कैंपस में वर्षो से कई जर्जर वाहन पड़े हुए हैं। इस संबंध में कई बार विभाग को लिखा गया लेकिन स्थिति जस की तस है।

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कई दवाएं बाहर से खरीदने की मजबूरी :

अस्पताल में इलाज कराने आए मरीज कल्याणपुर प्रखंड के खरसंड के 65 वर्षीय चंदेश्वर पासवान ने बताया कि पीएचसी में उपलब्ध दवाएं मिल जाती हैं बाकी बाहर से खरीदनी पड़ती है। हायाघाट प्रखंड के रसुलपुर गांव के असगरी खातून ने बताया कि डायबिटीज की समस्या थी डॉक्टर साहब से दिखाए हैं। पश्चिमी विलासपुर के मो इसराईल की तीन वर्षीय पुत्री लाडली प्रवीण, रसुलपुर की सोनी देवी, बलहा की पिकी कुमारी, पश्चिमी विलासपुर की शमीना खातून, रजौली की शाबरीन प्रवीण, कोयलाकुंड की शैल देवी, पूर्वी विलासपुर के राकेश कुमार का कहना था कि कई दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ी है।

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