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अल्ट्रासाउंड में देरी व मरीज की मौत के बाद डीएमसीएच में हंगामा, सड़क जाम

दरभंगा। डीएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग की लापरवाही को लेकर सोमवार को मरीजों और उनके स्वजनों का गुस्सा फूट पड़ा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 01:08 AM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 01:08 AM (IST)
अल्ट्रासाउंड में देरी व मरीज की मौत के बाद डीएमसीएच में हंगामा, सड़क जाम
अल्ट्रासाउंड में देरी व मरीज की मौत के बाद डीएमसीएच में हंगामा, सड़क जाम

दरभंगा। डीएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग की लापरवाही को लेकर सोमवार को मरीजों और उनके स्वजनों का गुस्सा फूट पड़ा। सुबह से ही लाइन में लगे रहने के बावजूद अल्ट्रासाउंड नहीं होने पर सोमवार को मरीजों और उनके स्वजन रेडियोलॉजी विभाग के गेट पर हंगामा करने लगे। जब इससे भी बात नहीं बनी तो लोगों ने विभाग के सामने स्थित मुख्य सड़क को जाम कर दिया। लोग उपचार व्यवस्था की दुर्दशा को लेकर नारे लगा रहे थे। घंटों हंगामा के बाद भी अस्पताल अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे। इधर, जाम से सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। वहीं, मेडिसीन विभाग परिसर स्थित रेडियोलॉजी विभाग में अफरातफरी मच गई। सड़क के दोनों ओर जाम में फंसे लोगों ने इसका विरोध किया। तब जाकर वहां से जाम हटा। जाम कर रहे लोग जब कर्पूरी चौक की ओर जा रहे थे। इसी बीच शिशु वार्ड के सामने कुछ लोग अपने मृतक बच्चे को गोद में लेकर रो रहे थे। आक्रोशित लोगों को जैसे ही पता चला कि कुव्यवस्था के कारण बच्चे की मौत हुई है वे दोबारा सड़क पर उतर आए। जाम के बाद फिर से गाड़ियों की लंबी लाइन लग गई। आक्रोशित लोग अस्पताल की व्यवस्था को लेकर नाराजगी व्यक्त कर रहे थे। शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ.केएन मिश्रा ने इसकी सूचना बेंता ओपी को दी। बेंता ओपी की पुलिस ने घटना स्थल पर पुहंचकर जाम को हटाया।

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अल्ट्रासाउंड नहीं करने पर शुरू हुआ विवाद : डॉक्टरी सलाह पर मरीज सुबह से ही अल्ट्रासाउंड जांच कराने के लिए रेडियोलॉजी विभाग के गेट पर अपनी पंक्ति में खड़े थे, लेकिन उन्ही मरीजों की जांच हो रही थी, जो गंभीर थे। अन्य मरीजों को जांच के लिए नहीं बुलाया जा रहा था। इधर, मरीजों का कहना था कि उसे भी डॉक्टर ने जांच रिपोर्ट शीघ्र लाने को कहा है। तब जाकर उनका उपचार शुरू होगा।

प्रभारी अधीक्षक बोले- एक मशीन से अधिकतम 40 मरीजों की जांच का निर्देश :

डीएमसीएच के प्रभारी अधीक्षक डॉ. बालेश्वर सागर ने कहा कि चार अल्ट्रासाउंड मशीनों में से तीन खराब हैं। मशीनों की मरम्मत के लिए स्वास्थ्य विभाग को अवगत कराया जा चुका है। साथ ही एक मशीन से प्रत्येक दिन गंभीर समेत अन्य 40 मरीजों का ही जांच करने का आदेश है। वहीं बच्चे को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर ने इलाज अपनी ओर से कोशिश की इसके बाद भी उसकी मौत हो गई।


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