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धान खरीद की रफ्तार धीमी, पीडीएस के चावल से गोदाम भरे

दरभंगा। जिले में समर्थन मूल्य के आधार पर 40 हजार एमटी लक्ष्य के विरुद्ध अबतक सिर्फ 10205 एमटी धान की खरीद की गई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Jan 2022 11:24 PM (IST)Updated: Sun, 02 Jan 2022 11:24 PM (IST)
धान खरीद की रफ्तार धीमी, पीडीएस के चावल से गोदाम भरे

दरभंगा। जिले में समर्थन मूल्य के आधार पर 40 हजार एमटी लक्ष्य के विरुद्ध अबतक सिर्फ 10205 एमटी धान की खरीद की गई है। यह खरीद जिले के 1897 किसानों से 256 पैक्सों के माध्यम से की गई है। इस बीच एसएफसी के गोदामों में बड़े पैमाने पर चावल जमा हो जाना हैरान करता है। किसानों का आरोप है कि पैक्स और राइस मिलरों की मिलीभगत से किसान से धान की खास खरीद ही नहीं हो रही, बल्कि चहेतों और रिश्तेदारों को किसान बनाकर खेल किया जा रहा। जनवितरण प्रणाली यानी पीडीएस चावल की खरीद कर ही एसएफसी के गोदाम में भेज दिया जाता है। इसको लेकर डीएम तक किसान शिकायत करते रहते हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलता। किसानों से धान खरीदने की अंतिम तिथि 15 फरवरी है। जबकि पैक्स को किसानों से खरीदे गए धान का चावल तैयार कर एसएफसी को देने की अंतिम तिथि 30 जून है। ऐसे होता है खेल :

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जिले में पैक्सों से धान लेकर चावल तैयार करने के लिए एसएफसी से 18 राइस मिल ने निबंधन कराया है। निबंधित प्रति राइस मिल की चावल तैयार करने की क्षमता 2 एमटी से लेकर 5 एमटी प्रति घंटा है। लेकिन एक-एक राइस मिल के साथ 10 से लेकर 20 पैक्स को टैग किया गया है। उदाहरण के तौर पर कुशेश्वरस्थान के मेसर्स चौधरी मिनी राइस मिल की क्षमता 2 एमटी प्रति घंटा है। जबकि इनकी भंडारण क्षमता 300 एमटी है। इस मिल से बिरौल के सहो पैक्स,इटवाशिवनगर,पररी, रामनगर,बेरमपुर,पटनिया,मैनर भौराम, गनोड़ा तरवारा,बिरौल,डुमरी,पोखराम दक्षणी,अरगा उसरी,सहित गौराबौड़ाम और घनश्यामपुर प्रखंड तक कुल 20 पैक्स को चावल तैयार करने के लिए जोड़ा गया है। जानकारों का कहना है कि इस मिल की क्षमता के अनुसार एक दिन में अधिक से अधिक 300 से 350 क्विटल ही चावल तैयार हो सकता है। ऐसे में यह राइस मिल इतने पैक्स से धान लेकर एक साल में भी चावल तैयार कर एसएफसी को नहीं दे सकती है। धान और चावल के हिसाब में पिस रहे किसान: जिले में धान खरीद से लेकर चावल तैयार कर एसएफसी के गोदाम तक चावल गिराने तक बड़े पैमाने पर गोरखधंधा चलता है। इसमें पैक्स से लेकर मिल मालिक तक की भागीदारी रहती है। इस खेल में एक ओर पैक्स किसान से धान खरीदना नहीं चाहता है, तो दूसरी ओर मिलर पैक्स से धान नहीं लेना चाहता है। इन दोनों के बीच में किसान पिस रहा है। पैक्स किसानों से धान लेता भी है, तो उसे पैक्स को एक क्विटल में 3 से 5 किलो अधिक धान देना पड़ता है। पैक्स को धान किसान से ही लेना है, लेकिन वह किसानों को ही सीधे मिल तक धान पहुंचाने को कहता है। इसके कारण किसानों को गाड़ी भाड़ा से लेकर लोडिग व अनलोडिग तक का खर्चा देना पड़ता है। यही कारण है कि किसान अपने धान को स्थानीय पैकार के हाथों औने-पौने दाम पर धान बेच देते हैं। पैक्स को मिलती है राशि: पैक्स को किसानों से धान खरीदने और कुटाई से लेकर गाड़ी भाड़ा लोडिग व अनलोडिग तक का खर्च जोड़कर सरकार 216 रुपया प्रति क्विटल देती है। लेकिन धान कुटाई के लिए राइस मिल पैक्सों से 10 रुपये प्रति क्विटल की जगह 120 रुपये प्रति क्विटल लेती है। गुणवत्ता जांच के नाम पर अवैध वसूली: पैक्स किसानों से खरीदे गए धान की कुटाई कर एसएफसी को चावल देते हैं। पैक्स को एक लॉट धान यानी 433 किवंटल धान के बदले 290 क्विटल चावल तैयार कर एसएफसी को देना होता है। चावल की जांच के नाम पर एसएफसी को बतौर नजराना प्रति लाट 10 हजार रुपये देने पड़ते हैं। एसएफसी ने बनाए गोदाम: एसएफसी ने पैक्सों से चावल लेने के लिए विभिन्न प्रखंडों में 14 गोदाम और चावल की गुणवत्ता जांच करने के लिए पांच पदाधिकारियों की तैनाती की है। अभी तक तीन गोदाम चावल से भर चुके है। जबकि गुरुवार को एक गोदाम और खोला गया है। ताकि मिलर चावल गिरा सके। धान का समर्थन मूल्य:

सरकारी दर पर धान का समर्थन मूल्य बोरा सहित 1965 रुपए प्रति क्विटल। जबकि एसएफसी पैक्स को चावल का जो मूल्य निर्धारित किया है। वह इस प्रकार है। अरवा चावल 3116.61 रुपया प्रति क्विटल और उसना चावल 3056.96 रुपया प्रति क्विटल निर्धारित किया है।


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