संसाधनों के अभाव में केवल प्राथमिक उपचार संभव, डीएमसीएच रेफर कर दिए जाते मरीज
बहेड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत सुधरने का नाम नहीं ले रहा। इस पीएचसी में डॉक्टरों की संख्या नहीं बढ़ाए जाने के कारण मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में डॉक्टरों नर्सो व संसाधनों की घोर कमी के कारण यहां केवल प्राथमिक उपचार ही संभव हो पा रहा है।
दरभंगा । बहेड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत सुधरने का नाम नहीं ले रहा। इस पीएचसी में डॉक्टरों की संख्या नहीं बढ़ाए जाने के कारण मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में डॉक्टरों, नर्सो व संसाधनों की घोर कमी के कारण यहां केवल प्राथमिक उपचार ही संभव हो पा रहा है। मरीजों को यहां से डीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है। बता दें कि इस अस्पताल पर लगभग 60 हजार की आबादी वाले दर्जनों गांव निर्भर हैं। 6 बेड के इस अस्पताल में 7 डॉक्टरों का पद स्वीकृत रहने के बावजूद मात्र तीन डॉक्टरों के सहारे अस्पताल चल रहा है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के रुप में डॉ. अमरनाथ झा के अलावा डॉ. अर्चना स्नेही व डेंटिस्ट डॉ. श्रीधर शर्मा कार्यरत हैं। हाबीभौआर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के आयुष चिकित्सक डॉ. एजाज अहमद व डॉ. राजेश कुमार से बहेडा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर अतरिक्त कार्य लिया जा रहा है। इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सहित इसके अधीन चलने वाले कुल 14 उप स्वास्थ्य केंद्रों पर 40 एएनएम का पद स्वीकृत है, लेकिन वर्तमान में मात्र 20 एएनएम के होने से स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ रहा है। बहेडा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर स्वास्थ्य प्रबंधक के रूप में रीना सिंह ने पदभार संभाला है। बताया जाता है कि अस्पताल में 40 से अधिक कर्मी रहने के बावजूद प्रतिदिन आने वाले मरीजों की देखभाल सही से नहीं हो पा रही। गर्भवती महिलाओं की संख्या जब बढ़ती हैं तो बेड के अभाव में उन्हें जमीन पर लिटा कर इलाज किया जाता है। मरीजों को अधिकांश दवा बाहर से खरीदकर लाना पड़ रहा है।
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मरीजों को नहीं मिलता नियमित भोजन :
मरीज के परिजन हसीना बेगम, समतोलिया देवी, अनुज कुमार यादव आदि ने बताया कि अस्पताल में मरीजों को भोजन नियमित रुप से नहीं मिलता है। साफ-सफाई व जेनरेटर सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी एनजीओ को सौंपी गई है। नियमित साफ-सफाई के बाद भी शौचालय गंदगी से भरा है।
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चिकित्सक व कर्मियों का आवास जर्जर :
अस्पताल में डॉक्टरों व नर्सों का सरकारी आवास खंडहर में तब्दील हो चुका है। जर्जर भवन के कारण दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है। सरकारी आवास जर्जर होने के कारण प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अस्पताल से चार किलोमीटर दूर बेनीपुर में किराए के मकान में रहते हैं। कई बार आवास के लिए उच्च पदाधिकारियों को लिया गया, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ।
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