जेएन कॉलेज में 4 शिक्षकों के भरोसे 4187 बच्चों की पढ़ाई
मनीगाछी की नेहरा पूर्वी पंचायत के नेहरा गांव में अवस्थित जयानंद महविद्यालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।
दरभंगा। मनीगाछी की नेहरा पूर्वी पंचायत के नेहरा गांव में अवस्थित जयानंद महविद्यालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के तीन प्रखंडों मनीगाछी, तारडीह एवं बेनीपुर का यह एकमात्र उच्च शिक्षा का संस्थान है जो ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई है। इसकी स्थापना का उद्देश्य भी ग्रामीण क्षेत्र में उच्च शिक्षा के प्रसार का ही था। ग्रामीण क्षेत्र के युवा को उच्च शिक्षा पाने के लिए पलायन ना करना पड़े, इसी उद्देश्य से नेहरा निवासी जयानंद चौधरी ने डोनेशन देकर सन 1970 में इस महाविद्यालय को स्थापित कराया था। 1980 में इस कॉलेज को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई के रूप में मान्यता मिल गई। लेकिन, आज स्थिति बदल चुकी है। कॉलेज में चार हजार से अधिक नामांकित छात्र-छात्राओं के लिए केवल 4 शिक्षक उपलब्ध हैं। ऐसे में छात्रों की पढ़ाई कैसे हो रही होगी, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। दिलचस्प यह है कि इस स्थिति से विवि प्रशासन से लेकर सरकार तक अवगत है, लेकिन सब चुप हैं। कॉलेज की हालत देख कर स्पष्ट होता है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात केवल बयानों तक सिमट कर रह गई है। बिना प्रयोगशाला के छात्र विज्ञान की डिग्री ले रहे हैं। बिना पचहत्तर प्रतिशत कक्षा में उपस्थिति के छात्र परीक्षा पास कर रहे हैं। जिन विषयों में शिक्षक नहीं, उनमें भी छात्रों का नामांकन हो रहा है। और, यह सब सबकी जानकारी में हो रहा है।
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शिक्षक के 27 में 23 पद हैं रिक्त :
इस डिग्री महाविद्यालय में शिक्षक के 27, तृतीय वर्गीय कर्मचारी के 10 एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के 14 पद स्वीकृत हैं।लेकिन, वर्तमान में इस महाविद्यालय में 4 शिक्षक, 3 तृतीय वर्गीय कर्मचारी एवं 7 चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी पदस्थापित हैं। जबकि 23 शिक्षक, 7 तृतीय वर्गीय एवं 7 चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का पद खाली है। जिसके कारण इस महाविद्यालय में नामांकित छात्र-छात्राओं की पढ़ाई ठप है और छात्र-छात्रा पूर्णत: को¨चग पर निर्भर रहकर पढ़ाई पूरी करते हैं।
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गरीब छात्रों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़ :
6 एकड़ 67 डिसमिल भू-भाग में अवस्थित इस महाविद्यालय में तीनों संकाय कला, विज्ञान एवं वाणिज्य की पढ़ाई होती है। वर्तमान में इंटरमीडिएट कला में 1025, विज्ञान में 214, वाणिज्य में 793 एवं स्नातक कला में 1647, विज्ञान में 133, वाणिज्य में 375 समेत कुल 4187 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। कॉलेज के छात्रों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र का संस्थान होने के कारण विवि प्रशासन भी उचित ध्यान नहीं देता। यहां के छात्रों के साथ ना केवल भेदभाव किया जा रहा है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के गरीब छात्र-छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है।
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कॉलेज में असुरक्षित महसूस करती छात्राएं :
छात्रा विभा कुमारी, सीमा कुमारी, शाहीन परवीन, शाहिस्ता परवीन सहित कई छात्राओं ने बताया कि हमलोग प्रतिदिन पढ़ाई करने कॉलेज आते हैं। लेकिन, शिक्षक नहीं रहने के कारण पढ़ाई नहीं होती और केवल हाजिरी बनाकर वापस घर जाना पड़ता है। पुस्तकालय से पढ़ने के लिए किताब नहीं मिलती है। न तो कभी कम्प्यूटर का वर्ग चला और न ही कभी प्रयोगशाला का। साथ ही यहां हमलोग अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कॉलेज में चहारदीवारी नहीं रहने के कारण बाहरी लड़के आकर लड़कियों के साथ छेड़खानी करते हैं। गर्ल्स कॉमन रूम के लिए एक भी महिला कर्मी नियुक्त नहीं है। वर्ग कक्ष एवं परिसर में गंदगी भरा रहता है।
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