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कब बहुरेंगे संस्कृत विवि के ललित कला संगीत विभाग के दिन

दरभंगा। कामेश्वर ¨सह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय की बहुमूल्य संपत्ति समझा जाने वाला ललित कला संगी

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 11:28 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 11:28 PM (IST)
कब बहुरेंगे संस्कृत विवि के ललित कला संगीत विभाग के दिन
कब बहुरेंगे संस्कृत विवि के ललित कला संगीत विभाग के दिन

दरभंगा। कामेश्वर ¨सह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय की बहुमूल्य संपत्ति समझा जाने वाला ललित कला संगीत विभाग के दिन कब बहुरेंगे। विभाग में नामांकित छात्रों के दिमाग में तो यह प्रश्न आता ही है, साथ ही विवि से सरोकार रखने वाले लोगों के लिए भी यह ¨चता का विषय बना हुआ है। फिलहाल तो विभाग की स्थित देख कर यही प्रतीत होता है कि वर्तमान में यह पूरी तरह उपेक्षा का शिकार हो रहा है। हालांकि, सीनेट की बैठक के बाद विभाग के कायापलट की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। जानकारों की मानें तो यह विभाग स्थापना समय से ही उपेक्षित रहा। पहली बार स्थापना के बाद कुछ सत्रों तक संचालित होने के बाद विवि प्रशासन की उपेक्षा के कारण विभाग बंद हो गया। पुन: काफी प्रयासों के बाद 2011-12 में विभाग का संचालन शुरू तो हुआ, लेकिन उस समय नामांकन लेने वाले छात्रों का भविष्य अभी तक अधर में ही लटका हुआ है। जनवरी 2012 में विभाग के तहत विभिन्न विषयों में नामांकन लेने वाले लगभग सवा सौ छात्र आज भी विवि की परिक्रमा करने को मजबूर हैं। बदहाली व उपेक्षा का आलम यह है कि लगभग तीन साल बाद जनवरी 2015 में उनकी परीक्षा हुई। रिजल्ट आने में भी लगभग डेढ़ साल लग गए। जुलाई 2016 में रिजल्ट प्रकाशित किया गया। अगले वर्ष की परीक्षा को लेकर अभी तक किसी प्रकार की सुगबुगाहट नहीं होने से छात्रों में बेचैनी है। इतना ही नहीं 2012 के बाद से अभी तक फिर से नए छात्रों का नामांकन भी नहीं लिया जा सका। जानकारों की मानें तो यदि यह विभाग पुन: बंद होता है तो यह विश्वविद्यालय के लिए बहुत बड़ी क्षति साबित होगी। सात सत्रों के बाद बंद हो गया था विभाग :

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1984 में स्थापित इस विभाग का उद्घाटन तत्कालीन कुलाधिपति डॉ. एआर किदवई ने किया था। सात सत्रों तक इस विभाग में पठन-पाठन हुआ एवं परीक्षाएं भी हुई। यहां से उत्तीर्ण शत प्रतिशत छात्र बेहतर रोजगार पाने में सफलता प्राप्त कर चुके हैं। लेकिन, कुछ तकनीकी कारणों से विभाग का संचालन बंद हो गया। पुन: राज्य सरकार के अनापत्ति प्रमाण पत्र एवं कुलाधिपति की स्वीकृति के बाद सत्र 2011-12 से ललित कला एवं संगीत विभाग के तहत छात्रों का नामांकन प्रारंभ हुआ। लेकिन, उसके बाद फिर से नामांकन पर ग्रहण लग गए।

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नैक टीम ने बताया था विभाग का महत्व :

विवि का मूल्यांकन करने पहुंची नैक टीम ने भी विभाग का मुआयना करने के बाद इसे विवि की बड़ी संपत्ति करार दिया था। नैक टीम ने सलाह दी थी कि यदि विभाग को सुव्यवस्थित किया जाए तो यह विवि को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिला सकता है। विभाग के पास भवन व उपकरणों की कोई समस्या नहीं है, लेकिन नैक टीम के सलाह के बावजूद अभी तक विवि महकमे में यह विभाग उपेक्षा का दंश ही झेल रहा है और इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। यहां के नामांकित व नामांकन को इच्छुक छात्र।


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