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डब्लूआइटी की परीक्षाएं अब बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगी परीक्षा बोर्ड से आयोजित करवाने की कवायद

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान (एपीजेएकेडब्लूआइटी) में नामांकन को लेकर परीक्षा का आयोजन अब बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगी परीक्षा बोर्ड से कराने की कवायद तेज हो गई है। इसको लेकर मंगलवार को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने मैनेजिग काउंसिल की बैठक बुलाई थी। इसमें कई बिदुओं पर चर्चा कर प्रस्ताव पारित किया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Jul 2021 01:21 AM (IST)Updated: Wed, 14 Jul 2021 01:21 AM (IST)
डब्लूआइटी की परीक्षाएं अब बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगी परीक्षा बोर्ड से आयोजित करवाने की कवायद
डब्लूआइटी की परीक्षाएं अब बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगी परीक्षा बोर्ड से आयोजित करवाने की कवायद

दरभंगा । डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान (एपीजेएकेडब्लूआइटी) में नामांकन को लेकर परीक्षा का आयोजन अब बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगी परीक्षा बोर्ड से कराने की कवायद तेज हो गई है। इसको लेकर मंगलवार को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने मैनेजिग काउंसिल की बैठक बुलाई थी। इसमें कई बिदुओं पर चर्चा कर प्रस्ताव पारित किया गया। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान को को-एजुकेशन के रूप में बदलने, संस्थान का नाम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान की जगह डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी संस्थान रखने, शिक्षकों की नियुक्ति करने समेत अन्य कई बिदुओं को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया। संस्थान से कई बिदुओं पर 24 घंटे के अंदर जवाब तलब किया गया है। बता दें कि सभी प्रस्तावों को सिडिकेट से पास करवाने के बाद बिहार सरकार को बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगी परीक्षा बोर्ड से परीक्षाएं आयोजित करने को लेकर पत्राचार किया जाएगा। डब्लूआइटी में चल रहे चार कोर्स,नये कोर्स बायो इन्फार्मेटिक्स में मात्र पांच छात्राएं

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ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान (डब्लूआइटी) में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय द्वारा अक्टूबर 2020 में संयुक्त प्रवेश परीक्षा ली गई थी। इसके बाद नये सत्र 2021 में अब तक नामांकन के लिए विज्ञापन नहीं निकाला गया है। संस्थान में चार वर्षीय बीटेक कोर्स के रूप में प्रौद्योगिकी (आईटी), कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिग (सीएसइ), बायो इन्फार्मेटिक्स (बीआइ) और एमसीए शामिल है। संस्थान द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिग (सीएसइ) ब्रांच जैसे तैसे सीटें भरी है। वहीं नये कोर्स बायो इन्फार्मेटिक्स (बीआइ) में 30 सिटी के विरुद्ध मात्र पांच नामांकन सुनिश्चित होने की बाद कही जा रही है।

आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान में सिर्फ भवनों को बनाने में करोड़ों रुपये खर्च किये गए हैं। शिक्षकों की सैलरी और रिक्त सीटों को अब तक नहीं भरा गया है। लगातार संस्थान घाटे में चल रहा है। मंगलवार को हुई मैनेजिग काउंसिल की बैठक में आय-व्यय संबंधित जो ब्यौरा प्रस्तुत किया गया वह काफी चौकाने वाला है। वित्तीय वर्ष 20-21 में संस्थान को एक करोड़ 23 लाख 46 हजार 7 सौ 42 रुपये आय के रूप में प्राप्त हुआ, वहीं व्यय के रूप में दो करोड़ 63 लाख 70 हजार 561 रुपये खर्च हुआ है। इसी तरह 2021-22 में प्रस्तावित आय तीन करोड़ 23 लाख 46 हजार 743 रुपये जबकि खर्च चार करोड़ 93 लाख 75 हजार दर्शाया गया है।

इंजीनियरिग करने के लिए छात्राओं को खर्च करने पड़ते चार लाख से अधिक रुपये

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान दरभंगा में छात्राओं को चार वर्षीय बीटेक कोर्स कोर्स करने के लिए चार से पांच लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। जहां सरकारी इंजीनियरिग कालेजों में छात्रों को 10 हजार रुपये ही खर्च करने पड़ते हैं। वहीं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान से बीटेक की डिग्री के लिए छात्राओं को प्रत्येक वर्ष 81 हजार रुपये देने पड़ते हैं। इतना ही नहीं अगर छात्राएं छात्रावास में रह रहीं हैं, तो 12 हजार रुपये सिर्फ रहने और खाने का अतिरिक्त लिए जाते हैं।


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