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नामांकन शुरू करने के लिए रास्ता निकालने की जरूरत : कुलपतिं

दरभंगा । ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि सस्ती शिक्षा ठी

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 11:42 PM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 11:42 PM (IST)
नामांकन शुरू करने के लिए रास्ता निकालने की जरूरत  : कुलपतिं
नामांकन शुरू करने के लिए रास्ता निकालने की जरूरत : कुलपतिं

दरभंगा । ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि सस्ती शिक्षा ठीक है। लेकिन, विश्व के विश्वविद्यालयों के साथ प्रतियोगिता करने के लिए रास्ता निकालना होगा। उक्त बातें शनिवार को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग की ओर से तीन दिवसीय आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए उक्त बातें कहीं। कुलपति ने कहा कि कोरोना काल में शिक्षा एक बहुत बड़ी चुनौती हो गई है। वर्तमान में विश्व के विद्यालयों में छात्रों का नामांकन नहीं हो पा रहा है। यह चिता का विषय है। उन छात्रों के लिए क्या रास्ता हो या हमें सोचना होगा छात्रों के लिए हमें विकल्प देना होगा। वेबिनार का उद्घाटन करते हुए एसएमएस एसोसिएशन स्वीटजरलैंड एंड इंटरनेशनल ऑन द एडिटर ऑफ अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय यूएई के प्रो. जोरन आर विटोरविक ने कहा कि गांधी का विचार आज भी प्रासंगिक है। आज आत्मनिर्भरता और शांति को भारतीय को अपने में आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा और शिक्षा तकनीक के नए स्तर के मापदंड में सुधार की जरूरत है। उन्होंने पुराने मापदंड को पक्षपातपूर्ण बताया। मिथिला विवि के कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार रॉय ने कहा कि हर एक आदमी अधिकार की बात करता है। लेकिन, अपने कर्तव्य को भूल जाता है। बाबा साहेब भीमराव विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग के संकाय अध्यक्ष प्रो. अरविद कुमार झा ने कहा कि छुआछूत एक नए प्रकार का कोरोना उत्पन्न हुआ है। मानसिक छुआछूत किसी भी तरह की छुआछूत से ज्यादा खतरनाक है। उन्होंने कहा कि सीखने की प्रवृत्ति बनी रहनी चाहिए। साथ ही छात्रों को आह्वान किया कि आप वही पढ़े जो पढ़ना चाहते हैं। जनीति विज्ञान जनरल रूस के मुख्य संपादक डॉ. आंद्रे गौरोखोव ने कहा कि पूरा विश्व ऑनलाइन शिक्षा के दौर से गुजर रहा है। हमें इस नए तकनीकी का उपयोग करते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त रहने का प्रयास करना होगा। समय की पुकार है कि नई तकनीकी शिक्षा के विकास के लिए करना चाहिए सारा ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली के समस्या से जूझ रहा है। लेकिन, इस समस्या से निकलने के लिए तथा बेहतर शिक्षा प्रणाली में विकास को पानी के लिए हमें नई तकनीकी की आवश्यकता होगी। साउथ विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रो. माइकल वान विक ने कहा कि आज हम लोगों को एक वायरस की वजह से यहां इकट्ठा होने की जरूरत पड़ी। क्योंकि, इस कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को तबाह कर दिया। शुरू में आगत अतिथियों को स्वागत शिक्षाशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष सह वेबिनार के संगठन सचिव प्रो. विनय कुमार चौधरी ने किया। वहीं धन्यवाद ज्ञापन दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. अशोक कुमार मेहता ने किया। मंच संचालन डॉ. पुतुल कुमारी ने किया।

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