कपीश कथामृतसे मिला अनिर्वचनीय आनंद
बैं¨कग सेवा से अवकाश प्राप्त भवेश चंद्र मिश्र शिवांशु मैथिली एवं ¨हदी साहित्य सृजन के लिए चर्चित रहे हैं।
दरभंगा। बैं¨कग सेवा से अवकाश प्राप्त भवेश चंद्र मिश्र शिवांशु मैथिली एवं ¨हदी साहित्य सृजन के लिए चर्चित रहे हैं। मैथिली भाषा में इनकी पहली पुस्तक कपीश कथामृत खंडकाव्य है। इसका प्रकाशन 1991 में हुआ। इनका एक कथा-संग्रह चित्रांगदा भी हाल में प्रकाशित हुआ है। कपीश कथामृत में वाल्मीकि रामायण के सुंदरकांड पर आधारित श्रीहनुमान चरित को काव्य पुष्पांजलि रूप में जन- कल्याणार्थ प्रकाशित किया गया है।
जब पुस्तक प्रकाशित हुई थी तो उसके लोकार्पण में आचार्य सुरेंद्र झा सुमन, डॉ. दुर्गानाथ झा श्रीश, चंद्रनाथ मिश्र अमर, मैथिलीपुत्र प्रदीप, सोमदेव, हंसराज, रमानन्द रेणु, बबुआ जी, अज्ञात प्रभृति वरीय साहित्यकार उपस्थित होकर स्नेहाशीष प्रदान किए थे।
इन सब मूर्धन्य साहित्यकारों के हाथों मेरे पहली पुस्तक का लोकार्पित होना एक लेखक को अनिर्वचनीय आनंद दे गया था।