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करोड़ों की लागत से बने सरकारी भवन बिना उपयोग के हुए जर्जर

दरभंगा। जाले प्रखंड क्षेत्र में करोड़ों की लागत से बने दर्जनों नव निर्मित सरकारी भवन बिना उपयोग के ही जर्जर हो गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 01:10 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 06:07 AM (IST)
करोड़ों की लागत से बने सरकारी भवन बिना उपयोग के हुए जर्जर
करोड़ों की लागत से बने सरकारी भवन बिना उपयोग के हुए जर्जर

दरभंगा। जाले प्रखंड क्षेत्र में करोड़ों की लागत से बने दर्जनों नव निर्मित सरकारी भवन बिना उपयोग के ही जर्जर हो गए हैं। इन भवनों के निर्माण से एजेंसी और ठेकेदार जरूर लाभंवित हुए हैं। लेकिन, इसका लाभ न तो आम लोगों को मिला और न ही संबंधित विभाग को। नतीजा, आज सभी भवन जुआड़ियों और नशेड़ियों का अड्डा बन गया है। काफी कोशिशों से भवनहीन स्वास्थ्य केंद्रों, स्कूलों, अंचल कार्याल, सछ्वावना शादी मंडप और बाजारों के लिए भवनों का निर्माण कराया गया है। इसमें करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। बावजूद, संबंधित विभाग नव निर्मित भवन का उपयोग नहीं कर रहे हैं। आम लोगों को स्वास्थ्य की गारंटी देने की योजना है। इसे लेकर विभाग ने क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों में भवनहीन स्वास्थ्य उपकेंद्रों और अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों में करोड़ों की लागत से भवन का निर्माण कराया है। कई वर्ष बीतने के बाद भी सभी भवन बंद पड़े हैं। किसी भी भवन में न तो चिकित्सिक बैठते हैं और न ही कर्मी। कहा जाता है कि अभी तक किसी चिकित्सिक और कर्मी की तैनाती भी नहीं की गई है। व्यवस्था की पोल नहीं खुल जाए, इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों को निरीक्षण के दौरान इन स्थलों तक पहुंचने तक नहीं दिया जाता है। क्षेत्र के नागरडीह, मुरैठा, जोगियारा, घोघराहा, ब्रह्मपुर, रतनपुर आदि गांवों में निर्माणाधीन अतिरिक्त स्वाथ्य केंद्र एवं उपकेंद्र की नवनिर्मित भवनें बंद पड़ी हैं। प्रखंड कार्यालय परिसर सहित क्षेत्र के कई जगहों पर करोड़ों की लागत से दस वर्ष पूर्व बने मार्केट कॉम्प्लेक्स का भी यही हाल है। बिना उपयोग के ही भवन जर्जर होने लगा है। प्लास्टर टूटकर गिरने लगे है। गेट और खिड़कियां को असमाजिक तत्व उखाड़ कर ले गए हैं। यही हाल शिक्षा विभाग का है। दोघड़ा स्थित बेसिक विद्यालय परिसर में साढ़े छह सौ करोड़ की लागत से बने तीन मंजिला होस्टल युक्त भवन बदहाली का गवाह है। भवन के अंदर कुर्सियां, टेबल, बैंच-डैक्स सहित प्रयोगशाला के सभी उपकरणें मौजूद हैं। लेकिन, यहां न तो शिक्षक हैं और न ही छात्र। अंचल कार्यालय भी किसी से पीछे नहीं है। महत्वपूर्ण भूमि अभिलेखों को संरक्षित करने के लिए दो वर्षों से भवन बनकर तैयार है। लेकिन, विभाग इस भवन का उपयोग करना उचित नहीं समझ रही है। चारों तरफ से भवन जंगलों से भरा है। प्रखंड कार्यालय परिसर में निर्माणाधीन सछ्वावना शादी मंडप का भी यही हाल है। गांव के लोगों को शहरी तर्ज पर विवाह भवन की सुविधा देने के लिए विभाग ने इसका निर्माण कराया। लेकिन, आबादी से काफी दूर शादी मंडप के निर्माण होने से यह अनउपयोगी हो गया। नतीजा, इसका भी अन्य भवनों वाली स्थिति है। लोगों का आरोप है कि अभियंताओं और ठेकेदारों की मिलीभगत से भवनों का निर्माण ऐसे जगहों पर कराया जाता है कि जिसके सरोकार से आम लोगों का कोई वास्ता ही नहीं रहता है। ---------------------

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