खुद निरक्षर, लेकिन शिक्षा के लिए दान दे दी सारी जमीन
दरभंगा। खुद के पास रहने के लिए सिर्फ झोपड़ी। इसके बाद भी अपनी पूरी जमीन सरकारी स्कूल के लिए दान में दे दी।
दरभंगा। खुद के पास रहने के लिए सिर्फ झोपड़ी। इसके बाद भी अपनी पूरी जमीन सरकारी स्कूल के लिए दान में दे दी। दर्शनी देवी के चेहरे पर इस बात का सुकून है कि वे भले ही निरक्षर हैं, लेकिन उनके और गांव के अन्य बच्चों की पढ़ाई में अब अड़ंगा नहीं आएगा। कोरोना के चलते भले ही स्कूल अभी बंद है, लेकिन स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी।
बहादुरपुर प्रखंड के चकगनौली गाव की महादलित बस्ती में मुसहर जाति के 25 परिवार निवास करते हैं। सभी मजदूरी पर निर्भर हैं। यहां वर्ष 2007 में आम के पेड़ के नीचे प्राथमिक विद्यालय चलता था। स्कूल भवन के लिए जमीन नहीं मिलने पर उसे दो किलोमीटर दूर दूसरे गाव के मध्य विद्यालय से अटैच कर दिया गया। इससे दर्शनी देवी के छह बच्चों के अलावा गांव के अन्य बच्चों की पढ़ाई छूट गई। कोई ग्रामीण आगे नहीं आया तो निरक्षर दर्शनी ने शिक्षा का महत्व समझते हुए जमीन देने का फैसला लिया। प्रधानाध्यापक और अधिकारियों से बात कर अपनी 2090 वर्ग फीट जमीन दान दे दी। वर्ष 2012 में यहा भवन बनने के बाद स्कूल शुरू हुआ। अभी इस प्राथमिक विद्यालय में 86 बच्चे पढ़ रहे।
दर्शनी कहती हैं कि शिक्षित नहीं होने के चलते पति के साथ वे भी मजदूरी करती हैं। उनके और गांव के अन्य बच्चे पढ़कर आगे बढ़ें, इसलिए जमीन दान दी। गाव के भोनू सदा कहते हैं कि अगर गाव में ही मध्य विद्यालय खुल जाए तो और आसानी होगी। प्रधान शिक्षक अरसदुल कादरी कहते हैं कि वर्ष 2007 से पहले गाव में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं था, जिसने पढ़ाई की हो।
कोट
-'दर्शनी देवी जैसी महिलाएं समाज के लिए प्रेरणा हैं। इनसे सभी को सीख लेने की जरूरत है। विद्यालय के लिए इनका योगदान सराहनीय है। कोरोना के चलते अभी स्कूल बंद हैं। बच्चों की पढ़ाई को ले स्कूलों को दिशा-निर्देश जारी किया जा रहा है।'
-डॉ. महेश प्रसाद सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी
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