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खेतों में जलाई पराली तो कंबाइंड हार्वेस्टर चलाने का पास होगा रद : आदेश तितरमारे

दरभंगा। कंबाइड हार्वेस्टर को चलाने के लिए मालिक और ड्राइवर को जिलाधिकारी से पास लेना ह

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 11:44 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 11:44 PM (IST)
खेतों में जलाई पराली तो कंबाइंड हार्वेस्टर चलाने का पास होगा रद : आदेश तितरमारे
खेतों में जलाई पराली तो कंबाइंड हार्वेस्टर चलाने का पास होगा रद : आदेश तितरमारे

दरभंगा। कंबाइड हार्वेस्टर को चलाने के लिए मालिक और ड्राइवर को जिलाधिकारी से पास लेना होगा। उन्हें यह पास इस शर्त के साथ दिया जाएगा कि जिन खेतों में वह फसल कटनी करेंगे, उन खेतों में फसल अवशेष (पराली) नहीं जलाया जाएगा। यदि उन खेतों में फसल अवशेष जलाने की सूचना मिलती है तो उनके पास रद कर दिए जाएंगे। उपरोक्त बातें कृषि विभाग, बिहार सरकार के निदेशक आदेश तितरमारे ने कहीं। वे गुरुवार को फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जिलाधिकारी के साथ ऑनलाइन बैठक को संबोधित कर रहे थे। कृषि विभाग के सचिव एन श्रीनिवास की अध्यक्षता में हुई बैठक को संबोधित करते कहा- जो किसान अपने क्षेत्र में पराली जलाएंगे, उनको कृषि विभाग के (डीबीटी) प्रत्यक्ष लाभ अंतरण पोर्टेल पर 3 साल तक के लिए पंजीकरण से वंचित कर दिया जाएगा। बताया कि सरकार ने 10 जून 2019 को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय अंतर विभागीय कार्य समूह का गठन किया गया है, जिसके सदस्य सचिव जिला कृषि पदाधिकारी है। वर्ष में दो बार खरीफ एवं रबी फसल कटनी के पूर्व इस समूह की बैठक की जानी है। समूह के कार्य में खरीफ एवं रबी फसल कटनी के बाद खेतों में अवशेष पराली को जलाने से रोकना भी है। फसल कटनी के लिए जब से कंबाइंड हार्वेस्टर का प्रयोग बढ़ा है, तब से कृषकों द्वारा फसल अवशेष को खेत में जलाने की प्रवृत्ति विकसित हुई है। यह मिट्टी की उर्वरकता एवं पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदायक है। बैठक को संबोधित करते सचिव ने जिलाधिकारी से वैसे किसानों, प्रखंडों एवं पंचायतों को कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार के माध्यम से चिन्हित करवाने को कहा, जिनके द्वारा और जहां पराली जलाने की घटना पाई गई हो। साथ ही वैसे किसान सलाहकार या कृषि समन्वयक, जो पराली जलाने की सूचना ससमय उपलब्ध नहीं कराते हैं, उनके विरुद्ध कार्रवाई करने को कहा। कहा कि फसल अवशेष के साथ खेत की जुताई भी की जा सकती है। कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा यह प्रयोग किया गया है। उन्होंने इसके लिए किसानों के बीच जागरूकता लाने के लिए प्रचार प्रसार कराने का सुझाव दिया। ऑनलाइन बैठक में जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम सहित कृषि विभाग के पदाधिकारी मौजूद थे।

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