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स्वास्थ्य के लिए घातक है ई-कचरा, निस्तारण की व्यवस्था नहीं

डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण नहीं होना शहर में गंदगी का एक मुख्य कारण है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 12:42 AM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 12:42 AM (IST)
स्वास्थ्य के लिए घातक है ई-कचरा, निस्तारण की व्यवस्था नहीं
स्वास्थ्य के लिए घातक है ई-कचरा, निस्तारण की व्यवस्था नहीं

दरभंगा । डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण नहीं होना शहर में गंदगी का एक मुख्य कारण है। कचरा संग्रहण व निस्तारण की समुचित व्यवस्था नहीं होने से शहर में जगह-जगह कचरा पसरा रहता है। इसे लेकर निगम प्रशासन की ओर से कई योजनाएं तो बनी। लेकिन सभी संचिकाओं में सिमट कर रह गई। सूखा व गीला कचरा के लिए प्रत्येक घर में दो-दो डस्टबीन देने की योजना भी कागज पर ही बनकर रह गई। वर्तमान समय में ई-कचरा नए संकट के रूप में सामने आ गया है। जैसे-जैसे डिजिटलाइजेशन बढ़ा है, उसी अनुपात में ई-कचरा भी बढ़ा है। ई-कचरा के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं होने से गंदगी के साथ आमजन के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना बढ़ा रही है। क्या है ई-कचरा :

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जैसे-जैसे डिजिटलाइजेशन बढ़ा है। इलेक्ट्रॉनिक कचरा भी बढ़ता जा रहा है। पुराने कंप्यूटर, मोबाइल, टेलीविजन, इलेक्ट्रॉनिक खिलौना व अन्य उपकरण के खराब हो जाने पर प्रतिवर्ष ई-कचरा पैदा होता है। यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता जा रहा है। यहां उत्तर बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल डीएमसीएच भी है। शहर में बड़े-बड़े नर्सिंग होम भी है। इस वजह से डीएमसीएच सहित कई क्षेत्र में मेडिकल कचरा फैला रहता है। इससे जान का भी खतरा रहता है। इनके निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। कई वर्ष पूर्व डीएमसीएच में दो इंसुलेटर लगा था। वह भी खराब पड़ा है। डीएमसीएच अधीक्षक डॉ. राज रंजन प्रसाद कहते हैं कि मेडिकल वेस्ट संग्रहण का कार्य मुजफ्फरपुर की एक एजेंसी करती है। स्वास्थ्य के लिए है घातक :

डॉ. मनीष कुमार का कहना है कि ई-कचरा स्वास्थ्य के लिए काफी घातक है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में कैडमियम, निकेल, बेरिलियम, मरकरी, क्रोमियम आदि का इस्तेमाल किया जाता है। घरों व विभिन्न प्रतिष्ठान से जो उपकरण फेंक दिए जाते हैं उससे निकलने वाले रेडिएशन शरीर के लिए काफी घातक होते हैं। इससे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। साथ ही सांस की बीमारी के अलावा किडनी पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है। जल्द से जल्द बनानी चाहिए योजना :

शहर के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले प्रदीप गुप्ता, अतुल कुमार, मनोज कुमार, पंकज झा का कहना है कि सरकार को ई-कचरा के निस्तारण के लिए जल्द से जल्द उपाय करना चाहिए। बल्ब, सीएफएल जैसी वस्तुएं जिन्हें हम राजमर्रा की ¨जदगी में इस्तेमाल करते है। लोगों को इन वस्तुओं को भी सड़क पर नहीं फेंकना चाहिए। प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ का नुकसान सभी को उठाना पड़ेगा। खतरनाक साबित हो सकता है पर्यावरण से खिलवाड़ :

पर्यावरणविद डॉ. विद्यानाथ झा का कहना है कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ काफी खतरनाक साबित हो सकता है। जिस तरह पॉलीथिन को बंद कर पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कदम उठाएं गए हैं। उसी तरह ई-कचरा के निस्तारण के लिए सरकार को सार्थक पहल करनी चाहिए। भारत में अब तक 178 पंजीकृत ई-अपशिष्ट पुर्नचक्रण केंद्र है। राज्य सरकार से इन केंद्रों को मान्यता प्राप्त है। इसके लिए आमजन को भी जागरूक होना होगा। ई-कचरा से निकलने वाले घातक तत्व पर्यावरण के लिए खतरनाक है।


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