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पीतल को सोना बता ठगी करनेवाले गिरोह का पर्दाफाश, अररिया के पांच बदमाश गिरफ्तार

दरभंगा। पीतल को सोना बनाकर ठगी करने वाले गिरोह का पुलिस ने सोमवार को पर्दाफाश कर दिया

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 01:24 AM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 05:13 AM (IST)
पीतल को सोना बता ठगी करनेवाले गिरोह का पर्दाफाश, अररिया के पांच बदमाश गिरफ्तार
पीतल को सोना बता ठगी करनेवाले गिरोह का पर्दाफाश, अररिया के पांच बदमाश गिरफ्तार

दरभंगा। पीतल को सोना बनाकर ठगी करने वाले गिरोह का पुलिस ने सोमवार को पर्दाफाश कर दिया। बेंता चौक स्थित एक रेस्ट हाउस में पुलिस ने छापेमारी कर पांच ठग को दबोच लिया। सभी ठग अररिया जिले का निवासी है। इन लोगों के पास भारी मात्रा में नशीली दवाईयां, सोना जैसा दिखने वाला पीतल का कई गुल्ली आदि कई सामान बरामद किए गए। पकड़े गए में अररिया थाने के रहैतपुर निवासी राजू पासवान, अकलू पासवान, योगेंद्र सहनी और अशोक सहनी सहित फारबिसगंज थाने के ढोलबज्जा निवासी मो. राजीद खान शामिल हैं। पूछताछ में इन लोगों ने स्वीकार किया विगत एक सप्ताह से शहर में रहकर कई लोगों को चूना लगा चुके हैं। इधर, छापेमारी दौरान होटल के संचलाक को भी पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ करने में जुटी है। उसकी भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। होटल के रजिस्टर में गिरफ्तार किए गए आरोपितों का नाम और पता भी उल्लेखित नहीं है। साथ ही होटल में ठहराने के नियम का भी पालन नहीं किया गया। किसी भी व्यक्ति से न तो पहचान पत्र लिया गया और न ही ठहरने वाले लोगों के संबंध में इसकी कोई सूचना पुलिस को दी। ऐसी स्थिति में एसएसपी बाबू राम ने रेस्ट हाउस मालिक की भूमिका की जांच करने का आदेश दिया है।

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आपस में झंझट कर लोगों को लगाता था चूना :

पूछताछ में सभी ठगों ने कई खुलासे किए हैं। बताया कि भीड़-भाड़ वाले जगह पर लोगों को चिन्हित कर अपना निशाना बनाने का काम करते थे। इसके लिए शुरूआत में आपस में सभी झंझट भी करते थे। मसलन, किसी लोगों को देखकर आपस में दो लोग झगड़ लेते थे। इसके बाद निशाने पर जिस राहगीर को लेते थे उसे घेरकर फैसला करने को कहते थे। जानकारी लेने पर दोनों इस बात को स्वीकार करते थे कि सड़क पर उसे सोना का गुल्ली मिला है। लेकिन, एक ने पहले देखा और दूसरे ने पहले उठा लिया। ऐसी स्थिति में सोना पर दोनों अपना-अपना अधिकार जताकर एक-दूसरे से सोना छीनने की कोशिश करते थे। इस बीच गिरोह के अन्य सदस्य पहुंचकर सोना को बेचने और उससे मिलने वाले रुपये को बराबर-बराबर बांट लेने का सलाह देते थे। बात मानने पर सोना का दाम भी तय कर देते था। लेकिन, गिरोह के अन्य सदस्य उतने रुपये पास में नहीं होने की बात कह निशाने पर लिए गए राहगीर को खरीदने की सलाह देते थे। राहगीर जब तय राशि से कम रुपये पास में होने की बात कहते थे तो गिरोह के अन्य सदस्य झंझट करने वाले दोनों ठगों को डांट-फटकार लगाकर उतने ही रुपये में सोना बेच देने की बात कहते थे। सोना तुम लोगों का तो नहीं है इसलिए जो रुपये मिल रहा है उसमें दोनों बांट लो। ऐसी स्थिति में राहगीर इन लोगों के झांसे में फंसकर हजारों रुपये देकर

सोना की जगह पीतल का गुल्ली खरीद लेते थे। साथ में सभी ठग घटना की जानकारी किसी को नहीं देने की बात सलाह भी देते थे।

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