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सिंहवाड़ा प्रखंड की पंचायतों में मिटते जा रहा कुओं का अस्तित्व

करीब तीन दशक पहले तक अधिकांश गांव में पेयजल एवं सिचाई कार्य के लिए सबसे अधिक प्रयोग में लाए जानेवाले कुआं का वजूद सिंहवाड़ा प्रखंड के कई इलाकों में समाप्ति के कगार पर है। ग्रामीण क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए कुएं का महत्व अधिक है। आधुनिक युग में आम आदमी सुविधा भोगी हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 11:55 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 11:55 PM (IST)
सिंहवाड़ा प्रखंड की पंचायतों में मिटते जा रहा कुओं का अस्तित्व
सिंहवाड़ा प्रखंड की पंचायतों में मिटते जा रहा कुओं का अस्तित्व

दरभंगा । करीब तीन दशक पहले तक अधिकांश गांव में पेयजल एवं सिचाई कार्य के लिए सबसे अधिक प्रयोग में लाए जानेवाले कुआं का वजूद सिंहवाड़ा प्रखंड के कई इलाकों में समाप्ति के कगार पर है। ग्रामीण क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए कुएं का महत्व अधिक है। आधुनिक युग में आम आदमी सुविधा भोगी हो गया है। इस परिस्थिति में जनमानस को रस्सी के सहारे बाल्टी से पानी खींचना अब मुसीबत लगने लगा है। अधिकांश लोग चापाकल व पानी की टंकी पर निर्भर हो गए हैं। ऐतिहासिक रामजानकी मठ का कुआं बदहाल ऐतिहासिक रामजानकी ठाकुरवाड़ी मठ रामपुरा के महंत गुलाब दास, पुजारी गोविद झा, कपिल देव दास, जितेन्द्र झा, रतन ठाकुर, रंजीत चौबे, हनुमान दास का कहना है कि 50 वर्ष पहले कुआं का अस्तित्व में था। ठाकुरवाड़ी की देखरेख में संचालित इस कुआं से आस पास मोहल्ला के लोग पेयजल संकट को दूर कर मवेशी के लिए पशुचारा का उपयोग करते थे। विद्युत व्यवस्था बेहतर होने के कारण मोटरपंप के सहारे पानी की आसानी से उपलब्धता के कारण कुआं की लोग अनदेखी कर रहे हैं। जल संरक्षण को जरूरी है कुआं एक जमाना था जब कुंआ जल संरक्षण का महत्वपूर्ण साधन होता था।तपती धूप में कुआं मुसाफिरों के लिए पानी पीने का एक मात्र जरिया हुआ करता था। फ्रीज युग से पहले कुआं के पानी को ठंडा जलस्त्रोत माना जाता है। जनहित में जगह-जगह कुंआ खोदकर पहले आम लोगों को पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराया जाता था। पूरे गांव के लोगों के लिए कुंआ खेतों की सिचाई, स्नान व पीने के लिए पानी का महत्वपूर्ण साधन था। परंतु बदलते परिवेश में यह मात्र सपना साकार रह गया है। अब कुआं का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है।

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गांव के लोग भी पी रहे नल का जल शहर से लेकर गांव तक अब नल के जल की मांग बढ़ती जा रही है। कुछ कुआं में जलस्तर बेहतर है लेकिन जागरूकता के अभाव में वे गंदगी के पर्याय बन गए हैं। सरकारी भवन परिसर के कुआं का अस्तित्व तो पहले ही समाप्त कर दिया गया है।रामपुरा,सिमरी गांव स्थित कुआं की स्थित कुआं की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है।कुआं का जलस्तर नीचे चला गया है।पहले लोग कुआं का पानी सेवन कर अपनी प्यास बुझाते थे।आधुनिक युग में कुआं उपेक्षा का शिकार हो गया है।अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नल जल योजना से गांव में पानी पी रहे हैं। जनप्रतिनिधियों ने नहीं दिया ध्यान सरकार द्वारा जनहित में कई लाभकारी योजना चलाई जा रही है।परंतु पूर्व के मुखिया ने इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसके कारण कुआं का अस्तित्व समाप्त होते जा रहा है।कुआं जीर्णोद्धार पर विभाग द्वारा लाखों रूपये खर्च किया जा रहा है परंतु यह कहीं दिख नहीं रहा है। मुखिया पप्पू चौधरी ने कहा है कि रामपुरा पंचायत के सभी कुआं में शीघ्र पेयजल व्यवस्था चालू कर जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य होगा। -

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