हर फसल का हो बीमा, मछली-मखाना की खेती कर बने धनवान
¨सहवाड़ा, जो उपजाए अन्न, वो क्यों न हो संपन्न अभियान के नारे के साथ प्रखंड के सिमरी पंचायत सरकार भवन में दैनिक जागरण की ओर से सोमवार को किसान कार्यशाला आयोजित की गई।
दरभंगा। ¨सहवाड़ा, जो उपजाए अन्न, वो क्यों न हो संपन्न अभियान के नारे के साथ प्रखंड के सिमरी पंचायत सरकार भवन में दैनिक जागरण की ओर से सोमवार को किसान कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का उदघाटन विधायक डॉ. फराज फातमी, जिप सदस्य ओमप्रकाश ठाकुर, प्रखंड प्रमुख आरती देवी, उप प्रमुख शाजिद मुजफ्फर बब्लू, मुखिया विश्वनाथ पासवान, पूर्व जिप सदस्य कलीमउद्दीन राही, जदयू पंचायती राज अध्यक्ष अमजद अब्बास ने संयुक्त रूप से किया। विनोद भगत के संचालन में कार्यशाला को विधायक फातमी ने संबोधित करते हुए कहा कि आज तक किसानों की समस्या को कोई सरकार खत्म नहीं कर पाई है। जबकि, किसानों की चमकदार तस्वीर, देश की उन्नति और कृषि विकास के लिए केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा किसानों के हित में लगातार योजनाएं चलाई जा रही है। आज किसान अपने खेती के स्वरूप को बदल लिया है। खेतों से ईंख, मक्का, मड़ुआ आदि की फसलें गायब हो गई है। दरअसल, उसका बाजार नहीं होने और उचित लाभ नहीं मिलने के कारण किसान उन फसलों का खेती करने से मुंह मोड़ लिया है। इस इलाके में रैयाम और सकरी जैसी चीनी मिल पहले हुआ करता था । जहां किसान अपनी उपज को बेचकर मालामाल होते थे। लेकिन, आज न तो चीनी मिल है और न ही वह फसल । हालात यह है कि किसान बदहाल है। उन्होंने केंद्र सरकार व राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि फसल बिक्री के लिए उचित बाजार की व्यवस्था हो और संबंधित फसलों की खपत के लिए खेतों के आस-पास उद्योग लगे। तभी यहां के किसानों की समस्या दूर हो पाएगी। उन्होंने यूरोप और अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। खेतों में उचित दर पर उनकी फसल की बिक्री हो जाती है। ऐसी ही व्यवस्था भारत में होनी चाहिए । कहा कि बाजार नहीं होने के कारण ही यहां के किसान अपनी फसलों को सड़क पर फेंक रहे हैं। चाहे हो टमाटर हो अथवा आलू-प्याज । उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान आत्म हत्या कर रहे हैं। किसानों के दर्द पर उन्होंने मरहम लगाते हुए कहा कि सरकार घोषणा की है, इस वर्ष धान का समर्थन मूल्य अधिक तय किया गया है। लेकिन, यहां के किसानों का एक छटांक अनाज भी उस दर पर बिक्री नहीं हो पाया है। सरकार को चाहिए कि दर की घोषणा बाद यह भी पता करें कि किस-किस किसानों ने सरकारी मूल्यों पर अपने अनाज को बेचने का काम किया और उससे कितने को लाभ मिला है। कहा कि बिहार को सत्तर फीसद खेत बाढ़ और सुखाड़ से प्रभावित है। बावजूद, फसल का बीमा नहीं होता है। बैंक की ओर से कुछ किसानों के फसलों का बीमा हुआ भी है तो उन्हें अनुदान का लाभ नहीं मिल रहा है। इस देश में सरकार बड़े उद्योगपतियों के ऋण को माफ कर देती है। लेकिन, किसानों के ऋण को माफ करने से सरकार परहेज कर रही है। यह दोहरी नीति है। इससे देश का विकास नहीं होगा। उन्होंने किसानों को आह्वान करते हुए कहा कि चावल और गेहूं के अलावा मखाना, मछली और दाल की भी खेती करें। इससे आमदनी दोगुणी होगी। उन्होंने मौसम के रूख पर ¨चता जाहिर करते हुए कहा कि वायु प्रदुषण के कारण खेती पर असर पड़ रहा है। तीन से चार प्रतिशत तापमान में वृद्धि हुई है। इससे निपटने के लिए उन्होंने किसानों को जागरूक होने की बात कही।
----------------------------------------------
जैविक खेती का करें उपयोग, अनुदान के लिए करें ऑन लाइन आवेदन :
¨सहवाड़ा, संस : किसान कार्यशाला को कृषि सलाहाकार मुनेश्वर प्रसाद सहनी, बजरंगी सहनी आदि ने संबोधित करते हुए बताया कि किसानों की तरक्की के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इसका समय पर किसान लाभ उठावें। कहा कि किसान हित में जैविक खेती, प्रोत्साहन योजना, मिट्टी जांच, अनुदानित दर पर बीज वितरण, कृषि यांत्रिकरण, राष्ट्रीय कृषि विकास एवं हरित क्रांति उपयोजना, किसानों के लिए कौशल प्रशिक्षण, उद्यान की योजनाएं, पौधा संरक्षण, डीजल अनुदान, कृषि इनपुट अनुदान समेत अन्य योजनाएं चलाई जा रही है। केवल किसानों को योजना का लाभ लेने के लिए जागरूक होने की जरूरत है। कृषि विभाग के वेबसाइट पर किसान अपना निबंधन कराकर कृषि योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। निबंधन के लिए किसानों को पास के किसी साइबर कैफे अथवा वसुधा केंद्र पर अपना आधार कार्ड लेकर जाना होगा। जहां ऑनलाइन निबंधन कराकर सरकारी लाभ ले सकते हैं। मुख्यमंत्री तीव्र विस्तार योजना के तहत रबी फसल के बीज पर किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। किसानों को मात्र 10 प्रतिशत राशि लगानी है। हर राजस्व गांव में दो किसानों को इस योजना का लाभ मिलेगा। इसी तरह बीज ग्राम योजना के तहत गेहूं का बीज पर 50 एवं दलहन व तेलहन की बीज पर 60 प्रतिशत अनुदान है। 10 वर्ष से कम प्रभेद वाली गेहूं की बीज पर 20 रुपये प्रति किलो एवं दस वर्ष से अधिक प्रभेद वाली बीज पर 15 रुपये प्रति किलो अनुदान है। प्रत्यरक्षण का कीट पर एक एकड़ के लिए 3280 रुपये अनुदान है। यह अनुदान किसानों के द्वारा बीज का क्रय करने पर उनके बैंक खाता में मिलेगा। अनुदान का लाभ सौ प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि सभी कृषि यंत्र पर किसानों को अनुदान का लाभ दिया जा रहा है। वर्मी कंपोस्ट एवं गोबर गैस प्लांट पर अनुदान का लाभ एवं कृषि योजनाओं की जानकारी ले सकते हैं।
--------------------------