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एमके कॉलेज में 13 शिक्षकों के भरोसे साढ़े चार हजार से अधिक छात्रों की शिक्षा

अभी स्नातक व स्नातकोत्तर में नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। छात्र आवेदन कर चुके हैं और अब नामांकन भी लेंगे। आवेदन से पूर्व ना तो छात्र इस बात की जानकारी ले रहे कि किस कॉलेज में शिक्षक उपलब्ध हैं और कहां क्लास नियमित रूप से चलती है और ना ही विवि प्रशासन या सरकार को इस बात की चिता है कि जो छात्र नामांकन लेंगे उनकी पढ़ाई शिक्षकों के अभाव में कैसे चलेगी। यह वर्तमान उच्च शिक्षा की वह हकीकत है जिससे अवगत सब हैं लेकिन जिसके बारे में बात करने को कोई तैयार नहीं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 01:28 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2019 06:34 AM (IST)
एमके कॉलेज में 13 शिक्षकों के भरोसे साढ़े चार हजार से अधिक छात्रों की शिक्षा
एमके कॉलेज में 13 शिक्षकों के भरोसे साढ़े चार हजार से अधिक छात्रों की शिक्षा

दरभंगा । अभी स्नातक व स्नातकोत्तर में नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। छात्र आवेदन कर चुके हैं और अब नामांकन भी लेंगे। आवेदन से पूर्व ना तो छात्र इस बात की जानकारी ले रहे कि किस कॉलेज में शिक्षक उपलब्ध हैं और कहां क्लास नियमित रूप से चलती है, और ना ही विवि प्रशासन या सरकार को इस बात की चिता है कि जो छात्र नामांकन लेंगे, उनकी पढ़ाई शिक्षकों के अभाव में कैसे चलेगी। यह वर्तमान उच्च शिक्षा की वह हकीकत है जिससे अवगत सब हैं, लेकिन जिसके बारे में बात करने को कोई तैयार नहीं। छात्रों को डिग्री से मतलब है। वे नामांकन लेंगे, क्लास चले या ना चले उससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। छात्र यह मान कर चल रहे हैं कि कॉलेजों में क्लास होते ही नहीं है। कॉलेजों में जो शिक्षक कार्यरत हैं, वे इस बात का हवाला देते हैं कि छात्र कॉलेज में कक्षा में पहुंचते ही नहीं तो पढ़ाएंगे किसे। छात्र परीक्षा में शामिल होंगे और अपनी डिग्री लेंगे। नियम के अनुसार परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्रों की पचहत्तर प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। लेकिन, विवि प्रशासन इस नियम को कड़ाई से लागू नहीं कर सकता, क्योंकि हकीकत वहां भी पता है। ऐसे में उच्च शिक्षा बस नाम की रह गई है और संस्थान डिग्री बांटने वाले सावर्जनिक उपक्रम बन चुके हैं। इसी क्रम में मंगलवार को लनामिविवि के अंगीभूत महारानी कल्याणी कॉलेज की पड़ताल में भी यही सच सामने आया। यहां करीब साढ़े चार हजार से अधिक नामांकित छात्रों को पढ़ाने के लिए केवल 13 शिक्षक मौजूद हैं। कई विषयों में शिक्षक हैं ही नहीं, और कई विषय एकमात्र शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। कुछ ऐसे भी विषय हैं जिनमें नामांकन तो होता है, लेकिन उस विषय में आज तक शिक्षक के पद स्वीकृत ही नहीं किए गए।

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आठ विषयों में शिक्षक ही नहीं :

कॉलेज में आठ विषयों में एक भी शिक्षक नहीं है। इनमें मनोविज्ञान, हिदी, संस्कृत, उर्दू, गृह विज्ञान, जंतु विज्ञान व वाणिज्य शामिल हैं। इनमें उर्दू, गृह विज्ञान व वाणिज्य में तो अब तक एक भी शिक्षक का पद भी स्वीकृत नहीं किया गया है, जबकि नामांकन लिए जा रहे हैं। मनोविज्ञान व भौतिकी में एकमात्र शिक्षक थे जिनका स्थानांतरण विवि के पीजी विभाग में कर दिए जाने से ये विषय रिक्त हो चुके हैं।

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एक-एक शिक्षक के भरोसे नौ विषय :

कुल नौ विषयों की पढ़ाई एकमात्र शिक्षक के भरोसे चल रही है। इनमें अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र, मैथिली, समाजशास्त्र, अंग्रेजी, भूगोल, राजनीति विज्ञान, रसायनशास्त्र, जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, गणित विषय शामिल हैं। भूगोल के एकमात्र शिक्षक जुलाई में और राजनीति विज्ञान के एकमात्र शिक्षक दिसंबर में सेवानिवृत हो जाएंगे, जिसके बाद ये विषय भी रिक्त हो जाएंगे। समाजशास्त्र के एकमात्र शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर हैं।

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करीब 4800 छात्र हैं नामांकित :

इंटर में कला व विज्ञान और स्नातक स्तर पर कला, विज्ञान व वाणिज्य संकाय में नामांकन लिए जाते हैं। वर्तमान में इंटर के दो सत्रों व स्नातक के तीन सत्रों को मिलाकर करीब 4800 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। शिक्षकों के कुल 32 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 19 रिक्त हैं। धीरे-धीरे अन्य पद भी रिक्त होने वाले हैं। सरकार के स्तर से शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया की रफ्तार काफी धीमी है और विवि स्तर पर भी कई विषयों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति होनी बाकी है। हालांकि, यह समस्या का स्थायी निदान नहीं है।

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