कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव के कारण परीक्षाएं हो रहीं बाधित : कुलपति
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने अपने ही विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सत्येंद्र नारायण सिंह द्वारा गुरुवार व शुक्रवार को लगाए आरोप व व्यवस्था पर उठाए गए सवालों को सिरे से खारिज किया है।
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दरभंगा । कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने अपने ही विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सत्येंद्र नारायण सिंह द्वारा गुरुवार व शुक्रवार को लगाए आरोप व व्यवस्था पर उठाए गए सवालों को सिरे से खारिज किया है। कुलसचिव द्वारा गुरुवार को विभिन्न वाट्सएप ग्रुप पर किए गए मैसेज के बाद शुक्रवार को कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने पत्र जारी कर बताया कि (ड्यूटी लीव) डीएल के लिए एक आवेदन देकर कुलसचिव एक माह से मुख्यालय से बाहर हैं। बीच में 28 से 30 अप्रैल को वे आए थे। अब तक सत्र 2022-23 का बजट नहीं जा सका है। 2021 की लंबित परीक्षाएं लेने के लिए या तो पुराने डाटा सेंटर से एग्रीमेंट कर परीक्षा का आयोजन किया जा सकता है। या उत्तर पुस्तिकाओं के लिए निविदा निकालकर परीक्षा का आयोजन किया जा सकता है, जो क्रय समिति से पास है। पर कुलसचिव उक्त दोनों में से एक भी कार्य के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में परीक्षाएं बाधित चल रही हैं। आयुर्वेद की परीक्षा 2020 एवं उससे पहले ली गई है। डाटा सेंटर का कार्यकाल 2020 की परीक्षा तक स्वीकृत है। आयुर्वेद प्रथम व्यावसायिक के 29 छात्रों के नामांकन की वैधता की जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी गठित की गई। जिसके रिपोर्ट में उसे वैध करार दिया गया है। इसे नजर अंदाज कर कुलसचिव द्वारा अवैध कहना उचित नहीं है।
कुलपति ने पत्र में साफ किया है कि सरकार से जो पत्र वित्तीय अनियमितता के संबंध में विवि को भेजा गया था। वह पत्र कुलसचिव के पास कुलपति द्वारा पांच मार्च 2022 को ही भेजा गया। सरकार द्वारा प्रेषित वित्तीय अनियमितता से संबंधित पत्र का उत्तर कुलसचिव के द्वारा 15 मार्च 2022 को ही सरकार को भेज दिया गया। आयुर्वेद परीक्षा में निष्कासित छात्र को उत्तीर्ण करने का आरोप निराधार है। कोई छात्र निष्कासित नहीं किया गया था। केवल उस पाली की परीक्षा रद की गई थी। जिसे बाद में आयोजित किया गया था।
कुलसचिव ने यह कहा था गुरुवार को
बता दें कि गुरुवार को कुलसचिव प्रो. सत्येंद्र नारायण सिंह ने विवि के अधिकारियों, अंगीभूत एवं संबद्ध कालेजों के वाट्सएप ग्रुप पर जारी अपने संदेश में कहा था कि जालसाजी के तहत आयुर्वेद परीक्षा का परिणाम जारी किया गया है। डाटा कंपनी के साथ अनुबंध खत्म होने के बाद आखिर किस स्थिति में परीक्षा परिणाम जारी कर दिया गया। सरकार द्वारा कई माह पूर्व कुलपति को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसका जवाब अबतक सरकार को नहीं भेजा गया है। इस परिस्थिति में सरकार की ओर से बताया गया है, अब विश्वविद्यालय को अनुदान की राशि नहीं भेजी जाएगी। इसके जिम्मेदार कुलपति होंगे।
अब प्रतिकुलपति ने जारी किया वीडियो, कहा - मैंने कदाचार करते 10 परीक्षार्थियों को पकड़ा था
प्रतिकुलपति प्रो. सिद्धार्थ शंकर सिंह ने शुक्रवार को एक वीडियो जारी कर कहा कि आयुर्वेद की परीक्षा में परीक्षा केंद्र पर 10 परीक्षार्थियों को कदाचार करते प्रिटेड चिट के साथ मैंने पकड़ा था। सभी 10 छात्रों को केंद्राधीक्षक के हवाले कर दिया था। इसकी सूचना कुलपति को भी दे दी थी। इसके बाद भी पकड़े गए छात्रों को निष्कासित नहीं किया गया। छात्रों को निष्कासित करने की जगह उस दिन की परीक्षा निरस्त कर दी गई। बाद में उक्त विषय की परीक्षा का आयोजन किया गया। सभी प्रक्रियाएं नियम के विरुद्ध की गई। कुलपति एक पक्ष का बचाव कर रहे हैं।
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