जलस्तर में कमी के बावजूद अपने दर्द को नहीं भूल पाए हैं बाढ़ पीड़ित
दरभंगा। कुशेश्वरस्थान प्रखंड के कई पंचायत में बाढ़ का पानी कम होने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। एक सप्ताह से बलान के जलस्तर में कमी का सिलसिला जारी है।
दरभंगा। कुशेश्वरस्थान प्रखंड के कई पंचायत में बाढ़ का पानी कम होने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। एक सप्ताह से बलान के जलस्तर में कमी का सिलसिला जारी है। तटबंध के गर्भ में बसे उसरी, इटहर, उजुआ और तिलकेश्वर पंचायत में कोसी नदी के जलस्तर में कमी हो रही है। वहीं कुशेश्वरस्थान उत्तरी व दक्षिणी, केवटगामा, महिसौत, भिडुआ और सुघराईन में पानी कम होने के बाद बाढ़ की स्थिति भयावह बनी हुई है। मुख्यालय से सटे मखनाही, बहेड़ा, खलासीन और केवटगामा का काफी बुरा हाल है। केवटगामा पंचायत के सलमगढ़, फकदौलिया और बघमोत्तर गांव में पानी ने इस कदर कहर बरपाया है कि लोग अब तक इस दर्द को नहीं भूल पाए हैं। सबसे खराब स्थिति सुघराईन, बाघमारा, उद्दा पकोहबा, रहीपुरा एवं महिसौत गांव की है। घर-घर में पानी घुसा हुआ है। मुख्य सड़कों पर से तो पानी कम हुआ। लेकिन स्थिति ऐसी है कि लोग एक घर से दूसरे घर तक नहीं जा सकते। जो लोग जहां हैं वहीं किसी तरह जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इन गांवों के हजारों परिवार काफी नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हैं और यहां एक भी सरकारी नाव नहीं दी गई है और ना ही एक भी संबंधित अधिकारी यहां तक पहुंच पाए हैं। अधिकारी तटबंध तक आते हैं और चले जाते हैं। इन गांवों में रह रहे हजारों लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। बस लोग भगवान भरोसे गुजर बसर कर रहे हैं। कोई ऐसा स्थान नहीं है जहां ये लोग शरण ले सके। बाढ़ पीड़ितों के लिए बनी शरणस्थली भवन में सरकारी कार्यालय और कर्मियों का कब्जा है ऐसे में बाढ़ पीड़ित आखिर जाएं तो जाएं कहां। बाढ़ पीड़ित रामकरण यादव, गुड्डू यादव सहित दर्जनों लोग बताते हैं कि सरकारी नाव तो दूर की बात है। अब तक एक भी सरकारी लोग यहां तक नहीं आए हैं। हमलोगों प्राइवेट नाव से 60 रुपये खर्च कर बाजार आते जाते हैं। जिनके पास पैसे नहीं होते वैसे लोग घूट घूट कर जीने के लिए मजबूर हैं।