सड़क हादसों पर रोक के इंतजाम के इम्तिहान में 'व्यवस्था' फेल
- सरकारी कोशिशों को धरातल में उतारने की विभागीय कोशिशें नहीं हो सकी प्रभावी - अनियंि
दरभंगा। सड़क हादसे पर रोक के लिए सरकारी कोशिशें तो हो रही हैं, लेकिन इसको लेकर संबंधित विभाग गंभीर नहीं है। नतीजा यह कि इंतजाम के इम्तिहान में व्यवस्था के फेल रहने के कारण प्रतिदिन किसी न किसी की मांग का सिदूर मिट रहा है। किसी की गोद सुनी हो रही है। सड़क दुर्घटना पर विभाग अपनी चिता प्रकट करता है, लेकिन यातायात नियमों के पालन की दिशा में अबतक ठोस कदम नहीं उठाए जा सके हैं। रफ्तार का कहर व यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण लगातार घटनाएं घट रही हैं। सड़क पर अधिकांश वाहनों के फिटनेस की भी जांच नहीं हो रही है। जिसके कारण दुर्घटना में मरनेवालों के आश्रितों पर जहां दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। वहीं दुर्घटना में अपंग हुए लोग दुश्वारियां झेलने को मजबूर हैं। इस कारण हताहत हुए लोगों का पूरा परिवार सालों पीछे चला जाता है। सड़क हादसे के बाद लोगों का गुस्सा फूटता है। गुस्साए लोग सड़क जाम कर अपने गुस्से का इजहार करते हैं। जाम के कारण राह से गुजर रहे राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके बाद पुलिस-प्रशासन के लोग आकर आश्वासन का पिटारा खोलते हैं। जिला परिवहन पदाधिकारी रवि कुमार बतातें हैं कि सड़क हादसा को रोकने के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। सड़क हादसे में कमी हो इसे लेकर सख्ती से कार्रवाई भी की जा रही है।
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फोरलेन और बाइपास में घटती है अधिक धटनाएं :
सड़क हादसे तो सभी सड़कों पर होते हैं। लेकिन फोरलेन और एकमी-शोभन बाइ पास में ज्यादा घटनाएं घट रही हैं। दोनों सड़कों में लिक पथ अधिक है। तेज रफ्तार के कारण लिक पथ से मुख्य सड़क पर चढ़ने वाले अथवा सड़क पार करने वाले अधिक लोग शिकार हो रहे हैं। यहीं कारण है हर बार उक्त स्थल पर फ्लाई ओवर ब्रिज की मांग की जाती है। फोरलेन में रानीपुर, दिल्ली मोड़, अलीनगर, काकरघाटी, मब्बी-शाहपुर के बीच, कंसी और सिमरी इन दिनों डेंजर जोन बन गया है। इस वर्ष 23 फरवरी को एक साथ परिवार के पांच लोग दुर्घटना के शिकार हो गए। इसमें भाई-बहन के साथ मां की मौत हो गई थी। सहरसा जिले के धवौली निवासी जीतेंद्र झा पूरे परिवार के साथ मुजफ्फरपुर से घर जा रहे थे। इसी बीच काकरघाटी के पास सड़क दुर्घटना में कार के परखच्चे उड़ गए। पत्नी शोभा देवी, पुत्र राजकुमार झा और पुत्री मधुकुमारी की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि, प़ुत्रवधु स्मिता और पौत्री अनिका गंभीर रूप से जख्मी हो गई थी। वहीं 20 मई 2018 को रानीपुर के पास बस के इंतजार में सड़क पर खड़े चार लोगों को ट्रक ने रौंद दिया था। जिसमें सभी मौत हो गई थी। इस वर्ष छह जून को एकमी-शोभन बाइपास में टेंपो यूनियन के जिलाध्यक्ष कृष्णदेव पूर्वे की मौत सड़क दुर्घटना में हो गई थी। 2019 में पूरे जिले में 349 लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में हुई थी। जबकि, इस वर्ष सितंबर माह तक 187 लोगों की मौत हो चुकी है। लॉकडाउन रहने के कारण इस वर्ष सड़क हादसे में कमी आई है।
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नाबालिग चला रहे वाहन :
परिवहन विभाग की अनदेखी के कारण सड़क पर नाबालिग स्कूटी, मोटरसाइकिल व चार चक्के वाहनों पर फर्राटा भर रहे हैं। परिवहन नियमों की जानकारी नहीं होने के कारण बच्चे काफी तेज रफ्तार से वाहनों को चला रहे हैं और दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं।
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ओवरलोडिग भी हादसों की वजह :
तेज रफ्तार व ओवरलोडिग के कारण भी सड़क हादसे होते हैं। लेकिन, परिवहन विभाग इसपर भी रोक लगाने में असफल रहा है। ओवरलोडिेंग के कारण वाहन अनियंत्रित होकर पलट जाते हैं। जिसकी चपेट में आकर राहगीर की भी जान जाती है।
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सड़क पर खड़े वाहनों के कारण भी होती दुर्घटना : एनएच व फोरलेन पर रात के समय चालक सड़क किनारे वाहनों को खड़ा कर आराम फरमाने लगते हैं। सर्दी के मौसम में धुंध के कारण तेज रफ्तार से गुजरने वाले वाहन चालको को यह नहीं दिखाई पड़ती है। जिसके कारण भी दुर्घटनाएं हो रही है।
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ओवरटेकिग के कारण होते सबसे अधिक हादसे :
आगे निकलने की होड़ में वाहन चालक हमेशा गलत तरीके से ओवरटेक करते हैं। इस कारण आए दिन हादसे हो रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण लोगों को परिवहन नियमों की जानकारी नहीं है। अगर दुर्घटना में कमी लानी हो तो सरकार को वाहन चलाने के तौर-तरीके चालक को प्रशिक्षण देना होगा।
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सड़कों का आधा-अधूरा निर्माण भी दुर्घटना का कारण :
सड़क निर्माण में ठेकेदारों की मनमानी के कारण कई सड़कें आधी-अधूरी बनी हुई हैं। कहीं पर सड़क बन गई। लेकिन, बीच में पुल नहीं बना। वहीं कहीं पुल बन गया और एक तरफ का पहुंच पथ नहीं बना। जबतक तेज रफ्तार से जा रहे वाहन चालक समझते वाहन गड्ढ़े में पलट जाता है। इसके अलावा शहर में बेतरतीब ढंग से बने डिवाइडर से भी टकराकर रोज वाहन चालक दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं।
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रफ्तार के कहर से होते सबसे अधिक हादसे :
चिकनी सड़क के कारण वाहन चालक हवा से बात करते चलते हैं। इसके कारण रफ्तार का कहर जहां वाहन चालकों को लील रही हैं, वहीं इसकी जद में पड़ने वाले भी काल कलवित हो रहे हैं। इसके अलावा ओवर लोड, मोटरसाइकिल पर ट्रिपल लोडिग भी हादसे के प्रमुख कारण हैं।
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ट्रैफिक सिग्नल का बुरा हाल :
जिले में ट्राफिक सिग्नल फोरलेन के अलावा कहीं नजर नहीं आती है। शहर में कहीं भी ट्राफिक सिग्नल की व्यवस्था नहीं है। दो-चार चौराहे को छोड़ दें तो वाहन चालक अपने हिसाब से अपनी गाड़ी मोड़ते हैं। इसके कारण बराबर सड़क जाम की समस्या बनी रहती है। हालांकि, रेलवे फाटक पर सिग्नल है भी तो वहां लोग नियम को तोड़ने में पीछे नहीं रहते हैं। --------------