वर्तमान में समाज को दिशा देने की जिम्मेदारी शिक्षक व छात्रों की
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के जुबिली हॉल में सोमवार को आयोजित समारोह में प्रसिद्ध
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के जुबिली हॉल में सोमवार को आयोजित समारोह में प्रसिद्ध इतिहासकार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के सेवानिवृत्त अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध मैथिली समालोचक-अनुवादक प्रो. रत्नेश्वरमिश्र के सम्मान में दो खंडों में प्रकाशित अभिनंदन-ग्रंथ समर्पित किया गया। वैज्ञानिक पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में प्रो. रत्नेश्वरमिश्र ने कहा कि आज समाज को दिशा निर्देशित करने की बड़ी जिम्मेदारी शिक्षक और छात्रों के कंधों पर आ गई है। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि वे अपनी ज्ञान पिपासा सदा जाग्रत बनाए रखें और अपने शोध से समाज को प्रकाशित करते रहें।
समारोह के मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डाक्टर एस. पी. सिंह ने इस प्रकार के आयोजनों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जो जीवंत समाज होता है वह अपने विभूतियों का सम्मान करना जानता है। आज मैथिल समाज ने प्रो. मिश्र जैसे गुरु-मनीषी का सम्मान कर अपनी जीवंतता का परिचय दिया है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि कामेश्वरसिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने कहा कि सम्मानित पुरुष प्रो. रत्नेश्वरमिश्र को सम्मानित कर हमलोग वास्तव में स्वयं को सम्मानित अनुभव कर रहे हैं। उन्होंने विस्तार से प्रो. मिश्र के अवदानों पर प्रकाश डाला।
समारोह में आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए अभिनंदन समिति के संयोजक प्रो. अजीत कुमार वर्मा ने कहा कि जब कोई छात्र अपने अवदानों से गुरु को गौरवान्वित करता है तो उस स्थिति में वह अपने गुरु के लिए भी प्रणम्य हो जाता है। मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा मुश्ताक अहमद ने प्रो. मिश्र के अवदानों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वास्तव में विद्या और ज्ञान के महासागर हैं, हम उनसे कितना ले सकें वह हमारी क्षमता पर निर्भर करता है।
ज्ञातव्य हो कि प्रो. मिश्र के सम्मान में दो खंडों मे अभिनंदन-ग्रंथ का प्रकाशन किया गया है, इसमें अंग्रेजी खंड ''पप्रीफेसिग हिस्ट्री : टेक्स्ट एंड कंटेस्ट'' का संपादन डा अवनीन्द्र कुमार झा एवं डा पंकज कुमार झा ने किया है जिसका प्रकाशन आथर्स प्रेस, नई दिल्ली ने किया है । वहीं हिदी एवं मैथिली खंड ''इतिहास : तथ्य और संदर्भ '' का संपादन डा अवनीन्द्र कुमार झा, डा पंकज कुमार झा एवं डा शंकरदेव झा ने किया है। आरंभ मे ग्रंथों के संपादकों द्वारा पुस्तकों की रूपरेखा पर प्रकाश डाला गया । तत्पश्चात मंचस्थ अतिथियों द्वारा प्रो. मिश्र को पाग और चादर से सम्मानित करते हुए उन्हें अभिनंदन-ग्रंथ प्रदान किया गया । इस मौके पर मैथिली साहित्य संस्थान, पटना द्वारा प्रो. मिश्र को महर्षि धौम्य शिखर-शिक्षा-सम्मान से एवं ग्रंथ के संपादक त्रय को अन्तेवासि आरुणि शिक्षा सम्मान से सम्मानित किया गया । समारोह के अध्यक्ष डा मानस बिहारी वर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में मिथिला की सारस्वत परंपरा पर प्रकाश डाला । धन्यवाद ज्ञापन प्रो. माधव चौधरी एवं संचालन डा अवनीन्द्र कुमार झा ने किया।