दरभंगा व्यवहार न्यायालय में हो हाईकोर्ट की बेंच का गठन
आसन्न लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे हावी हैं। इनमें देश की सुरक्षा विकास सभी तबके के हित से जुड़े मुद्दे रोजगार आदि शामिल हैं।
दरभंगा । आसन्न लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे हावी हैं। इनमें देश की सुरक्षा, विकास, सभी तबके के हित से जुड़े मुद्दे, रोजगार आदि शामिल हैं। यह स्वाभाविक भी है। लेकिन, इन मुद्दों में आमजन से जुड़े कई स्थानीय मुद्दे गौण हो गए हैं। न तो सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार खुलकर कुछ बोल रहे हैं और न ही विपक्षी दल के नेता भी इसे चुनावी मुद्दा बनाने में दिलचस्पी ले रहे हैं। औद्योगिक विकास, जलसंकट से निजात आदि स्थानीय मुद्दे के साथ एक बड़ी मांग दरभंगा व्यवहार न्यायालय में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की भी रही है। हैरत की बात है कि मतदान में अब कुछ दिन शेष रह गए है बावजूद चुनावी शोर मे यह मुद्दा अभी तक सुनाई नहीं पड़ सका है। आमलोगों की सुविधा के लिए दरभंगा व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता शिद्दत से इसकी आवश्यकता महसूस कर रहे हैं। लगभग एक दशक से अधिक समय से यह मांग समय-समय पर उठती रहती है। क्षेत्रवासियों के हित से जुड़ा यह मामला चुनाव से गायब नजर आ रहा है। इसकी स्थापना आवश्यक है। इसके लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता जरूरी है। कुछ ऐसे ही विचार शुक्रवार को उभरकर सामने आए। अवसर था दैनिक जागरण की ओर से लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अधिवक्ताओं के बीच चौपाल का। दैनिक जागरण की ओर से आयोजित चौपाल में अधिवक्ताओं ने क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों में इसे शुमार बताया। साथ ही बिजली व रेलवे कोर्ट की भी दरभंगा में स्थापित करने की मांग की। पेशे से हटकर जनजीवन के मुद्दों को उठाया
चौपाल में मौजूद अनिल कुमार, कृष्ण कुमार, अमर प्रकाश आदि अधिवक्ताओं ने अपने पेशे से हटकर जनजीवन से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। सभी ने शहर में रेल ओवरब्रिज, जलसंकट से निजात आदि की दिशा में जल्द से जल्द सार्थक कदम उठाने की मांग की।
अर्थाभाव के कारण न्याय पाने के नैसर्गिक अधिकार से वंचित मिथिला क्षेत्र के वृहत भू-भाग के लोगों को सस्ता, सुलभ व त्वरित न्याय मिले इसके लिए मिथिलांचल की अघोषित राजधानी दरभंगा में हाईकोर्ट बेंच का गठन जल्द से जल्द होना चाहिए। इसके गठन से दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया आदि जिले के गरीबों का न्याय का सपना साकार होगा। इसके लिए सांसद को हमारी आवाज बुलंद करनी होगी।
--रविशंकर प्रसाद, अध्यक्ष, बार एसोसिएशन दरभंगा सहजता से गरीबों को न्याय मिले इसके लिए बेंच का गठन अति आवश्यक है। साथ ही जाम की समस्या से भी आमजन को निजात मिलना चाहिए। शहर का विस्तार तो होता जा रहा है। रेलखंड के पूर्व दिशा में बड़ी आबादी निवास करने लगी। लेकिन रेल ओवरब्रिज का निर्माण नहीं हुआ। यह शहर में जाम का सबसे मुख्य कारण है। जनप्रतिनिधि को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
कृष्णकुमार मिश्र, महासचिव, बार एसोसिएशन सरकार के सस्ता, सुलभ व त्वरित न्याय का नारा सही मायने में धरातल पर दिखे, इसके लिए आवश्यक है कि प्रमंडलीय शहर दरभंगा के न्यायमंडल में रेलवे विजिलेंस, बिजली सहित विभिन्न स्पेशल कोर्ट का गठन राज्य सरकार दरभंगा में करे। हमारे प्रतिनिधियों को अपने वादे को हकीकत में बदलने और सरकार स्तर पर सकारात्मक पहल करनी चाहिए।
जीतेंद्र नारायण झा, अधिवक्ता उच्च न्यायपालिका में ब्रिटिश कालीन चयन प्रक्रिया में अपने संसद से पारदर्शी कानून बनना चाहिए। संविधान और कानून की सूचिता के लिए यह समय की मांग है। दरभंगा में हाइकोर्ट के गठन से पूरे मिथिलांचल क्षेत्र के लोगों के साथ अन्य जिले के लोगों को भी लाभ होगा। विजयी प्रत्याशी से मांग है कि इस दिशा में उनकी ओर से सार्थक पहल की जाए।
राजीव रंजन ठाकुर, अध्यक्ष, ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन, दरभंगा दरभंगा के लोगों को बिजली व रेलवे से संबंधित केस के सिलसिले में मुजफ्फरपुर व समस्तीपुर जाना पड़ता है। यह लोगों के लिए एक बड़ी समस्या है। साथ ही हाइकोर्ट की बेंच के गठन के बाद आमजन को काफी राहत मिलेगा। बेंच का गठन दरभंगा में जल्द से जल्द होना चाहिए। साथ ही जलसंकट से जूझ रहे दरभंगा जिले के निवासियों को योजनाओं का लाभ तुरंत देना चाहिए।
सोहन कुमार सिन्हा, अधिवक्ता दरभंगा व्यवहार न्यायालय में हाइकोर्ट की बेंच के गठन के बाद जहां गरीब लोगों को काफी राहत मिलेगी वहीं रोजगार भी बढ़ेगा। दशकों से मांग की जा रही है। आज तक तो मांग पूरी नहीं हुई है। इस बार लोकसभा चुनाव में विजयी प्रत्याशी के समक्ष इस मांग को जोर शोर से रखा जाएगा। साथ ही यातायात की सुविधा को बेहतर करने के लिए शहर में नगर बस सेवा शुरू होनी चाहिए।
अमरप्रकाश, अधिवक्ता सबके न्याय के लिए आगे रहने वाला वकील समुदाय आज सबसे उपेक्षित है। सूबे के किसी भी न्यायमंडल में स्वतंत्रता के 72 वर्ष बाद भी वकीलों के लिए बैठने तक की समुचित व्यवस्था नहीं है। न्याय शुल्क देने के बाद भी न्याय के मंदिरों में न्याय अतिथियों को मूलभूत सुविधा नहीं मिल रही है। जिसकी पहल नेताओं को करनी चाहिए।
संतोष कुमार सिन्हा, अधिवक्ता