सभी वैज्ञानिक तथ्यों का उल्लेख संस्कृत साहित्य में विद्यमान
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो ि
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ई संगोष्ठी बुधवार को संपन्न हुई। इस दौरान प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी में संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभागाध्यक्ष प्रो. विदेश्वर झा ने कहा कि चेतनशील लोग संवेदनशील होते हैं। संवेदना हमारी आंतरिक चेतना है, जिसका परिचय देने वाला ही सच्चा मानव हो सकता है। इसलिए हमें सदा संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए। संवेदनशील समाज के निर्माण में संस्कृत की भूमिका विषय पर आयोजित संगोष्ठी में एमएलएसएम कॉलेज के प्राचार्य प्रो. विद्यानाथ झा ने कहा कि सभी वैज्ञानिक तथ्यों का उल्लेख एवं मानवीय समस्याओं का निदान संस्कृत साहित्य में विद्यमान है।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय सोमनाथ के कुलपति प्रो. गोपबंधु मिश्र ने कहा कि आत्मवत्सर्वभूतेषु तथा अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन: जैसी सूक्तियां संस्कृत साहित्य की संवेदनशीलता को दर्शाती हैं, जो सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के लिए उपयोगी हैं। संगोष्ठी मे अतिथियों का स्वागत पाग-चादर एवं फूल-माला से किया गया, जबकि समापन समारोह का प्रारंभ दीपक कुमार झा के काली वंदना-मंगलाचरण से हुआ। डॉ. संजीत कुमार झा के संचालन में आयोजित समापन समारोह में अतिथियों का स्वागत संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. जीवानंद ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कृष्णकांत झा ने किया।
आयोजन सचिव डॉ. आरएन चौरसिया की अध्यक्षता में आयोजित तकनीकी सत्र का संचालन मारवाड़ी महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. विकास सिंह ने किया। इसमें सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज कुमार मिश्र, छोई लुवसन्जव यूनिवर्सिटी ऑफ मंगोलिया के कुलपति प्रो. उल्जीत लुवसन्जव, महाचूलंगकरण विश्वविद्यालय थाइलैंड के बुद्धिस्ट विभाग के डॉ. भिक्खु दीयरतन, अनुराधापुर विश्वविद्यालय श्रीलंका के प्रसिद्ध चित्रकार एवं पाली की प्राध्यापिका उपासिका चामिनी वीरसूरिया आदि ने संगोष्ठी में ऑनलाइन शिरकत की। संगोष्ठी में शोधार्थी बालकृष्ण प्रसाद सिंह, बंगाल की नजमा हसन व मोसमी आकूली, सुधाकर तिवारी, रवि झा आदि ने अपने-अपने शोध पत्र पढ़े। सगोष्ठी में संस्कृत विभाग के पूर्व प्राध्यापक डॉ. जयशंकर झा, नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय, काठमांडू के प्रो गोविद चौधरी, डॉ. कल्पना कुमारी, डॉ. ममता स्नेही, डॉ. राजेश्वर पासवान, डॉ. दिलीप झा, डॉ. अंजू नारायण, डॉ. जीवछ यादव, प्रो. संजीव कुमार, उज्जवल कुमार, डॉ. राजीव कुमार, डॉ. सुजीत कुमार मिश्र, डॉ. राम शप्रीत सिंह, डॉ. भारत कुमार मंडल, डॉ. भारती कुमारी, अंशु कुमारी, सचिन कुमार, अजय कुमार, रवि झा, याज्ञवल्क्य लक्ष्मी नारायण महाविद्यालय, जलेश्वर नेपाल की संस्कृत प्राध्यापिका डॉ. कल्पना कुमारी समेत अन्य शोधार्थियों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन भाग लिया।
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