शीतलहर का कहर और फर्श पर हो रहा मरीजों का इलाज
जिले में एक पखवारे से शीतलहर का प्रकोप जारी है। लोग परेशान है। बीमार हो रहे हैं। इन सबके बीच दरभंगा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में मरीजों का इलाज भगवान भरोसे होकर रह गया है। शीतलहर में भी यहां के आपात कक्ष के बरामदे में गंभीर मरीजों का इलाज हो रहा था।
दरभंगा । जिले में एक पखवारे से शीतलहर का प्रकोप जारी है। लोग परेशान है। बीमार हो रहे हैं। इन सबके बीच दरभंगा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में मरीजों का इलाज भगवान भरोसे होकर रह गया है। शीतलहर में भी यहां के आपात कक्ष के बरामदे में गंभीर मरीजों का इलाज हो रहा था। स्टाफ नर्स मरीजों को स्लाइन चढ़ा रही थी। लेकिन, इधर परीक्षण कक्ष हाल में चार परीक्षण टेबल पर मात्र दो टेबल लगे थे। बावजूद इसके दो मरीजों का इलाज बरामदे पर हो रहा था। परीक्षण कक्ष की खुली खिड़की से तेज हवा मरीजों के दर्द को और बढ़ा रही थी और मरीज कराह रहे थे। कंट्रोल रूम में कर्मी नही थे। पीजी डॉक्टर अपने चैंबर में मरीजों की पर्ची बना रहे थे। लेकिन, परीक्षण कक्ष में एक भी चिकित्सक नहीं थे। सर्जरी और मेडिसिन के परीक्षण कक्ष में दो-दो मरीज पड़े थे। वार्ड में पैथोलॉजी के अभाव में स्वजन इधर-उधर दौड़ धूप लगा रहे थे। इसी दौरान एक ऑटो में सवार होकर एक गंभीर मरीज इस वार्ड के समक्ष आया। लेकिन, ऑटो में मरीज चंदा देवी को लेने के लिए ट्राली कर्मी नहीं पहुंचे। स्वजन मरीज को खुद लेकर जाने के लिए तैयार हो गया। इमरजेंसी वार्ड में दवाओं की सूची लटकी थी। महेश पासवान चिकित्सक का एक पुर्जा लेकर दवा भंडार में पहुंचा। लेकिन, सात में से मात्र चार दवा ही मिली। फार्मासिस्ट ने स्वजनों को बताया कि कुछ दवाएं बाहर की लिखी गई हैं। डीएमसीएच में दवाओं की कुल सूची 276 है। बोले स्वजन : ठंड से बचाव का इंतजाम नहीं
एक मरीज के साथ आईं उसकी स्वजन शीला देवी ने बताया कि दरवाजा हमेशा खुला रहता है। सभी खिड़कियों का शीशा टूटा है। ठंडी हवाओं को रोकने के लिए खिड़की पर पर्दा लगाया गया है, जो नाकाफी है। इस वार्ड में मात्र मेडिसिन, सर्जरी, हड्डी रोग विभाग के ही पीजी और वरीय चिकित्सक रहते हैं। अन्य विभागों के चिकित्सक इस वार्ड में नहीं थे। स्वजन शोभी यादव ने बताया कि यहां वरीय डॉक्टर अभी तक नहीं आए हैं। यहां कौन डॉक्टर है और कौन नहीं इसकी पहचान मुश्किल है। -