बाढ़ लाभार्थियों की सूची में गड़बड़ी होने पर नपेंगे सीओ : जिलाधिकारी
दरभंगा। जिले में बाढ़ कब और कितनी आएगी यह निश्चित नहीं है। पिछले दो वर्षों से दरभंगा में
दरभंगा। जिले में बाढ़ कब और कितनी आएगी, यह निश्चित नहीं है। पिछले दो वर्षों से दरभंगा में बड़े पैमाने पर बाढ़ से त्रासदी हुई है। जबकि इसके पूर्व केवल एक या दो बाढ़ से प्रखंड प्रभावित होते थे। आपदा का कार्य एक वैधानिक कार्य है। इसमें कमी होगी तो संबंधित अंचलाधिकारी से जवाब-तलब किया जाएगा। उपरोक्त बातें जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने कही। वे बुधवार को संभावित बाढ़ की तैयारी को लेकर समाहरणालय स्थित आंबेडकर सभागार में जिले के सभी अंचलाधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक कर रहे थे। कहा- वर्ष 2019 में पांच लाख 78 हजार एवं वर्ष 2020 में 6 लाख 28 हजार परिवारों को बाढ़ सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से उपलब्ध कराई गई है। पिछले वर्ष मुख्यमंत्री स्तर पर कुछ शिकायतें मिली हैं कि योग्य लाभार्थी छूट जा रहे हैं, जबकि अयोग्य लाभार्थी को जीआर की राशि प्राप्त हो रही है। इस संबंध में कुशेश्वरस्थान पूर्वी एवं सदर प्रखंड में कई अनियमितता पाई गई एवं शहरी क्षेत्र में भी एक वार्ड पार्षद ने अपने परिवार के दो से तीन सदस्यों को सहायता राशि दिलवा दी। इन सबों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई। अंचल स्तर पर ठीक से निगरानी नहीं किए जाने पर ही ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है और इसके लिए सीधे अंचलाधिकारी को जिम्मेवार माना जाएगा।
बाढ़ प्रभावित परिवारों को संपूर्ति पोर्टल के माध्यम से डीबीटी के द्वारा लाभुकों के बैंक खाता में सीधे बाढ़ सहायता राशि (जीआर) उपलब्ध कराई जाती है। इसलिए वार्डवार लाभुकों की बनी हुई सूची की जांच करा लें। यदि कोई अयोग्य लाभुक का नाम दर्ज है तो उसे हटा दें। यदि एक ही परिवार के एक से अधिक सदस्य का नाम है तो उसे डिलिट कर दें। साथ ही आधार संख्या अपलोड करें। इससे डुप्लीकेशन नहीं होगा। डीएम ने अंचलाधिकारियों को तेजी से आधार कार्ड अद्यतीकरण कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वार्ड वार और पंचायत वार लाभुकों का औसतन संख्या देखकर भी सही और गलत आंकड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके साथ ही आधार कार्ड जिस बैंक खाता से जुड़ा हुआ है, उसी बैंक खाता संख्या को अपलोड करना है। इसके लिए पर्याप्त संख्या में डाटा इंट्री ऑपरेटर रखने के निर्देश दिए। कहा कि बाढ़ के लिए आवश्यक सामग्रियों की दर निर्धारित हो गई है। निर्धारित दर के आधार पर स्थानीय विक्रेता के साथ बाढ़ के दौरान आवश्यक सामग्री आपूर्ति हेतु एकरारनामा कर लिया जाए। बाढ़ के दौरान सबसे ज्यादा नाव की जरूरत होती है। इसलिए अंचलों के नाविकों के साथ एकरारनामा कर लिया जाए। साथ ही सभी नावों के पंजीकरण का नवीकरण जिला परिवहन पदाधिकारी से करा लिया जाए। जिला परिवहन कार्यालय से 800 से 900 नावों का पंजीकरण हुआ है। लेकिन, अंचलों द्वारा कुल 585 नावों का ही एकरारनामा कराया गया है। इसका मतलब है कि अभी भी अंचलों में निजी-नाव उपलब्ध है। इसलिए अपने-अपने क्षेत्र में नाव की खोजबीन कर ले। बाढ़ निरोधक तथा बाढ़ राहत कार्य में लगाए जाने वाले सरकारी और गैर सरकारी कर्मियों का टीकाकरण कराया जाना है और इसके लिए अंचलों से सूची भी मांगी गई है। समीक्षा के क्रम में जाले अंचल से कर्मियों की सूची नहीं भेजे जाने की जानकारी मिलने पर डीएम ने जाले के अंचलाधिकारी से स्पष्टीकरण की मांग की। कहा कि पॉलिथीन स्टॉक को चेक कर लिया जाए तथा कुछ नए पॉलीथिन की व्यवस्था पहले से कर ली जाए। बैठक में जिला आपदा प्रभारी पदाधिकारी सत्यम सहाय, उप निदेशक जन संपर्क नागेंद्र कुमार गुप्ता एवं जिला सूचना विज्ञान पदाधिकारी राजीव झा मौजूद थे।