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बैंकों की हड़ताल से सात करोड़ का कारोबार प्रभावित, परेशान रहे उपभोक्ता

ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन (आइबीइए) एवं बैंक इम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीइएफइ) के संयुक्त आहवान पर केंद्र सरकार के नीति के विरोध में मंगलवार को बैंक कर्मी हड़ताल पर रहे। हालांकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और ग्रामीण बैंक के कर्मी हड़ताल में शामिल नहीं हुए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 12:25 AM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 12:25 AM (IST)
बैंकों की हड़ताल से सात करोड़ का कारोबार प्रभावित, परेशान रहे उपभोक्ता
बैंकों की हड़ताल से सात करोड़ का कारोबार प्रभावित, परेशान रहे उपभोक्ता

दरभंगा । ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन (आइबीइए) एवं बैंक इम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीइएफइ) के संयुक्त आहवान पर केंद्र सरकार के नीति के विरोध में मंगलवार को बैंक कर्मी हड़ताल पर रहे। हालांकि, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और ग्रामीण बैंक के कर्मी हड़ताल में शामिल नहीं हुए। एक दिवसीय इस हड़ताल के कारण मंगलवार को करीब सात करोड़ राशि का कारोबार प्रभावित रहा। हड़ताल से प्रभावित बैंकों से ग्राहक बैरंग लौट रहे थे। दीपावली पर्व के मौके पर लोगों को बैंक से पैसे नहीं मिलने के कारण बाजार भी फीका रहा। सुबह के समय तो हालात सही रहे, लेकिन हड़ताली बैंक के एटीएम में राशि की किल्लत दिन के करीब एक बजे से शुरू हो गई। लोग एटीएम कार्ड लेकर इधर-उधर घूमते रहे। लेकिन, एसबीआई और ग्रामीण बैंक के खूले रहने के कारण लोगों को राहत थोड़ी राहत मिली। अन्य बैंकों के एटीएम लोगों का मुंह चिढ़ाते रहे। ग्राहकों की भीड़ बढ़ने पर एसबीआई के एटीएम कुछ घंटों तक लोगों को राहत दे सके, उसके बाद एसबीआई के एटीएम भी खाली हो गए। यह हड़ताल दस सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का विलय करके चार बैंक बनाने के निर्णय के खिलाफ राष्ट्रव्यापी स्तर पर आयोजित किया गया। हड़ताल की सफलता को लेकर बैंक यूनियन के अधिकारी और कर्मीगण टोली बनाकर शहर मे जत्था बनाकर घूम रहे थे। हड़ताली कर्मियों ने पंजाब नेशनल बैंक सर्किल ऑफिस परिसर में दरभंगा जिला ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन कमेटी, सर्विस एसोसिएशन, सभी श्रमिक संगठनों और बैंक यूनियनों के नेतृत्व में सभा का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता आनन्द मोहन ठाकुर ने की। वक्ताओं ने कहा कि भारत सरकार बैंकों का आपस में विलय कर बैंकों को निजीकरण करना चाहती है। भारत सरकार राष्ट्रीयकरण के वजह से आम लोगों को बैंकों से दूर रखना चाहती है। विलय पश्चात अभी तक कुल 6950 बैंकों की शाखाएं बंद हो चुकी है। बैंकों में कर्मचारियों की अधिकता बताकर छंटनी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। राष्ट्रीयकरण के समय शाखाओं की कुल संख्या आठ हजार, जमा पांच हजार करोड़ और ऋण अग्रिम 3500 करोड़ थी, जो बढ़कर क्रमश: 90 हजार, 85 लाख करोड़ और 60 लाख करोड़ तक पहुंच गई। कॉरपोरेट घरानों के द्वारा लिए गए ऋणों के माफी की भरपाई बैंक के ग्राहकों से सर्विस चार्ज के रुप मे वसूल की जा रही है। सरकार अपना दोष बैंककर्मियों पर मढ़ रही है, जबकि बड़ा ऋण बैंक के एक्जक्यूटीव व बैंक का बोर्ड करती है। बैंकों में बड़े पैमाने पर खाली पद रहने के बावजूद बहाली नहीं की जा रही है, जबकि लाखों बेरोजगार युवक नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। सभा को फूल कुमार झा, प्रदीप कुमार मिश्रा, अजित कुमार सिंह, कैसर आलम, मनिद्र कुमार शर्मा, सीटू के सत्य प्रकाश चौधरी, ऐटक के विश्वनाथ मिश्रा, एक्टू के जिला सचिव मिथिलेश्वर सिंह, सुनिल कुमार झा, रामाधार सिंह, अभय कुमार सिंह, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के प्रक्षेत्रीय मंत्री विनय कुमार झा ने संबोधित करते हुए हड़ताल की सफलता के लिए जिला के सभी श्रमिक संगठनों के सदस्यों को साधुवाद दिया है।

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