Lockdown को लेकर दरभंगा DM की अनूठी सोच, प्रवासी छात्रों-श्रमिकों को दिया अनोखा गिफ्ट
दरभंगा जिले के डीएम के इस बेहतरीन सोच काबिले तारीफ है। लॉकडाउन में मिथिला पेंटिंग करनेवाले कलाकारों के रोजगार के लिहाज से उन्होंने मिथिला पेंटिंग से बने मास्क बनवाए हैं।
दरभंगा, जेएन। मिथिला की लोक कला मिथिला पेटिंग अपनी कलाकृति के लिए पूरे देश-दुनिया में जानी जाती है। अभी तक मिथिला पेटिंग कैनवास और साड़ियों की ही शोभा बढ़ा रही थी। लेकिन, कोरोना वायरस को लेकर चल रहे लॉकडाउन के दौरान अब यह कोरोना वायरस से बचाव को लेकर मास्क पर भी नजर आ रही है।
जी हां, कोरोना से बचाव के लिए मिथिला पेंटिंग्स से सुसज्जित मास्क का यह आइडिया मूल रुप से दक्षिण भारतीय आइएएस अधिकारी और वर्तमान में दरभंगा के जिलाधिकारी डॉक्टर त्यागराजन एसएम को आया। उन्होंने फैसला किया कि ट्रेन से आने वाले प्रवासियों का स्वागत मिथिला पेटिंग से बने मास्क से किया जाएगा।
डीएम डॉक्टर त्यागराजन एसएम ने तुरंत एक हजार ऐसे मास्क बनाने का ऑर्डर स्थानीय सताक्षी मिथिला पेटिंग की प्रोपराइटर आशा झा को दिया। आशा ने मिथिला पेंटिंग उकेरकर पांच दिनों के अंदर करीब एक हजार मास्क जिला प्रशासन को उपलब्ध करा दिए। 5 मई को जब पहली बार कोटा से प्रवासी छात्रों को लेकर ट्रेन जैसे ही दरभंगा पहुंची। ट्रेन से उतरने के साथ ही डीएम ने अपने हाथों से सभी छात्रों को मिथिला पेटिंग से सजा मास्क दिया। मिथिला पेंटिंग से सजे मास्क लगाकर छात्र काफी खुश नजर आ रहे थे।
डीएम ने दैनिक जागरण के साथ खास बातचीत में बताया कि मिथिला में आमतौर पर मिथिला पेटिंग से बनी कलाकृति से अतिथियों के सत्कार का रिवाज है। ऐसे कई कार्यक्रम के दौरान देखने को मिलता है, जहां पीएम से लेकर विदेशी मेहमानों को भी मिथिला पेंटिंग से सजी कलाकृति भेंट की जाती रही है। बिहार के मुख्यमंत्री भी मिथिला पेटिंग से बने चादर अतिथियों को भेंट करते है।
मैंने भी यही सोचा कि छात्र बाहर से आ रहे हैं तो वो उन्हें ऐसी चीज भेंट की जाए जो उनके पास संस्कृति की धरोहर की तरह यादगार रहे तो यही सोचकर मैंने बाहर से आने वाले छात्रों और प्रवासियों को मिथिला पेटिंग के मास्क बनवाये और बंटवाए है। इसके दो फायदे हैं। एक तो इससे जुड़े कलाकारों को रोजगार मिलेगा, दूसरा कोरोना से लोगों का बचाव होगा।