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बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने को निकली जागरूकता रैली

दरभंगा। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन व स्थानीय संस्था महिला जागृति संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ग‌र्ल्स मार्च टू स्कूल जागरुकता अभियान का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 12:37 AM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 06:12 AM (IST)
बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने को निकली जागरूकता रैली
बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने को निकली जागरूकता रैली

दरभंगा। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन व स्थानीय संस्था महिला जागृति संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ग‌र्ल्स मार्च टू स्कूल जागरुकता अभियान का आयोजन किया गया। इस अभियान में स्थायीन रामनंदन मिश्र बालिका उच्च विद्यालय के प्रधानाचार्य सिया राम प्रसाद, बचपन बचाओ आन्दोलन की जिला कोआर्डिनेटर इंदिरा कुमारी, महिला हेल्पलाइन की अजमतुन निशा, विज्ञान शिक्षक पवन कुमार झा, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य अजीत कुमार मिश्र, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन के प्रेम शंकर झा, सामाजिक कार्यकर्ता फवाद गजाली, डॉ. रेडी फाउंडेशन के चंद्रवीर यादव आदि ने हरी झंडी दिखाकर बच्चियों को विद्यालय परीसर से रवाना किया। रैली की शुरुआत रामनंदन मिश्र बालिका उच्च विद्यालय से दरभंगा समाहरणालय होते हुए विद्यालय में वापस आकर समापान हुआ। इस क्रम मे लड़कियों नें जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा जिसकी प्रमुख मांग शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत बालिकाओं की आयु 14 से बढाकर 18 वर्ष तक करने की है। बता दें कि 11 अक्टूबर 2012 से अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को चिह्नित करने के लिए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन ने 18 वर्ष की आयु तक की लड़कियों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर ग‌र्ल्स मार्च टू स्कूल देशव्यापी जागरूकता अभियान शुरु किया। बचपन बचाओ आंदोलन की जिला कोआर्डिनेटर इंदिरा कुमारी ने कहा कि भारत के संविधान के तहत 6-14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा को मौलिक अधिकार है। गृह मंत्रालय के जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में 62.1 मिलियन बच्चे स्कूल से बाहर हैं। कहा कि 14-18 वर्ष की आयु के बीच 28 फीसद लड़कों की तुलना में 32 फीसद लड़कियों का नामांकन नहीं होता है। राज्यों को आरटीई अधिनियम के माध्यम से अनिवार्य शिक्षा को लागू करना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल 14-18 वर्ष की आयु वर्ग की लड़कियों की स्कूल ड्रॉप-आउट दर कम होगी, बल्कि सामाजिक बुराइयों के लिए उनके जोखिम को भी सीमित किया जाएगा। रैली को सफल बनाने में यातायात थाना व लहेरियासराय थाना का भी भरपूर सहयोग रहा।

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